:दिलीप गुप्ता:
सरायपाली :- नगर में गौरवपथ का निर्माण नगरवासियो के लिए व सत्ताधारी पार्टी के लिए एक उपलब्धि से कम नही थी । नगर के लिए यह एक आवश्यक व महत्वपूर्ण योजना थी तो इस कार्य को पूर्ण कर सत्ताधारी अपने कार्यकाल को एक उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर सकती थी।
जिसका समर्थन भी नगरवासियो का मिलता और वह इस विकास व उपलब्धि के मुद्दे का लाभ आगामी चुनाव में इसे भुनाकर पुनः सत्ता में आ सकते थे । इसकी शुरुवात कांग्रेस ने की व अंत भाजपा सरकार द्वारा किया जायेगा । शुरुवात तो अच्छी हुई व गौरवपथ का प्राक्कलन भी अच्छा बनाया गया था किंतु भाजपा की नगर सरकार आते ही नगर सरकार ने सही में गौरवपथ का समय पूर्व "अंत" ही कर दिया।

नगर में भाजपा की नगर सरकार बनने के बाद नगर के गौरवपथ का कोई भी निर्माण कार्य किसी भी सूरत में “गौरव”करने लायक नही बना है जिस पर नगरवासी गौरवान्वित हो सके । गौरवपथ के पूर्व प्राकलन में ही इतना भारी परिवर्तन कर दिया गया कि गौरवपथ ने अपने मूल स्वरूप को ही खो दिया ।
किसी भी तरह पुनः सत्ता हथियाने व वापस नपाध्यक्ष की कुर्सी हथियाने के लिए तमाम हथकंडे अपनाए गए । शाम , दाम , दंड भेद अपनाकर पार्षदों को खरीदकर अंततः कुर्सी पाने की सफलता मिल ही गई । पार्षद भी इस दौरान 4 बार जबरदस्त बोली में बिके । दो की लड़ाई में पार्षदों की 4 वर्षो तक बल्ले बल्ले थी ।
नगर चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 3 सीट ही जीत पाई थी जबकि भाजपा के पास स्पस्ट बहुमत था । किंतु भाजपाई पार्षद वही पुराने घिसे पीटे व भ्रष्टाचारी चेहरे को अध्यक्ष के तौर पुनः देखना नही चाहती थी किंतु भाजपा पर कथित भ्रष्टाचारी का इतना दबाव था कि मजबूरन भाजपा को फिर प्रत्याशी बनाना पड़ा ।
परिणाम यह हुआ कि भाजपा पार्षद बागी हो गए व मात्र 3 सीट वाली कांग्रेस ने सरकार बना ली भाजपा व भ्रष्टाचारी को यह नागवार गुजरा । इस खेल में लाखों रुपए बहाए गए । समय बीतने के साथ साथ भाजपा द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया ।

भाजपा की ओर से वही पुराने चेहरे को फिर नपाध्यक्ष पद मिलने के संभावना पर पार्षदों ने भाजपा का साथ नही दिया । अविश्वास प्रस्ताव पास नही हो सका । इसका ठीकरा भाजपा समर्थित उपाध्यक्ष पर फोड़ा गया व उपाध्यक्ष के साथ कुछ भाजपाइयों को निलंबित कर दिया गया । इसक्जे बदल उपाध्यक्ष से लेने के लिए उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास लाया गया वह भी पास नही हो सका । लगातार 3 बार भाजपाईयो की हार से भाजपा की बुरी फजीहत हो चुकी थी । तब तक राज्य में कांग्रेस की सरकार थी ।
इस बीच राज्य के विधानसभा चुनाव में भाजपा की सरकार बनने के बाद भ्रष्टाचारी की बाहें खिल गई । इस बार वह 3 बार की हुई पराजय का बदला लेने के लिए गोटी बिठाते रहा । सरकार बदलने के बाद भाजपा समर्थित पार्षदों पर सरकार का दबाव पड़ना स्वाभाविक था । अनुकूल अवसर दिखने के बाद फिर अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया । इसका आर्थिक फायदा पार्षदों ने फिर उठाया ।काफी बड़ी राशि खर्च किये जाने के बाद अंततः कांग्रेस अध्यक्ष को पद से हटाने में सफलता मिली । इन लगभग 4 वर्षो में सत्ता में बैठने व हटाने व बहुमत पाने के चक्कर में लाखो रुपये पानी की तरह बहाया गया ।
पक्ष व विपक्ष दोनों पार्षदों ने खूब कमाया व तीर्थयात्राओं की मुफ्त में सैर भी की । भ्रष्टाचारी को अब अपनी कुर्सी सामने दिखाई देने लगी । जयस्तंभ चौक में खूब जश्न मनाया गया । इस जश्न में अधिकांश मार्निंग गैंग के सदस्यों के साथ ठेकेदार , सप्लायर , चापलूस सभी शामिल हुवे । सबसे अधिक खुशी भ्रश्ष्टाचारी का खास कॉन्ग्रेसी सप्लायर को हुई कॉन्ग्रेस पार्टी की चिंता किये बगैर वह खुलकर जश्न में शामिल हुआ ।
इस खुशी में अपने आपको अघोषित रूप से नपाध्यक्ष बताते हुवे बाकायदा स्थानीय विश्राम गृह में पत्रकारों को आमंत्रित कर कांग्रेस के समय बनाए गए गौरवपथ के प्राक्कलन में व्यवसायियों व नगरवासियो को होने वाली परेशानियों को देखते हुवे उनके सुविधाओ के अनुरूप गौरवपथ निर्माण में सुधार किए जाने की जानकारी साझा की गई । गौरवपथ में भारी परिवर्तन किए जाने के पीछे अपने चहेते व्यवसायियों , ठेकेदारों , सप्लायरो , चापलूसों को फायदा पहुंचाने की प्रमुख योजना थी । इसकी योजना अपने साथियों से मिलकर पहले ही तय कर ली गई थी ताकि इसका लाभ सभी को मिल सके ।

