“लोकसभा में गूँजा वंदे मातरम्: पीएम मोदी ने उठाए ऐतिहासिक विवाद और तुष्टीकरण पर बड़े सवाल”…

दिल्ली। आज लोकसभा में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह गीत आज़ादी के दौर में अंग्रेज़ी शासन के खिलाफ एक सशक्त जवाब था और आज भी देशवासियों को ऊर्जा देता है। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी भी इस गीत को बेहद प्रिय मानते थे और इसमें उन्हें राष्ट्रीय गान जैसी गरिमा दिखाई देती थी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उस समय इस गीत की अपार शक्ति थी, लेकिन इसके बावजूद इसे कई बार अनदेखा किया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि वंदे मातरम् के साथ इतना अन्याय क्यों हुआ और कौन-सी शक्तियाँ थीं जो बापू की भावनाओं से भी ऊपर मानी गईं।

मोदी ने कहा कि 15 अक्टूबर 1936 को मोहम्मद अली जिन्ना ने लखनऊ से वंदे मातरम् का विरोध शुरू किया। उस समय कांग्रेस के अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू को अपनी राजनीतिक स्थिति डगमगाती महसूस हुई। उन्होंने कहा, “नेहरू को चाहिये था कि वे मुस्लिम लीग के बेबुनियाद आरोपों का मजबूती से जवाब देते, लेकिन इसके बजाय उन्होंने वंदे मातरम् की ही जांच-पड़ताल शुरू कर दी।”

पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेतृत्व ने तुष्टीकरण की राजनीति के चलते वंदे मातरम् को विभाजित किया। उनका कहना था कि इसी प्रवृत्ति के चलते कांग्रेस आगे चलकर देश के विभाजन के समय भी दबाव में झुक गई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आज भी अपनी उस सोच से मुक्त नहीं हो पाई है—“INC धीरे-धीरे MNC बन गई है। जिनके साथ वह खड़ी होती है, वे अक्सर वंदे मातरम् को विवाद का विषय बना देते हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी कठिन समय में ही यह पता चलता है कि देश और नेतृत्व कितना दृढ़ है। उन्होंने कहा कि 1947 में स्वतंत्रता मिलने के बाद भले ही देश की चुनौतियाँ बदल गईं, लेकिन संकट के हर दौर में राष्ट्र की भावना ‘वंदे भारत’ की प्रेरणा से ही मजबूत हुई। 15 अगस्त और 26 जनवरी को आज भी यही भावना हर जगह दिखाई देती है।

वंदे मातरम् का इतिहास
वंदे मातरम् की रचना बंकिम चंद्र चटर्जी ने 7 नवंबर 1875 को अक्षय नवमी के अवसर पर की थी। यह पहली बार 1882 में उनके उपन्यास आनंदमठ के साथ पत्रिका ‘बंगदर्शन’ में प्रकाशित हुआ।

1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में रविंद्रनाथ टैगोर ने पहली बार इसे सार्वजनिक मंच से स्वरबद्ध किया था। पूरा पंडाल भावनाओं से भर उठा था और हजारों लोगों की आँखें नम हो गई थीं।

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