जूस, जैम, जैली के साथ स्किन टोनर और फेस पैक के रूप में भी उपयोगी
राजकुमार मल
भाटापारा। कहते हैं जावा एप्पल, रोज एप्पल और वॉक्स एप्पल लेकिन पहचाना जाता है वाटर एप्पल के नाम से। पोषण, औषधिय गुण और आर्थिक दृष्टि से लाभदायक इस फल की खेती की संभावनाएं खोज रहे हैं वानिकी वैज्ञानिक।
निजी बागवानी, कृषि विज्ञान केन्द्र, नर्सरी और वन अनुसंधान संस्थानों में सफल परिणाम दे रहे वाटर एप्पल की व्यावसायिक खेती की राह बहुत जल्द खुलने जा रही है। खासतौर पर उन क्षेत्रों में वाटर एप्पल की खेती सफल हो सकती है, जहां की जलवायु उष्णकटिबंधीय या अर्धउष्णकटिबंधिय के स्तर पर है। खोज में दक्षिण छत्तीसगढ़ के हिस्से को उपयुक्त माना गया है।
इसलिए छत्तीसगढ़ के लिए विशेष
विविध जलवायु और पारिस्थितिकी प्रणाली वाला है अपना छत्तीसगढ़। वैसे तो वाटर एप्पल की खेती हर जिले में की जा सकती है लेकिन प्रदेश का दक्षिणी हिस्सा विशेष तौर पर सही माना गया है क्योंकि यह क्षेत्र उष्णकटिबंधीय और अर्ध उष्णकटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्र हैं। गर्म तापमान, मानसून आधारित बारिश और दोमट मिट्टी वाला दक्षिण हिस्सा बेहद उपयुक्त इसलिए माना जा रहा है क्योंकि ऐसी ही स्थिति वाले क्षेत्र में वाटर एप्पल सफल बढ़वार लेता है।
संभावना और उपयोगिता
अनुसंधान में बिलासपुर, रायपुर, कोरबा, कांकेर और बस्तर में वाटर एप्पल के वृक्षों की मौजूदगी का खुलासा हुआ है। निजी बागवानी में भले ही सीमित हो यह प्रजाति लेकिन वन अनुसंधान केन्द्र के साथ कृषि विज्ञान केन्द्र और नर्सरियों में नजर आते वाटर एप्पल के पौधे, बढ़ते रुझान को प्रदर्शित कर रहे हैं। बेहतर की संभावना इसलिए भी बन रही है क्योंकि छत्तीसगढ़ की मिट्टी और जलवायु उपयुक्त है। अहम इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि कई तरह की स्वास्थ्यगत समस्या दूर करता है इसका सेवन।
जानिए वाटर एप्पल को
वाटर एप्पल का पौधा परिपक्व होने के बाद बिल्कुल जामुन के वृक्ष की तरह दिखाई देता है। फलों का आकार घंटी की तरह होता है। लाल, हल्का गुलाबी या फिर हरे रंग का वाटर एप्पल स्वाद में हल्का मीठा और रसीला होता है। 4 से 6 सेंटीमीटर लंबाई वाला वाटर एप्पल की त्वचा पतली होती है, जिसके पीछे स्पंजी गुदा होता है। जूस, जैम, जैली तो बनाए ही जा सकते हैं, साथ ही सौंदर्य प्रसाधन सामग्री स्किन टोनर और फेस पैक के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है। जरुरत केवल गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री की ही है।
पोषण सुरक्षा हेतु आवश्यक
छत्तीसगढ़ की जलवायु और पारिस्थितिकी वाटर एप्पल की खेती के लिए बहुत अनुकूल है। दक्षिणी क्षेत्र विशेष रूप से उपयुक्त है क्योंकि वहां की गर्म और आर्द्र जलवायु, दोमट मिट्टी और वर्षा आधारित सिंचाई इस फल के विकास को सहयोग देती है। आने वाले समय में यह न केवल पोषण सुरक्षा बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बना सकता है। आवश्यक है कि इसके लिए उच्च गुणवत्ता की रोपण सामग्री, प्रशिक्षण, और मार्केट लिंकेज सुनिश्चित किया जाए।
अजीत विलियम्स
साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर