:राजकुमार मल:
भाटापारा- सरायपाली को जिला बनाने की प्रक्रिया शुरू होने की खबर मिलते ही
भाटापारा क्षेत्र के निवासियों में एक बार फिर आक्रोश का मंजर देखा जा रहा है।
विदित हो कि सरायपाली के विधायक चातुरी नंद ने मुख्यमंत्री से मिलकर सरायपाली को स्वतंत्र जिला
बनाने की मांग की थी जिस पर अब कार्यवाही शुरू हो गई है
और वह दिन दूर नहीं जब सरायपाली स्वतंत्रता जिला के रूप में अस्तित्व में आएगा।
यह खबर मिलते ही नगर में जिले की आग फिर से सुलगने लगी है।
जनता की नजरें पूर्व विधायक पर टिकी –
2023 में विधानसभा चुनाव के दौरान पूर्व विधायक शिवरतन शर्मा ने यह घोषणा की थी कि भाजपा की सरकार आने पर
निश्चित रूप से भाटापारा को स्वतंत्र जिले का दर्जा मिलेगा इसमें कहीं कोई शक की गुंजाइश नहीं है। लेकिन अब जब सरायपाली को जिला बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है तब आम जनता की निगाहें पूर्व विधायक के ऊपर जाकर टिक गई है। उनकी कद्दावर छवि से लोग भली-भाँति परिचित है यदि वे चाहे तो भाटापारा स्वतंत्र जिला बन सकता है,लेकिन इस मुद्दे पर पूर्व विधायक की खामोशी से आम जनता में नाराजगी बढ़ती जा रही है।

वर्तमान विधायक की खामोशी चर्चा का विषय बना –
जिले के मुद्दे पर वर्तमान कांग्रेस विधायक इन्द्र साव की खामोशी आम जनता में चर्चा का विषय बना हुआ है। विपक्ष में होते हुए भी वे इन मुद्दों को नहीं उठा रहे हैं इस पर भी कई प्रकार के सवाल उन पर उठाए जा रहे हैं। लोग तो यह भी कह रहे हैं कि जब विपक्ष की विधायक चातुरी नंद सरायपाली को जिला बनाने के लिए सरकार पर दबाव बना सकती है तो वर्तमान कांग्रेस विधायक चुप क्यों है? क्षेत्र की जनता ने क्या उन्हें इसीलिए चुनकर भेजा है? विपक्ष की निष्क्रियता लोकतंत्र में कोई अच्छा संदेश नहीं माना जाता है।
44 साल से छला जा रहा है भाटापारा
स्वतंत्र राजस्व जिले के नाम पर पिछले 44 साल से भाटापारा को छला जा रहा है तत्कालीन मध्य प्रदेश से लेकर आज पर्यंत तक जिले के नाम पर क्षेत्र की जनता के साथ विश्वासघात हुआ है। यहां की ओछी राजनीति के चलते हर बार स्वतंत्र जिले की मांग पर भाटापारा को असफलता हाथ लगी है। जिले के नाम पर आम जनता सड़कों पर उतरती है,धरना होता है, विरोध प्रदर्शन होता है लेकिन यहां के कर्णधारों को इन सब बातों से कोई वास्ता नहीं जिसका खामियाजा आम जनता भुगत रही है और मूलभूत आवश्यकताओं के लिए तरस रही है।
भूपेश बघेल ने भी किया था वादा खिलाफी
2018 के आम चुनाव के दौरान तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने लोकोत्सव मैदान में घोषणा की थी कि उनकी सरकार आने पर भाटापारा को स्वतंत्र राजस्व जिले का दर्जा मिलेगा। छत्तीसगढ़ की जनता ने उन्हें सत्ता पर बिठाया लेकिन सत्ता पर बैठते ही भूपेश बघेल अपना वादा भूल गए। लगातार 5 साल तक क्षेत्र के लोग उनके संपर्क में रहे लेकिन उन्होंने भाटापारा को स्वतंत्र जिले का दर्जा नहीं दिया। आम जनता के मन में अब यह सवाल उठ रहा है क्या कांग्रेस की तरह भाजपा भी यहां की जनता को छलने का काम कर रही है। जिस प्रकार भूपेश बघेल अपने वादे से मुकर गए क्या इसी प्रकार भाजपा भी मुकर जायेगी?