Traditional Games कोरबा में छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की शुरुआत

उमेश कुमार डहरिया

Traditional Games प्रतियोगिता में भाग लेने हेतु बच्चों, युवाओं, महिलाओं में दिखा उत्साह

 

Traditional Games कोरबा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर छत्तीसगढ़ के पारम्परिक खेलों की महत्ता कायम रखने, खेलों को वैश्विक पहचान दिलाने तथा लोगों में खेल के प्रति जागरूकता लाने के लिए कोरबा जिले में छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की शुरूआत हो गई है। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक आयोजन से ग्रामीण अंचलों का खेल अब गांवों से निकलकर शहरों तक पहुंचेगा। खेलों में भाग लेने के लिए गांव के बच्चों से लेकर बड़ों में उत्साह नजर आया।

Traditional Games जिले के गांव-गांव में छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के माध्यम से पारंपरिक खेल गिल्ली डंडा, दौड़, पिट्ठूल, रस्साकसी, फुगड़ी भौंरा खो-खो सहित अन्य खेलों का आयोजन किया गया है। 6 अक्टूबर से शुरू हुए छत्तीसगढ़िया ओलंपिक 6 जनवरी 2023 तक चलेगा। इस दौरान दलीय एवं एकल श्रेणी में 14 तरह के पारम्परिक खेल गिल्ली डंडा, पिट्टूल, लंगड़ी दौड़, बांटी, बिल्लस, फुगड़ी, गेड़ी दौड़, भंवरा खेल का आयोजन होगा।

Traditional Games शुरू हुए छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों एवं ग्रामीणों ने प्रतियोगिता में भाग लेकर ग्रामीणों के उत्साह को दुगना किया है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों सहित सहित अन्य नगरीय क्षेत्रों में युवा मितान क्लब स्तरीय प्रतियोगिता का शुरूआत किया गया। जिसमें गांव के युवाओं बच्चों महिलाओं सहित बुजुर्गो ने उत्साह पूर्वक हिस्सा लिया।


Traditional Games छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक की शुरूआत राजीव युवा मितान क्लब स्तर से शुरू हुई है। इसके बाद बाद जोन स्तरीय, फिर विकासखंड, नगरीय क्लस्टर स्तर, जिला, संभाग और अंतिम में राज्य स्तर खेल प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी। इस प्रतियोगिता में युवा से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हो सकते हैं।

Traditional Games पुरूषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग स्पर्धा के साथ ही टीम एवं एकल स्तर पर प्रतियोगिताएं होगी। छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक में पारम्परिक खेल प्रतियोगिताएं दो श्रेणी में होंगी। इसमें दलीय श्रेणी गिल्ली डंडा, पिट्टूल, संखली, लंगड़ी दौड़, कबड्डी, खो-खो, रस्साकसी और बांटी (कंचा) जैसी खेल विधाएं शामिल की गई हैं।

वहीं एकल श्रेणी की खेल विधा में बिल्लस, फुगड़ी, गेड़ी दौड़, भंवरा, 100 मीटर दौड़ एवं लम्बी कूद शामिल है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति व सभ्यता की विशिष्ट पहचान यहां की ग्रामीण परंपराओं और रीति रीवाजों से है। जिनमें पारंपरिक खेलों का विशेष महत्व है।

छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के आयोजन से खेलों को चिरस्थायी रखने एवं आने वाली पीढ़ी को इन खेलों की महता याद दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान निभाएंगी !

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

MENU