फिर एक शिक्षक की हुई शिकायत… निजी कंपनी में काम करने का आरोप… ऐसे ही मामले में प्राचार्य हो चुके है निलंबित

इन घटनाओं व शिकायतों से यह स्पष्ट हो गया है क्षेत्र में अनेक शासकीय सेवक इस तरह निजी कंपनियों से जुड़ कर आर्थिक लाभ उठा रहे है । कुछ शासकीय सेवक तो अपनी पत्नी , भाई , पुत्र आदि के नाम से कम्पनियों की एजेंसी लेकर स्वयं को कार्य करते देखा जा सकता है । इस तरह की शिकायतें शिक्षा विभाग में अधिक आ रही है ।


इनकी सरकारी नौकरी में दिलचस्पी कम व निजी कंपनियों से जुड़कर आर्थिक लाभ लेने की लालच कम नही हो रहा है । शासन द्वारा शासकीय सेवको को भारी भरकम वेतन के साथ साथ अनेक सुविधाओ के बावजूद इन्हें पैसों की भूख खत्म नही हो रही है । जबकि अधिकांश शिक्षक स्थानीय हैं व आर्थिक रूप से सक्षम भी बताए जाते हैं ।


इस संबंध में भूषण साहू द्वारा विकास खंड शिक्षा अधिकारी को प्रमाणित जानकारी के साथ किये गए लिखित शिकायत में कहा गया है कि शासकीय प्राथमिक शाला डुमरपाली में पदस्थ सहायक शिक्षक जितेंद्र साहू पर निजी ऑनलाइन मार्केटिंग करने का गंभीर आरोप लगा है। आरोप है कि शिक्षक सरकारी आदेशों की अनदेखी कर “ASR” नामक कंपनी के प्रचार-प्रसार और नेटवर्किंग के कार्य में पूरी तरह समर्पित होकर कार्य कर रहे हैं ।

वहीं ASR के कार्यालय भी उपस्थित होकर प्रमाणपत्र या सम्मानपत्र लेते हुवे दिखाई दे रहे हैं । तो वहीं कुछ फोटोग्राफ्स में बाराडोली के स्कूल में प्राचार्य पद पर रहे व वर्तमान में निलंबित रूपानंद पटेल भी दिखाई दे रहे हैं । इससे यह प्रमाणित होता है की दोनो शिक्षक इस निजी संस्था से जुडे होने का प्रमाणित सिद्ध होता है ।


शिकायतकर्ता भूषण साहू का कहना है कि शिक्षक जितेंद्र साहू विद्यालयीय दायित्वों की उपेक्षा करते हुए निजी व्यवसायिक गतिविधियों में अधिक समय दे रहे हैं। उनके खिलाफ वीडियो और स्क्रीनशॉट जैसे साक्ष्य भी संलग्न किए गए हैं, जिनसे यह साबित होता है कि वे शासकीय सेवा में रहते हुए व्यावसायिक प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।


शिकायत में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि शिक्षकों को बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए, लेकिन कई मामलों में देखा जा रहा है कि अब शिक्षक अपनी सरकारी नौकरी से संतुष्ट नहीं हैं और निजी धंधों की ओर रुख कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारी सेवा के बावजूद अतिरिक्त कमाई की चाह उन्हें ऐसे कामों की ओर धकेल रही है। नियमों के अनुसार शासकीय कर्मचारी किसी भी प्रकार का व्यवसाय, व्यापार या निजी लाभ के लिए प्रचार-प्रसार नहीं कर सकते।

ऐसे मामलों में अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान है तो वहीं शिक्षकों के इस कृत्य से शिक्षा व्यवस्था पर असर व स्तर पर भी प्रभाव पड़ता है ।


ग्रामीण अंचल के अभिभावकों का कहना है कि जब शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़कर निजी धंधों में लग जाते हैं, तो बच्चों की पढ़ाई सबसे अधिक प्रभावित होती है। बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पाती, समय पर कक्षाएं संचालित नहीं हो पातीं और परिणामस्वरूप शिक्षा का स्तर गिरने लगता है। शिक्षक यदि पढ़ाई की बजाय ऑनलाइन मार्केटिंग और प्राइवेट धंधों में समय देंगे, तो बच्चों के भविष्य पर संकट आता है ।

राज्य शासन समय-समय पर शिक्षकों को यह निर्देश जारी करता है कि वे किसी भी प्रकार की व्यावसायिक गतिविधि से दूर रहें और पूरी निष्ठा से शैक्षणिक गतिविधियों में संलग्न हों। शिकायत में कहा गया है कि सहायक शिक्षक साहू इन आदेशों की खुली अवहेलना कर रहे हैं।
यदि आरोप सत्य पाए जाते हैं, तो यह न केवल शासकीय सेवा नियमों का उल्लंघन है, बल्कि शिक्षा विभाग की साख पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।

शिकायत पत्र 25 अगस्त 2025 को प्रस्तुत किया गया है। अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग इस पर कितनी शीघ्रता और गंभीरता से कार्रवाई करता है।

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *