Story Of Tawaif : आखिर कैसे छीन गया कोहिनूर, कहानी एक तवायफ की….
Story Of Tawaif : नई दिल्ली: दिल्ली के इतिहास में मुगलों के बारे में बहुत कुछ लिख दिया गया है, लेकिन एक ऐसी तवायफ भी थी, इसकी वजह से कोहिनूर इंडिया से दूर हो गया। मुगलों के हाथों से कोहिनूर छिन चुका है। उस तवायफ का नाम था नूर बाई।
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Story Of Tawaif : जैसा नाम वैसी शक्ल। नूर अपनी बेपनाह खूबसूरती और अदाओं की वजह से रईस और ताकतवर लोगों के मध्य खास पहुंच रखती थी। यही वजह थी कि वर्ष दर वर्ष उसका रुतबा बढ़ता गया।पुरानी दिल्ली की हवेली में रहने वाली नूर के चर्चे मुगल बादशाह नसीरुद्दीन मुहम्मद शाह तक पहुंचे।
शराब और शबाब में डूबा रहने वाला बादशाह भी नूर बाई का कद्रदान हो चुका है। धीरे-धीरे नूर बाई की पहुंच सीधे बादशाह तक होने लगी। यह वो दौर था जब मुगलों की ताकतकी शक्ति, रुतबा और खजाना तेजी से घट रहा था। नादिर शाह इसका पूरा लाभ उठाने को तैयार था।
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नूर बाई का रुतबा और भी ज्यादा बढ़ गया: दिल्ली में जब नूर बाई की चर्चा भी शुरू कर दी गई है आसानी से नहीं थमती थी। लोग उसकी खूबसूरती के कायल थे। मुगल बादशाह किस कदर उसका दीवाना था यह इस बात से समझ सकते है
कि उसकी हवेली के बाहर मुगलों के हाथी खड़े हो जाते है। बादशाह की तरफ से बेशकीमती तोहफे मिलते थे। जब वो हाथी पर बैठकर दिल्ली की सड़कों पर निकलती थी तो देखने वालों की भीड़ लग जाया करती थी।
पता चलते ही नीयत बदल गई: वक़्त के साथ नूर और मुगल बादशाह मुहम्मद शाह ‘रंगीला’ के मध्य करीबी बढ़ती ही चली जा रही है। इस दौरान नूर को पता चला कि बादशाह अपनी पगड़ी में हीरा रखते हैं। यह सुनते ही नूर के मन में लालच पनपने लग गया है
और उसकी नीयत बदल गई। 1739 में ईरानी बादशाह नादिर शाह ने सल्तनत के 13वें बादशाह रंगीला से सिंहासन छीन लिया, लेकिन 56 दिन के उपरांत ईरान वापसी लौटने का निर्णय कर लिया। इस बीच नादिर ने बादशाह के खजाने को लूटा।
हर वो चीज अपने पास रख ली जो उसे पसंद आ गयी। और अंत में ईरान निकलते वक्त हिन्दुस्तान की कमान वापस मोहम्मद शाह को सौंपने तक मकई बात कर ली।
यूं मुगलों से छिन गया कोहिनूर: बता दें कि दरबार में मजमा लग गया और यहां पर कुछ ऐसा हुआ जो सिर्फ कुछ ही लोगों को समझ आ गया। नादिर शाह ने कमान वापस देने और शांति समझौते के नाम पर बादशाह को बुला लिया था। नादिर ने चालाकी दिखाई और रिवाज का हवाला देते हुए पगड़ी बदलने की बात भी बोली है।
बादशाह के पास नादिर को न बोलने वाला कोई विकल्प नहीं था क्योंकि उसे बड़ी आसानी से खोई हुई सत्ता वापस मिल रही थी। इसलिए उसने पगड़ी बदलने की बात पर मुंह बंद रखा। इस धोखे की पटकथा लिखी थी नूर बाई ने।
कई इतिहासकारों का इस बारें बोलना है कि नूर बादशाह को पसंद नहीं करती थी। इसलिए उसने हीरे को ताकतवर नादिर को दिलाकर उसकी नजर में उसका करीबी बनने की कोशिश की। नूर बाई ने ही नादिर को बताया कि दुनिया का सबसे नायाब हीरा बादशाह की पगड़ी में है। इस तरह मुगल बादशाह के हाथ से कोहिनूर चला गया जो उसके लिए किसी बेशकीमती खजाने से कम नहीं कहा गया है।