आज की जनधारा के वार्षिक साहित्यिक विशेषांक ग्लोबल गांव में स्त्री का विमोचन आज

आज की जनधारा के वार्षिक साहित्यिक विशेषांक ग्लोबल गांव में स्त्री का विमोचन आज

रायपुर। आज की जनधारा हर साल की तरह इस बार भी साहित्यिक वार्षिकी प्रकाशित कर रहा है। इस बार ‘ग्लोबल गांव में स्त्रीÓ नाम से इसे प्रकाशित किया गया है। इस अंक में वर्तमान परिदृश्य में महिलाओं की स्थिति और उनके संघर्ष को उकेरा गया है। 20वीं सदी में महिलाओं की कोमलता को कमजोरी का पर्याय घोषित करने वाली धारणाएं 21 वीं सदी में कमजोर पडऩे लगी है। पश्चिम के साथ ही एशियाई देशों में आधुनिक स्त्री विमर्श बनने लगा है। इसके अलावा बाजारवाद की भूमिका भी स्त्री स्वतंत्रता के साथ हावी हुई है। इस अंक में नासिरा शर्मा का लेख अरबी साहित्य व संस्कृति पर अफवाहों का नकाब, शालीनी माथुर का लेख कबीलों, चबूतरों और ओटीटी प्लेटफार्म के बीच स्त्री तृप्ता के सिंह की कहानी सेवंथ सेंस, यादवेन्द्र की कहानी बुद्ध शर्म से ढेर हो गए जैसी कई रचनाएं शामिल हैं। इन तमाम पहलुओं को समेटे हुए इस खास अंक का विमोचन देश के दो बड़े कवि विनोद कुमार शुक्ल और नरेश सक्सेना के हाथों होने जा रहा है। इस साहित्यिक वार्षिकी का संपादन भालचंद जोशी ने किया है। गुरुवार शाम राजधानी के राजेन्द्र नगर स्थित नुक्कड़ कैफे में इसका विमोचन होगा। इस मौके पर शहर के तमाम साहित्य प्रेमी मौजूद रहेंगे।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

MENU