:संजय सोनी:
भानुप्रतापपुर। पूर्व भानुप्रतापपुर वनमंडल के दुर्गकोंदल क्षेत्र में मेसर्स श्री बजरंग पॉवर एण्ड इस्पात लिमिटेड, रायपुर की माइनिंग लीज में वन संरक्षण अधिनियम, 1980 और राज्य सरकार के सुरक्षा निर्देशों के घोर उल्लंघन का एक गंभीर मामला सामने आया है। वन विभाग के अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने ठेकेदार के साथ मिलकर नियम-विरुद्ध तरीके से ‘भू-प्रवेश’ की अनुमति जारी की, जिससे भ्रष्टाचार और आपराधिक मिलीभगत का संदेह उत्पन्न होता है।

नियमों की अनदेखी और अवैध अनुमति का आरोप :
शिकायतकर्ता ने इस संबंध में सचिव, वन विभाग छत्तीसगढ़ शासन को शिकायत भेजी है, जिसमें उन्होंने दोषी अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कानूनी और दण्डात्मक कार्रवाई की मांग की है। आरोपित अधिकारी: वन विभाग के वनमंडलाधिकारी, उप वनमंडलाधिकारी और परिक्षेत्र अधिकारी पर आरोप है कि उन्होंने माइनिंग प्रकरण में मेसर्स श्री बजरंग पॉवर एण्ड इस्पात लिमिटेड को नियम-विरुद्ध तरीके से भू-प्रवेश की अनुमति दिलाने के लिए वन संरक्षण अधिनियम, 1980 और विभागीय निर्देशों का गंभीर उल्लंघन किया।
प्रशासनिक पत्र व्यवहार से खुलासा
यह मामला तब उजागर हुआ जब उप वनमंडलाधिकारी, पूर्व भानुप्रतापपुर ने कलेक्टर खनिज शाखा को पत्र क्र. 7137, दिनांक 22/09/2025 के माध्यम से नियम के विपरीत भू-प्रवेश की अनुमति के लिए झूठी अनुशंसा की।
नियमों की अनदेखी: ‘भू-प्रवेश’ की अनुमति जारी करने से पहले यह अनिवार्य था कि विच्छेदित काष्ठ (कटे हुए पेड़ की लकड़ी) का परिवहन पूर्ण हो जाए।

दोषपूर्ण कार्य: आरोप है कि वन अधिकारियों ने जानबूझकर यह तथ्य छुपाया कि मौके से लकड़ी का परिवहन नहीं हुआ है, और गलत निरीक्षण प्रतिवेदन दिया गया। परिणाम: कलेक्टर कार्यालय को गुमराह करते हुए, अवैध रूप से नियत समय से पूर्व भू-प्रवेश की अनुमति दिला दी गई। नियमों के इस घोर उल्लंघन के बावजूद, कलेक्टर कार्यालय ने पत्र क्र. 2302, दिनांक 17/ 10/ 2025 द्वारा मेसर्स श्री बजरंग पॉवर एण्ड इस्पात लि. के लिए भू-प्रवेश की अनुमति जारी कर दी गई है।
विभाग पर उठते हुए गंभीर सवाल:
शिकायतकर्ता ने इस घटना को वन और खनिज विभाग के कर्मचारियों के भ्रष्ट मंसूबों का स्पष्ट उदाहरण बताया है। आखिर किस आधार पर वन विभाग अधिकारियों ने नियमों के विपरीत जाकर भू-प्रवेश की अनुशंसा की?
विच्छेदित काष्ठ के परिवहन पूर्ण होने की गलत जानकारी देकर कलेक्टर कार्यालय को गुमराह करने का उद्देश्य क्या था?
क्या यह कृत्य स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार और ठेकेदार के साथ आपराधिक मिलीभगत की ओर इशारा नहीं करता?
वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के तहत अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की जाएगी?
यह पूरा मामला वन भूमि की सुरक्षा से समझौता, नियमों की अनदेखी और प्रशासनिक लापरवाही/मिलीभगत का है, जिस पर त्वरित कार्रवाई की मांग की गई है।
तत्काल और कठोर कार्रवाई की मांग :
शिकायतकर्ता ने इस गंभीर वैधानिक उल्लंघन पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है: विशेष जाँच टीम का गठन: उक्त समस्त संलिप्त अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए और मामले की जाँच एक विशेष जाँच दल द्वारा जल्द पूरी की जाए, ताकि साक्ष्यों के साथ कोई छेड़छाड़ न हो। अनुमति रद्द करने की मांग: कलेक्टर खनिज शाखा द्वारा जारी की गई भू-प्रवेश की अनुमति (पत्र क्र. 2302, दिनांक 17/10/2025) को तत्काल रद्द किया जाए, जब तक स्वतंत्र नोडल अधिकारी द्वारा विच्छेदित काष्ठ के पूर्ण परिवहन की पुष्टि न कर दी जाए। दण्डात्मक कार्रवाई: दोषी अधिकारियों के विरुद्ध वन संरक्षण अधिनियम, 1980 की धारा-3ए के तहत सख्त दण्डात्मक और कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। यह शिकायत पर्यावरण की सुरक्षा से जुड़ा एक गंभीर वैधानिक उल्लंघन का मामला है, जिस पर त्वरित और न्यायोचित निर्णय की प्रतीक्षा की जा रही है।
 
	
 
											 
											 
											 
											