पूर्व व संभावित प्रभारी नपाध्यक्ष द्वारा पत्रकारो को बताया गया कि पूर्व प्राक्कलन में व्यवसायिक दृष्टिकोण से बहुत कम क्रासिंग छोड़ा गया है जिससे व्यवसायियों को बहुत नुकसान होगा ऐसा झूठा पक्ष रखकर नगर में इसकी आड़ में अपनों को फायदा पहुंचाने के लिए 53 क्रासिंग छोड़ दिया गया । जाम बहलीन मंदिर व जगन्नाथ विहार के बीच कोई मकान व दुकान नही है किंतु फिर भी वहां 2 क्रासिंग इसलिए बनाया गया कि एक परिचित का वहां कॉम्लेक्स बनना था व दूसरे एक चिकित्सक को भविष्य में हॉस्पिटल बनने पर फायदा हो सके यही सोचकर लाभ के उद्देश्य से बनाया गया ।
पूर्व प्राक्कलन में डिवाइडर की हाइट को कम किये जाने का 2 कारण बताया गया कि एक तो डिवाडर ऊंचा होने से दूसरी तरफ की दुकाने नही दिखेगी व इस डिवाइडरों में लगाये जाने वाले पौधों को मवेशियों द्वारा नुकसान पहुंचाने का कारण बताया गया । किंतु देखा गया कि गौरवपथ केशव कार्य को पहले के नपाध्यक्ष द्वारा वैसे भी तुष्टिकरण की नीति के तहत बर्बाद कर दिया गया था बाद में वर्तमान नपाध्यक्ष द्वारा बची खुची योजना को और बर्बाद कर दिया गया ।
कुछ चहेते व्यवसायियों को फायदा पहुंचाने 4 गुना से अधिक 53 क्रासिंग छोड़ा गया जो निहायत ही खतरनाक साबित होने लगे । इस वजह से अनेको दुर्घटनाएं हो चुकी व कई निर्दोषों ने अपनी जान गवाई । अनेक मवेशी दुर्घटनाओ के शिकार हुवे।

■क्रासिंग तो बन्द हो रहा पर मजबूती नही रहेगी■
पूर्व नपाध्यक्ष व वर्तमान नपाध्यक्ष के पति जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महिला सशक्तिकरण के उद्देश्यों की खुली धज्जियां उड़ा रहे हैं प्रशासन व कर्मचारियों को नपाध्यक्ष की जगह वही आदेश व निर्देश देते हैं ( महिला नपाध्यक्ष तो नाम की नपाध्यक्ष है ) द्वारा अपने अदूरदर्शी निर्णय , हिटलरशाही रैवैय्ये व तुष्टिकरण की नीति के चलते ठेकेदार को दबाव बनाकर बेवजह 53 क्रासिंग छुड़वा तो दिया गया पर अब 36 क्रासिंग को बन्द किये जाने को लेकर निर्माण एजेंसी का कहना है कि हमे बेवजह परेशान किया गया । उटपटांग आदेश निर्देश के चलते हमे काफी नुकसान हो रहा है । पल पल में योजनाओं में परिवर्तन कराया गया । इतने क्रासिंग नगर व लाइटिंग की सुंदरता , व्यवस्थित , सुरक्षित , सुगम यातायात के लिए उचित नही है इसकी समझाईश भी दी गई थी किंतु अड़ियल रवैये के कारण अनेक परिवर्तन मजबूरीवश करना पड़ा । आज इतनी भारी व बड़ी संख्या 36 क्रासिंगों को बन्द किये जाने के निर्माण में होने वाले खर्च हमे अनावश्यक रूप से भारी पड़ रहा है । लाखो रुपये का हमे नुकसान हो रहा है साथ ही समय की बर्बादी अलग हो रही है । पूर्व में जो डिवाइडर बनाया गया है उसके मुकाबले पुनः बनाये जा रहे डिवाइडरों की मजबूती व टिकाऊपन निश्चितरूप से कमजोर होगी । इसके लिए हम नही नगरपालिका व नपाध्यक्ष जिम्मेदार होंगे ।
पूर्व में कुछ दूरी तक बने डिवाइडर की ऊंचाई 24 से 26 इंच है जिसे नपाध्यक्ष द्वारा यह सोचकर कम कराया गया कि पौधों को मवेशी नुकसान पहुंचाएंगे व उसे परिवर्तित करते हुवे डिवाइडर की ऊंचाई सवा फिट ( 15 इंच ) कर दी गई व उसके ऊपर 21 इंच ऊंचा लोहे का पाईप लगाया जा रहा है । कुल 36 इंच ऊंचे इस लोहे के पाइप के बीच इतना गेप है व डिवाइडर की ऊंचाई भी काफी नीचे होने के कारण छोटे से छोटे मवेशी भी पाईप के अंदर मुंह डालकर पौधों को आराम से नुकसान पहुंचा सकते हैं । ऐसे में इनके द्वारा किये गए बड़े बड़े दावों की स्वतः ही पोल खुल रही है । सत्ता परिवर्तन के बाद गौरवपथ के पूर्व प्राक्कल में किये गए सभी बदलाव निराधार, निरर्थक व खर्चीले साबित हो रहे है। नगरपालिका के इन निर्णयों के नगरवासियो में भी भारी विरोध व
आक्रोश है । कुछ लोग गौरवपथ का कार्य पूर्ण होने के बाद कोर्ट में जनहित याचिका भी इंनके खिलाफ लगाए जाने बात सामने आई है ।