श्रीमद् भागवत भगवान श्री कृष्ण का साक्षात वांग्मय स्वरूप है- आचार्य राजेंद्र

सक्ति l सक्ति नगर में भव्य कलश यात्रा के साथ , पितृ मोक्षार्थ श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह यज्ञ का शुभारंभ बड़ी ही आस्था और श्रद्धा के साथ किया गया l प्रथम दिन नगर के सैकड़ो नागरिकों एवं स्त्री पुरुषों ने कलश यात्रा में भाग लेकर भागवत के प्रति अपने आस्था प्रकट की l


आचार्य के द्वारा वेद मंत्र वचन के साथ नगर के शक्तिपीठ महामाया देवी की पूजा आरती तथा वरुण का आवाहन किया गया l पुराण की स्थापना एवं वेदी पूजन उपरांत व्यास पीठ से आचार्य राजेंद्र महाराज जी द्वारा श्रीमद् भागवत कथा महात्मा का वर्णन किया गया l
आचार्य ने बताया कि श्रीमद् भागवत भगवान श्री कृष्ण का साक्षात वांग्मय स्वरूप है , द्वापर युग के अंत में श्री कृष्ण ने अपना श्री विग्रह इसी श्रीमद् भागवत महापुराण में तिरोहित किया था l
भागवत का प्राकट्य सरस्वती नदी के तट पर व्यास आश्रम में हुआ l इस महापुराण के द्वादश स्कंध , 335 अध्याय और 18000 श्लोक है , जिनमें श्रवण मात्र से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है l यह महापुराण एक शाश्वत संहिता भी है जिससे संपूर्ण विश्व का कल्याण होता है l
भागवत महात्म का वर्णन 6 अध्यायों में किया गया है l इसी महापुराण का आश्रय लेकर भक्ति देवी के दोनों पुत्र ज्ञान और वैराग्य को तरुण अवस्था प्राप्त हुई थी , उनकी जरावस्था दूर हुई थी l भयंकर प्रेत योनि में पड़ा हुआ धुंधकारी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी , और राजा परीक्षित को सद्गति की प्राप्ति हुई थी l
आचार्य राजेंद्र जी महाराज ने बताया कि वेद तथा श्रुतियां सबका कल्याण करती है , गंगा सबको पवित्र करती हैं , किंतु श्रीमद् भागवत कथा तो इन सबका भी मंगल करती है l और यही इस संसार का सबसे बड़ा सत्कर्म है l
प्रथम दिवस श्रीमद् भागवत कथा महात्मा श्रवण करने हेतु नरेश रीना गेवाडिन , श्रीमान जगदीश बंसल , संजय अग्रवाल एवं नगर के गणमान्य नागरिक सैकड़ो की संख्या में उपस्थित थे l पितृ मोक्षरत श्रीमद् भागवत के आयोजन श्रीमती अनीता देवी राम नारायण गौतम एवं उनके परिवार के द्वारा प्रतिदिन अधिक से अधिक संख्या में कथा श्रवण करने की अपील की गई है l

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