Sushasan Tihaar
छत्तीसगढ़ सरकार का सरकार की कल्याणकारी योजनाओं , कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की जमीनी सच्चाई को जानने , समाधान पेटी के ज़रिए लोगों की मांगों और शिकायतों को जानकर उस पर कार्रवाई करने और लोगों से मिलने , औचक निरीक्षण का तीन चरण में संचालित सुशासन तिहार ने बहुतो को राहत दी है और जनता में अपेक्षाओं का संचार किया है । मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के शब्दों में “ सुशासन तिहार के अनुभव मेरे जीवन की मूल्यवान थाती है ।”
सीएम ने सुशासन तिहार के तीसरे चरण में 27 दिन में 33 जिलों का दौरा किया। साथ ही 100 से अधिक घोषणाएं की, जो आने वाले दिनों में क्षेत्र के लिए उपयोगी साबित होगी। सुशासन तिहार के तीसरे चरण में सीएम का सख्त और नरम रुख भी देखने को मिला। 33 जिलों के कामकाज की समीक्षा के लिए 13 बैठके की। 27 दिन के सुशासन तिहार में 41लाख 21000 से अधिक आवेदन मिले जिनमें ग्रामीण इलाक़ों से 3844250 तथा शहरीय इलाक़ों से 276792 आवेदन मिले । सबसे ज़्यादा 4040147 आवेदन मांगों से संबंधित थे । 80895 आवेदन शिकायतों से संबंधित थे।
सबसे ज्यादा मांगे और शिकायतें रायपुर शहर से आई हैं। यहां 2.89 लाख लोगों ने मांग के लिए, जबकि 8,765 शिकायती आवेदन दिया है। बिलासपुर में 5,964 और धमतरी में 4,590 शिकायतें मिली हैं। जबकि बलौदा बाजार 2.36 लाख और धमतरी में 2.23 लाख मांग के आवेदन मिले हैं। मुख्यमंत्री साय ने 19 गांवों का औचक्क निरीक्षण किया। जन चौपाल लगाकर लोगों से सीधे बात की। सुशासन तिहार के पहले चरणः 8-11 अप्रैल आम लोगों की 1 समस्याओं और मांगों से जुड़े आवेदन लिए गए। इसके लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन व्यवस्था की गई थी । 2 चरण में जनता से मिले आवेदनों के आधार पर सभी विभागों ने एक महीने तक अभियान चलाकर समस्या दूर करने का काम किया।तीसरा और अंतिम चरण जो 5 से से 31 मई तक चला उसमें लोगों से मिलकर उनकी बातें सुनी गई ।
सुशासन तिहार के बहाने जमीनी सच्चाई जानने निकले मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को जल जीवन मिशन की नल जल योजना में भ्रष्टाचार और लेटलतीफ़ी कीं सर्वाधिक शिकायत मिली ।प्रेस से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री स्वयं कहते हैं कि पिछली कांग्रेस सरकार के वक्त नल जल योजना के अमल में व्यापक गड़बड़ियां हुईं हैं। गांव में टंकी बन गई है, तो पाइप लाइन नहीं बिछी है। टंकी बन गई, पाइप बिछ गई और घर में टोटी लग चुकी है, पर पानी कहां से आएगा उसके स्त्रोत का पता नहीं है। इस वजह से लाखों लोग परेशान हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए जिम्मेदारी तय कर कार्रवाई भी चालू कर दी गई है। जब तक गांव के लोगों को पानी नहीं मिलेगा, ठेकेदारों को भुगतान नहीं करने के आदेश हुए हैं।यहां विचारणीय बात यह भी है कि छत्तीसगढ़ में कई इलाकों में भूजल स्तर लगभग 600 फुट तक नीचे चला गया है। लोग पीने के पानी के लिए परेशान हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ में अभी तक जल जीवन मिशन के 81.08 फीसदी घरों में नल कनेक्शन लगा जीवन मिशन के कार्यों का आकलन किया। इसमें सबसे पिछड़ा जिला नक्सल प्रभावित क्षेत्र बीजापुर है। इसका भारत में 678 वां रैंक है। हालांकि केंद्र सरकार ने योजना को 2028 तक के लिए बढ़ा दिया है।
छत्तीसगढ़ की 32,215 योजनाओं में से 1,045 योजनाएं जल स्रोत से से जुड़ी नहीं है. शिक्षा , स्वास्थ्य , सड़क , सुशासन की बात करने वाली भाजपा की सरकार के लिए 2020 से लागू नई शिक्षा नीति को लागू करने की सबसे बड़ी चुनौती है ।सरकार ने शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण का जो आदेश जारी किया है उसके विरोध स्वरूप शिक्षक क्रमिक हड़ताल पर हैं । इस बीच सरकार ने स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के प्रथम चरण में 5,000 पदों पर होगी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है ।
मुख्यमंत्री का कहना है कि रोजगार की समस्या के निराकरण के लिए सरकार की ओर से अनेक प्रयास किए गए हैं।
