रमेश गुप्ता
Steel City Bhilai नए कलेवर में जल्द नजर आएगी 60 साल पुरानी मस्जिद
Steel City Bhilai भिलाई। इस्पात नगरी भिलाई में 60 साल पहले अनूठी डिजाइन के साथ बनाई जामा मस्जिद सेक्टर-6 जल्द ही नए कलेवर में नजर आने वाली है। जामा मस्जिद के संचालन कर रही भिलाई नगर मस्जिद ट्रस्ट की निगरानी में मशहूर आर्किटेक्ट हाजी एमएच सिद्दीकी और उनकी टीम इस मस्जिद का चेहरा संवारने में जुटी हुई है।
Steel City Bhilai अरबी में लिखे ‘या अल्लाह’ की वजह से चर्चित रही इस मस्जिद का विस्तारीकरण और सौंदर्यीकरण दोनों किया जा रहा है। जिससे इस मस्जिद की खूबसूरती में और भी निखार आएगा।
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Steel City Bhilai उल्लेखनीय है यह डिजाइन बीते 60 सालों से लोगों को आकर्षित करती रही है। नतीजा, यह है कि इस मस्जिद की डिजाइन के आधार पर हूबहू ऐसी ही मस्जिद सऊदी अरब में अलनमास के अलभा में मौजूद है। वहीं भारत में बेंगलुरू (कर्नाटक) और बिहार में सीवान के फिरोजपुर में भी ऐसी ही मस्जिद बनाई गई।
Steel City Bhilai इसके अलावा देश और दुनिया भर में जारी होने वाले उर्दू कैलेंडर पर भी सेक्टर-6 भिलाई की इस मस्जिद की तस्वीर बीते 60 सालों से प्रमुखता के साथ इस्तेमाल हो रही है।
बदलते दौर में भिलाई नगर मस्जिद ट्रस्ट ने नमाजियों की बढ़ती तादाद को देखते हुए मस्जिद के विस्तारीकरण व सौंदर्यीकरण का फैसला लिया था। इसके बाद पिछले दो दशक से विभिन्न चरणों में इस मस्जिद का विस्तारीकरण किया गया।
जिससे मीनार के नीचे मौजूद हौज को बंद किया गया और अलग से वुजू खाना बनाया गया। इस दौर में नमाजियों के लिए मस्जिद के बाहरी हिस्से में कोई छत नहीं थी, लिहाजा मस्जिद ट्रस्ट की ओर से हर साल ठंड की विदाई से बारिश तक के लिए करीब 8 माह तक तिरपाल की अस्थाई छांव की जाती थी।
इस अस्थाई व्यवस्था के दौर में आर्किटेक्ट हाजी एमएच सिद्दीकी इस मस्जिद के सामने सहन बनाने का प्रस्ताव दिया था। तब कमेटी की यह मंशा थी के जामा मस्जिद कुछ और ज्यादा ही आलीशान दिखे। इसके लिए आर्किटेक्ट फजल फारूकी के दिए नक्शे को कमेटी ने पसंद किया और इसके आधार पर सहन (सामने का हिस्सा) बनकर तैयार हुआ।
इस दौरान हिस्से के आर्च (कमान) पर मार्बल और सीमेंट की जाली या फिर ग्लास वर्क का सुझाव आया। ऐसे में मस्जिद के सौंदर्यीकरण का काम हाजी एमएच सिद्दीकी को दिया गया। हाजी सिद्दीकी ने यहां पहले की तरह अरबी लिपि में लिखा हुआ ‘या अल्लाह’ स्पष्ट तौर पर दर्शाने डिजाइन में कुछ और बदलाव किया।
वहीं सहन के तीनों तरफ छज्जा निकाला गया और साथ ही सीढ़ियों की जगहों पर दो कमरे बनाए गए। वहीं भविष्य में यहां आकर्षक रंगीन रौशनी के साथ फव्वारे लगाने की भी योजना है।
तब लोग दुर्ग जाते थे, सेक्टर-1 में भी होती थी नमाज
Steel City Bhilai इस्पात नगरी भिलाई के अस्तित्व में आने से पहले वर्तमान टाउनशिप और कारखाने की जगह 45 से ज्यादा गांव थे। जहां बहुत से स्थानीय मुस्लिम परिवार भी रहा करते थे। तब यहां इन गांवों में कोई बड़ी मस्जिद नहीं थी। इसलिए यहां के गांवों के मुसलमान दुर्ग की जामा मस्जिद या फिर ईदगाह दुर्ग में नमाज अदा करते थे।
Steel City Bhilai भिलाई के निर्माण के साथ ही यहां देश भर से अलग-अलग धर्म, मत व संप्रदाय के लोगों का आना हुई। तब टाउनशिप बन रहा था और व्यवस्थित धर्मस्थल नहीं थे। ऐसे में मुस्लिम समुदाय के लोग सुपेला, कैंप, बोरिया व खुर्सीपार सहित -अलग हिस्सों में खुले में नमाज अदा करते थे।
वहीं दोनों ईद की नमाज या मुस्लिम समुदाय का कोई भी बड़ा जलसा सेक्टर-1 के मौजूदा क्लब के सामने मैदान में आयोजित करते थे। वर्ष 1960 में तत्कालीन भिलाई स्टील प्लांट मैनेजमेंट ने सभी धार्मिक स्थलों के लिए सेक्टर-6 में भूमि आवंटन किया। जिसमें मस्जिद के लिए मौजूदा स्थान आवंटित किया गया।
हैदराबाद के आर्किटेक्ट ने बनाई है मूल डिजाइन,1967 में हुई पहली नमाज
Steel City Bhilai भिलाई नगर मस्जिद ट्रस्ट के बैनर तले वर्ष 1964 में मस्जिद का निर्माण शुरू किया गया। इस मस्जिद की अनूठी डिजाइन हैदराबाद के सिद्दीकी एंड एसोसिएट फर्म के प्रमुख खैरुद्दीन अहमद सिद्दीकी ने दी थी। बाद के दौर में यह डिजाइन इतनी मशहूर हुई कि देश-विदेश में इसी डिजाइन पर मस्जिद बनाई गई।
Steel City Bhilai भिलाई की इस मस्जिद का निर्माण कार्य तीन साल चला और 31 मार्च 1967 शुक्रवार को पहली जुमा की नमाज पढ़ी गई। तब से यहां नमाज का सिलसिला जारी है। इस मस्जिद में शुरुआती दौर में अलग-अलग इमामों ने अपनी खिदमत को अंजाम दिया। जनवरी 1970 से दिसंबर 2013 तक हाजी हाफिज सैयद अजमलुद्दीन हैदर यहां इमाम रहे। उनके बाद से हाफिज इकबाल अंजुम हैदर यहां इमामत कर रहे हैं।
ट्रस्ट की निगरानी में चल रहा है तेजी से काम
जामा मस्जिद सेक्टर-6 के सौंदर्यीकरण व विस्तारीकरण का कार्य भिलाई नगर मस्जिद ट्रस्ट की निगरानी में चल रहा है। ट्रस्ट के पदाधिकारियों में सदर हाजी जमील अहमद, नायब सदर हाजी एम आर अंसारी, मकसूद अहमद, मोहम्मद इब्राहिम, हाजी अब्दुल हक, अब्दुल जाकिर खान, सेक्रेटरी हाजी मिर्जा अशरफ बेग, नायब सेक्रेटरी मोहम्मद मुर्तजा हुसैन, मिर्जा आसीम बेग, मोहम्मद इमरान खान, हाजी नूर मोहम्मद सिद्दीकी, खजांची सैयद हुसैन, नायब खजांची मोहम्मद अजहर, मेंबर हाजी मोहम्मद हमीदुल्लाह, सैयद आतिफ अली, असदुद्दीन हैदर, जफर जावेद, अब्दुल तहूर पवार, हाजी जुल्फिकार अहमद, शाहिद हुसैन, मोहम्मद अलीम सिद्दीकी,
Steel City Bhilai हाजी एमएच सिद्दीकी, हाजी मोहम्मद जमीर, जुल्फिकार अली, हाजी अरमान बेग, शेख जमील कुरैशी, हाजी अब्दुल शाहिद खान, फत्ते मोहम्मद, शेख वाहिद अहमद, निजामुद्दीन खान, शमीम अहमद, हाजी अब्दुल कलाम नियाजी, अब्दुल रफीक, मोहम्मद मुमताज अली, मोहम्मद इलियास, अब्दुल नसीम खान और शमशेर खान इस वृहद स्तरीय कार्य को अंजाम देने जुटे हुए हैं।