UK Prime Minister ऋषि सुनाक पर फूहड़ बहस

UK Prime Minister

वेद प्रताप वैदिक

UK Prime Minister भारत में बधाइयों का तांता

UK Prime Minister ब्रिटेन में ऋषि सुनाक के प्रधानमंत्री बनने पर भारत में बधाइयों का तांता लगना चाहिए था लेकिन अफसोस है कि हमारे नेताओं के बीच फूहड़ बहस चल पड़ी है। कांग्रेस के दो प्रमुख नेता, जो काफी पढ़े-लिखे और समझदार हैं, उन्होंने बयान दे मारा कि सुनाक जैसे ‘अल्पसंख्यक’ को यदि ब्रिटेन-जैसा कट्टरपंथी देश अपना प्रधानमंत्री बना सकता है तो भारत किसी अल्पसंख्यक को अपना नेता क्यों नहीं बना पाया? यह बहस चलाने वाले क्यों नहीं समझते कि भारत तो ब्रिटेन के मुकाबले कहीं अधिक उदार राष्ट्र है। इसमें सर्वधर्म, सर्वभाषा, सर्ववर्ग, सर्वजाति समभाव की धारणा ही इसके संविधान का मूल है।

UK Prime Minister उनके उक्त बयान का असली आशय क्या है? उसका असली हमला भाजपा पर है। भाजपा की हिंदुत्व की अवधारणा ने कांग्रेसियों के होश उड़ा रखे हैं। हर चुनाव के बाद उनकी पार्टी सिकुड़ती जा रही है। कांग्रेस ने कई बार हिंदुत्व का पास फेंका और दावा मारा लेकिन उसका पासा कभी सीधा पड़ा ही नहीं। अयोध्या में राजीव गांधी द्वारा राम-मंदिर का दरवाजा खुलवाना और राहुल का मंदिर-मंदिर भटकना अभी तक किसी काम नहीं आया तो अब कांग्रेस के नेताओं ने भाजपा को रगड़ा देने के लिए ऋषि सुनाक को अपना औजार बना लिया है। लेकिन वे भूल गए कि ब्रिटेन के मुकाबले भारत कहीं अधिक सहिष्णु रहा है।

UK Prime Minister जब कांग्रेसी ‘अल्पसंख्यक’ शब्द का प्रयोग करते हैं तो उनका अर्थ सिर्फ मुसलमान ही होता है। भारत में डा. जाकिर हुसैन, फखरुद्दीन अली अहमद और ए.पी.जे. अब्दुल कलाम राष्ट्रपति बने। क्या ये तीनों महानुभाव मुसलमान नहीं थे? भारत के कई अत्यंत योग्य मुसलमान सज्जन उप-राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सेनापति आदि रह चुके हैं। ब्रिटेन हमें क्या सिखाएगा? अभी उदारता में तो वह पहली बार घुटनों के बल चला है। सुनाक को प्रधानमंत्री तो उसने मजबूरी में बनाया है। छह साल में पांच प्रधानमंत्री उलट गए, तब जाकर सुनाक को स्वीकार किया गया है।

UK Prime Minister वे प्रधानमंत्री इसलिए नहीं बनाए गए हैं, क्योंकि वे अश्वेत हैं, हिंदू हैं या वे ब्रिटिशतेर मूल के हैं। वे हीं कंजर्वेटिव पार्टी के अंतिम तारणहार दिखाई पड़ रहे थे। वे ‘अल्पसंख्यक’ होने के कारण नहीं, अपनी योग्यता के कारण प्रधानमंत्री बने हैं। भारत तो एक इतावली और केथोलिक महिला (सोनिया गांधी) को भी सहर्ष प्रधानमंत्री मानने को तैयार था लेकिन वह स्वयं त्यागमूर्ति सिद्ध हुईं और उन्होंने एक सिख को, जो कि अत्यंत योग्य, अनुभवी और शिष्ट व्यक्ति थे याने डा. मनमोहनसिंह को प्रधानमंत्री पद सौंप दिया।

UK Prime Minister क्या भारत के सिख बहुसंख्यक हैं? ऋषि सुनाक का प्रधानमंत्री बनना अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक की श्रेणी से बाहर का प्रपंच है। उन्हें संख्या के आधार पर नहीं, उनकी योग्यता के आधार पर यह पद मिला है। 2025 के अगले चुनाव में यदि वे चुने गए और प्रधानमंत्री बन गए तो क्या वे अल्पसंख्यकों के वोट से बन जाएंगे? ब्रिटेन के लगभग 7 करोड़ लोगों में से भारतीय मूल के मुश्किल से 15 लाख लोग हैं। क्या इन ढाई प्रतिशत लोगों के वोट पर कोई 10, डाउनिंग स्ट्रीट में जाकर बैठ सकता है? तो फिर इस फूहड़ बहस की तुक क्या है?

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