नई औद्योगिक नीति में प्रावधान किया गया है कि जो उद्योग स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार देंगे, उनको विशेष सहूलियत प्रदान की जाएगी। इसके अलावा सरकारी स्तर पर विभिन्न विभागों में रिक्त पदों पर भर्तियां की जा रही हैं। छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ एवं प्रभावशील बनाने के लिए शिक्षकों के रिक्त पदों पर चरणबद्ध भर्ती की जाएगी। प्रथम चरण में 5,000 शिक्षकों की भर्ती होगी। इस निर्णय से प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययन अध्यापन व्यवस्था को गति मिलेगी और विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त होगी। शिक्षकों के रिक्त पदों पर भर्ती को लेकर विभागीय स्तर पर तैयारियां प्रारंभ कर दी गई हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण पहल की जा रही है। इन्हीं पहल में शामिल है शालाओं एवं शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है । इसके पूरा होने के बाद शिक्षकों के रिक्त पदों का आकलन कर नई भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
राज्य की 30,700 प्राथमिक शालाओं में औसतन 21.84 बच्चे प्रति शिक्षक हैं और 13,149 पूर्व माध्यमिक शालाओं में 26.2 बच्चे प्रति शिक्षक हैं, जो कि राष्ट्रीय औसत से कहीं बेहतर है। हालांकि 212 प्राथमिक स्कूल अभी भी शिक्षक विहीन हैं और 6,872 प्राथमिक स्कूलों में केवल एक ही शिक्षक कार्यरत है। पूर्व माध्यमिक स्तर पर 48 स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं और 255 स्कूलों में केवल एक शिक्षक है। 362 स्कूल ऐसे भी हैं जहां शिक्षक तो हैं, लेकिन एक भी छात्र नहीं है। इसी तरह शहरी क्षेत्र में 527 स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात 10 या उससे कम है। 1,106 स्कूलों में यह अनुपात 11 से 20 के बीच है। 837 स्कूलों में यह अनुपात 21 से 30 के बीच है। लेकिन 245 स्कूलों में यह अनुपात 40 या उससे भी ज्यादा है, यानी छात्रों की दर्ज संख्या के अनुपात में शिक्षक कम हैं।
युक्तियुक्तकरण के अंतर्गत जिन स्कूलों में ज्यादा शिक्षक हैं लेकिन छात्र नहीं, वहां से शिक्षकों को निकालकर उन स्कूलों में भेजा जा रहा है, जहां शिक्षक नहीं हैं। इससे शिक्षक विहीन और एकल शिक्षक वाले स्कूलों की समस्या दूर होगी। स्कूल संचालन का खर्च भी कम होगा और संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा। एक ही परिसर में ज्यादा कक्षाएं और सुविधाएं मिलने से बच्चों को बार-बार एडमिशन लेने की जरूरत नहीं होगी। यानी एक ही परिसर में संचालित प्राथमिक, माध्यमिक, हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल संचालित होंगे तो प्राथमिक कक्षाएं पास करने के बाद विद्यार्थियों को आगे की कक्षाओं में एडमिशन कराने की प्रक्रिया से छुटकारा मिल जाएगा। इससे बच्चों को पढ़ाई में निरंतरता बनी रहेगी। बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर (ड्रॉपआउट रेट) भी घटेगी। अच्छी बिल्डिंग, लैब, लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं एक ही जगह देना आसान होगा। शालाओं के युक्तियुक्तकरण के तहत राज्य के कुल 10,463 स्कूलों में से सिर्फ 166 स्कूलों का समायोजन होगा। इन 166 स्कूलों में से ग्रामीण इलाके के 133 स्कूल ऐसे हैं, जिसमें छात्रों की संख्या 10 से कम है और एक किलोमीटर के अंदर में दूसरा स्कूल संचालित है। इसी तरह शहरी क्षेत्र में 33 स्कूल ऐसे हैं, जिसमें दर्ज संख्या 30 से कम हैं और 500 मीटर के दायरे में दूसरा स्कूल संचालित है। इस कारण 166 स्कूलों को बेहतर शिक्षा के उद्देश्य से समायोजित किया जा रहा है, इससे किसी भी स्थिति में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी। शेष 10,297 स्कूल पूरी तरह से चालू रहेंगे।बस्तर में सुशासन त्योहार के दौरान नक्सल मोर्चे पर डटे जवानों और प्रभावित गाँवों के लोगों से मिले फीडबैक और उत्साह को देखते हुए मुख्यमंत्री नक्सलवाद के शीघ्र ख़ात्मे को लेकर काफ़ी उत्साहित हैं । वे कहते हैं कि बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सल ऑपरेशन तेजी से चलाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के संकल्प देश को मार्च 2026 में नक्सल मुक्त करने की दिशा में पूरा अभियान चल रहा है। नक्सलियों से वार्ता के संबंध में उन्होंने कहा कि बातें – हवा में नहीं होती। सरकार अब नक्सलियों से वार्ता के मूड में नहीं दिख रही है ।
सुशासन तिहार के दौरान कुछ अच्छे फीडबैक भी सुनने , देखने मिले पी डी एस यानी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तर्गत राशन वितरण को लेकर कोई शिकायत नहीं मिली । प्रधानमंत्री आवास योजना और उज्जवला योजना के अन्तर्गत सर्वाधिक आवेदन आये जो शीघ्र मंजूर हो जायेगे ।
धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर धान की ख़रीदारी और बोनस देना बंद नहीं होगा , यह बात भी मुख्यमंत्री ने लोगों को बताई । आयुष्मान योजना ,
प्रधानमंत्री आवास योजना से बन रहे आवासों से लोग खुश नज़र आये । बड़ी संख्या में बन रहे आवासों की वजह से राज मिस्त्री , रेज़ा कुली का काम बढ़ गया है , कई जगह इनकी कमी की वजह से मकान बनने में विलंब हो रहा है ।