नई दिल्ली। भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ी छलांग लगाई है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने अमेरिकी कंपनी GE Aerospace के साथ एक अहम समझौता किया है, जिसके तहत अब देश में ही अत्याधुनिक लड़ाकू विमान के इंजन बनाए जाएंगे। इन इंजनों का इस्तेमाल भारतीय वायुसेना के भावी तेजस Mk2 लड़ाकू विमानों में किया जाएगा।
यह करार केवल एक डिफेंस डील भर नहीं है, बल्कि यह भारत के लिए विदेशी तकनीक पर निर्भरता घटाने और स्वदेशी रक्षा उत्पादन को नई ऊँचाइयों तक ले जाने वाला ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
क्या है तेजस Mk2 और क्यों है अहम?
भारत ने अपने स्वदेशी लड़ाकू विमान कार्यक्रम के तहत पहले तेजस Mk1 तैयार किया था। अब उसका अगला और ज्यादा आधुनिक संस्करण — तेजस Mk2 — विकसित किया जा रहा है।
यह विमान न केवल ज्यादा शक्तिशाली इंजन से लैस होगा, बल्कि इसमें
- लंबी दूरी तक उड़ान भरने की क्षमता,
- अधिक हथियार ले जाने की क्षमता, और
- अत्याधुनिक एवियोनिक्स और तकनीक
भी शामिल होंगी। तेजस Mk2 के शामिल होने से भारतीय वायुसेना (IAF) को आधुनिक चुनौतियों का सामना करने में और मजबूती मिलेगी।
HAL का लक्ष्य: हर साल 30 विमान
HAL के अनुसार, कंपनी का लक्ष्य भारतीय वायुसेना को हर साल 30 तेजस Mk2 लड़ाकू विमान सौंपने का है। इससे पुराने हो चुके MiG-29, Mirage-2000 और Jaguar विमानों की कमी समय पर पूरी की जा सकेगी। अनुमान है कि वायुसेना का अंतिम ऑर्डर 200 से अधिक विमानों का हो सकता है।
पुराने जेट्स की जगह लेगा तेजस Mk2
भारतीय वायुसेना आने वाले वर्षों में अपने पुराने जेट्स को चरणबद्ध तरीके से रिटायर करने जा रही है। इनमें शामिल हैं:
- रूस का MiG-29,
- फ्रांस का Mirage-2000,
- और एंग्लो-फ्रेंच का Jaguar।
इनकी कुल संख्या लगभग 230 है। इनके स्थान पर आधुनिक तेजस Mk2 वायुसेना की रीढ़ बनेगा।
रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम
विशेषज्ञों का मानना है कि HAL और GE Aerospace का यह करार भारत की डिफेंस इंडस्ट्री को नई पहचान देगा। यह न केवल आत्मनिर्भर भारत के विज़न को मजबूत करेगा, बल्कि आने वाले समय में भारत को रक्षा निर्यातक देश के रूप में भी स्थापित कर सकता है।