Canada weather Report छोटी-छोटी बातों पर दौडता दिमाग!

Canada weather Report

Canada weather Report  विवेक सक्सेना

Canada weather Report भारत में तो बाल्टी में पानी भरकर मग से नहाते थे पर कनाडा में न तो किसी के यहां बाल्टी देखी और न ही मग नजर आया। बैठने के लिए प्लास्टिक का पटरा तक नहीं देखा। वहां न्यूनतम तापमान करीब 7 डिग्री रहता है। पानी बहुत ठंडा होता था। नहाने के पहले शावर के पानी की टोटी गरम करनी पड़ती थी। मगर जैसे ही पानी शुरु करता शुरु में करीब आधा मिनट तक ठंडे पानी की बौछार आती फिर गरम पानी आना शुरु होता व ठंडे पानी की बौछार के कारण ठिठुर जाता।

Canada weather Report वैसे तो कनाडा में मौसम से लेकर साफ सफाई सब गजब है परंतु घरों के वातानुकूलित होने व 24 घंटे तक गरम पानी उपलब्ध रहने के बाद भी सुबह नहाते समय अजीब सी हिकारत का सामना करना पड़ता था। भारत में तो बाल्टी में पानी भरकर मग से नहाते थे पर कनाडा में न तो किसी के यहां बाल्टी देखी और न ही मग नजर आया। बैठने के लिए प्लास्टिक का पटरा तक नहीं देखा। वहां न्यूनतम तापमान करीब 7 डिग्री रहता है। पानी बहुत ठंडा होता था।

नहाने के पहले शावर के पानी की टोटी गरम करनी पड़ती थी। मगर जैसे ही पानी शुरु करता शुरु में करीब आधा मिनट तक ठंडे पानी की बौछार आती फिर गरम पानी आना शुरु होता व ठंडे पानी की बौछार के कारण ठिठुर जाता।

दूसरी अहम समस्या कपड़ों के सुखाने की थी। वहां कपड़ों की मशीन में धोने के बाद उन्हें वहीं निचोड़ कर बाहर निकाला जाता है उनका पानी तो निकल जाता है मगर हल्की नमी सी रहती है। वहां धूप बहुत कम निकलती है। हफ्ते में 5 दिन तो बादल छाए रहते है और बारिश होती रहती है। हालांकि मैंने कहीं भी बारिश के कारण सडक़ पर न तो पानी भरते देखा और न ही खराब सडक़े देखी। वहां बेटा जहां रहता है उसकी सोसायटी समेत हर सोसायटी में धुलाई के बाद कपड़ों को खुले में सुखाना मना है। इसे असभ्य माना जाता है बल्कि ऐसा करने पर प्रबंधक द्वारा जुर्माना भी कर देते हैं। बालकनी में न तो कपड़े सुखाने वाला स्टैंड रखा जा सकता है और न ही वहां डोरी बांध कर कपड़े सुखाए जा सकते हैं।

भारत में हम तेज धूप में सूखी तौलिया व कपड़े का उपयोग करने के आदी थे जबकि वहां धूप में कपड़े सुखाने की कल्पना तक नहीं कर सकते थे। वहां घर का कूड़ा इकठ्ठा करने के लिए हर भवन में नीचे पार्किंग की जगह पर कूड़ेदान रखे हुए हैं व पत्नी ही हर रोज उसमें कूड़ा डाल आती थी। मैंने कभी ऐसा नहीं किया क्योंकि लिफ्ट से लेकर वहां का दरवाजा तक कंप्यूटर से खुलता था व मुझे इस बात का डर था कि अगर मैं जरुरी नंबर भूल गया गया तो मुझे सारा दिन नीचे घर के बाहर ही खड़ा रहना पड़ जाएगा। वहां नियमित रूप से कूड़ा एकत्र किया जाता है व कागज डब्बो, गीले कूड़े के बाक्स अलग अलग होते हैं। वहां हर साल हर इलाके में एक दिन तय किया जाता है व अपने घर की अवांछित वस्तुएं घर के बाहर रख देते हैं। कुड़ा उठाने वाली गाड़ी उन्हें उठाकर ले जाती हैं।

मैंने पाया कि बाहर रखा गया कुछ सामान तो बहुत अच्छी हालत में था। इसमें पुराने फर्नीचर से लेकर लोहे का सामान तक शामिल था। वहां रद्दी और पुराना सामान कोई भी नहीं खरीदता है। बियर व दूध की बोतलों को उसके विक्रेता चंद सिक्को के बदले वापस ले लेते हैं। दूध आमतौर पर तीन लीटर की क्षमता वाले प्लास्टिक के जारों में बिकता है व कई स्वाद वाला होता है। उनमें काफी आदि शामिल होते हैं। घरों में पाएं जाने वाले पलंगों का आकार 6 गुणित 5 फुट का होता है। ज्यादातर फर्नीचर फोल्डिंग स्थिति में घर आता है व उन्हें कंप्यूटर पर देखकर घर में जोड़ा जा सकता है। बाजार में बिजली के हर सामान पर डेढ़ दो साल की गारंटी होती है व उसे आप कभी भी दुकानदार को वापस कर सकते है। वह उन्हें लेने से इंकार कर ही नहीं सकता।

वहां तकनीकी ज्ञान रखने वाले मैकेनिक व प्लंबर आदि लोग बहुत कम है व सामान की मरम्मत बहुत मंहगी की जाती है। अत: लोग मरम्मत करवाने की जगह नया सामान खरीदना ज्यादा पसंद करते हैं। बिजली का प्लग कुछ अलग होता है। हमारे भारतीय प्लग की तुलना में उसकी तीन टांगे तो होती है पर हमारा गोल की बजाय वे चिपटी होती है। बिजली आन करने के लिए हमारे यहां स्विच की बटन नीचे को दबाना पड़ता है जबकि वह इसके विपरीत इसे उपर दबाना पड़ता है। वहां किसी के घर में सीलिंग फेन नहीं है। पिछले साल अचानक गर्मी बढ़ जाने के बाद बाजारों में स्टैंड वाले पंखे नजर आने लगे। घरों में अगर बत्ती व दिया जलाने पर रोक हैं क्योंकि इसके धुएं व गरमी के कारण आग का अलार्म बजने का खतरा पैदा हो जाता है।

आमतौर पर कुकर का उपयोग करने पर रोक हैं क्योंकि उसकी सीटी की आवाज से पड़ोसियों को दिक्क्त होने लगती है व इसकी शिकायत कर सकते हैं। वहीं भारत में खाना बनाने वाला हर सामान वहां के बड़े बड़े स्टोरों पर मिल जाता है। इसमें गुड़, मूंगफली से लेकर मसाले तक होते हैं। वहां के स्थानीय लोग ज्यादा मसालेदार खाना कम खाते हैं इसलिए भारतीय खाना उन्हें अच्छे लगना लगा। लोग घरों पर अपने जानकारों व पड़ौसियों को कम आमंत्रित करते हैं। आमतौर पर लोग छुट्टी के दिन काम करना व ओवर टाइम पसंद नहीं करते हैं। रात का खाना शाम तक खा लेते हैं। इसी वजह से वहां के रेस्तरां जल्दी बंद हो जाते हैं।

आमतौर पर लोग काले रंग के कपड़े पहनना ज्यादा पसंद करते हैं। वहां हर शहर में वहां के इलाकों के हिसाब से कार की बीमा राशि तय होती है। जैसे कि वेंकूवर के जिस इलाके में ज्यादा भारतीय रहते हैं वहां ज्यादा बीमा देना पड़ता है क्योंकि इन इलाकों में चोरी की ज्यादा घटनाएं होती है। वहां आमतौर पर किसी के घर में अखबार नहीं आते हैं और न ही मैंने अखबार व पत्रिकाएं बेचने वाली कोई दुकान ही देखी।

राष्ट्रीय अखबार वहां मंहगे हैं। आमतौर पर लोग खबरों के लिए टीवी पर निर्भर करते हैं। वहां मौसम का आकलन गजब का होता है। सूरज के उगने व डूबने से लेकर बारिश आने तक की भविष्यवाणी एक एक मिनट तक सही होती है। यहां 9 बजे तक अंधेरा नहीं होता व सूरज बहुत देर से डूबता है। बाजार में रात भर दुकानों व दफ्तरों में लाइट जलती रहती है। वहां जगमग देखने को मिलती है।
कनाडा में श्रम व श्रमिक बहुत मंहगे हैं।

घर का ज्यादातर काम लोगों को खुद ही करना पड़ता है। घर की सफाई से लेकर कपड़े धोने, खाना बनाना बरतन आदि खुद ही धोने पड़ते हैं। अच्छा पैसा कमाने वाले लोगों के यहां ड्राइवर तक नहीं होता है। हमारे भारत की तरह कामवालियां और सफाई करने वालों की भीड़ नहीं आती है। वहां दिन में सारे लाइटों की बत्तियां जलती रहती हैं। सारी रात पूरा शहर जगमगाता रहता है। नववर्ष पर सारी दुकानों व बाजारों को विशेष तौर पर बिजली की झालरों से सजाया जाता है।

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