नेपाल में Gen-Z आंदोलन के बीच सुशीला कार्की बनीं अंतरिम नेतृत्व की पहली पसंद

काठमांडू । Gen-Z के नेतृत्व में हुए बड़े विद्रोह और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद अब हालात धीरे-धीरे काबू में आते दिख रहे हैं। देश की मौजूदा व्यवस्था को संभालने के लिए अंतरिम कार्यकारिणी के गठन की चर्चा तेज हो गई है। अंतरिम हेड के रूप में नेपाल की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम सबसे आगे चल रहा है।

वर्चुअल मीटिंग में चुनी गईं नेता

बुधवार को जारी प्रदर्शनों के बीच Gen-Z आंदोलनकारियों ने एक वर्चुअल बैठक आयोजित की। इसमें करीब 5 हज़ार से अधिक युवाओं ने हिस्सा लिया। बैठक में सर्वसम्मति से सुशीला कार्की को अंतरिम नेता (Interim PM) के रूप में चुना गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुशीला कार्की ने भी इस जिम्मेदारी को संभालने के लिए सहमति दे दी है।

कौन हैं सुशीला कार्की?

सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश रही हैं। उन्होंने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) से राजनीति शास्त्र में मास्टर्स डिग्री हासिल की। साल 1979 में उन्होंने वकालत से अपने करियर की शुरुआत की और 11 जुलाई 2016 से 6 जून 2017 तक नेपाल की मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहीं।

भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त छवि

सुशीला कार्की की पहचान एक ऐसी जज के रूप में रही है, जो भ्रष्टाचार को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करतीं। साल 2006 में वह संवैधानिक मसौदा समिति की सदस्य भी रही थीं। हालांकि 2017 में उन पर कार्यपालिका में हस्तक्षेप का आरोप लगाकर महाभियोग भी लाया गया था और उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था। इसके बावजूद जनता के बीच उनकी साफ-सुथरी और सख्त छवि आज भी बनी हुई है।

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