विशेष आलेख- बस्तर का अंतर्मुखी आदि-मन और वाहय हस्तक्षेप

अनुपम कुमार जोफर
पानी में उठे बुलबुले धीरे-धीरे लहर बचते गए यह लहर वर्तमान में एक तेज बहाव में बदलती जा रही है, इस बहाव का रोज प्रवाह बस्तर की सुख्य वादियों में धधकती आग और गूंजती गोलियों को काटते हुए निरंतर फैल रही है। तेज प्रवाह का असर यहां की आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक परिवेश में स्पष्ट दिखाई देना प्रारंभ हो गया है।

सर्वप्रथम 1960 में दक्षिण बस्तर के कोटा में लाल झण्डे से युक्त साईकिल जुलूस निकला था तब सी.पी. आई. (एम.एल.) प्रतिबंधित नही था फलस्वरूप जिला प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया परिणामत: सम्पूर्ण बस्तर में पीपुल्स वार ग्रुप के विभिन्न दलम अस्तित्व में आकर लाल आतंक के पर्याय बन गए।
केंद्रीय मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साव ने 2026 तक सम्पूर्ण बस्तर संभाग को पूर्णत: नक्सली मुक्त करने का निश्चय किया है, जिसे हासिल करने के लिए पुलिस और सुरक्षा बल निरंतर सैन्य अभियान चला रहे हंै और आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को विकास, पुनर्वास व रोजगार के अवसर प्रदान कर रहे हैं। परिणामत: नक्सली गतिविधियां बहुत हद तक नियंत्रित हो गयी है व परिवर्तन की चमक क्षेत्र में दिखाई पडऩे लगी है।

सम्पूर्ण बस्तर के पिछड़े हुए क्षेत्र में विशेषकर दक्षिण-पश्चिम बस्तर में पीपुल्स वार ग्रुप की समानांतर सत्ता स्थापित थी आज यह सत्ता बिखर चुकी है। क्षेत्र में सुधारवादी बदलाव विशेषकर शिक्षा, स्वास्थ्य एवं आवागमन के क्षेत्र में मौलिक विकास दिखाई पडऩा आरंभ हो गया है। गुरिल्ला फौज जिन्हें आमतौर पर दलम के नाम से जाना जाता है जिनमें अनुसूचित जनजाति के युवा-युवती शामिल होते थे। आज यहां के युवाओं के दृष्टिकोण में परिवर्तन दिखाई पड़ रहा है। पहले दलम में शामिल होने युवा उत्साहित दिखाई पठते थे वे अब लाल सलाम के आवरण को उतार फेंकने हेतु अमादा है।

क्षेत्र में विकास योजनाएं जिन्हे पूर्व में संचालित कर पाना संभव नहीं हो पाता था व अब योजनाएं धरातल में उतरती दिखाई पड़ रही है। विशेषकर प्रधानमंत्री आवास योजना, वन अधिकार अधिनियम 2006 जैसे कानून के माध्यम से स्थानीय समुदाय के अधिकार और हकों को मान्यता सर्वाजनिक वितरण प्रणाली की मजबूती एवं राज्य सरकार के व्दारा संचालित नियद नेल्लानार अभियान के अंतर्गत माओवाद प्रभावित ग्रामों को शासन की योजनाओं से जोडऩे की अनूठी पहल विशेषकर सुरक्षा कैम्पों के 10 किमी के दायरों में आने वाले पानी का समुचित विकास किया जा रहा है।
इन योजनाओं से बस्तर अंचल में आर्थिक, सामाजिक एवं मूलभूत सुविधाएं करते हुए विकास के नये आयाम गढ़ते जा रहे हैं।
बस्तर में नक्सली उन्मूलन क्रियान्वयन के बाद सांस्कृतिक क्रियान्वयन की आवश्यकता है। सम्पूर्ण बस्तर में सर्वत्र भ्रष्टाचार और पापाचार बढ़ रहा है ऐसा लगता है कि राजनीति और समाजनीति में आचरण की पवित्रता, संवेदनशीलता और वैचारिक ईमानदारी को अक्षुुण्ण रखने पर किसी का ध्यान केंद्रित नहीं है अंचल के लोगों में अनास्था, अविश्वास के वीज जो हमने बोए थे जिसका प्रतिफल नक्सलवाद के प्रतिफल के रूप में हमें प्राप्त हुआ था, आज पुन: उस विश्वास को, आस्था को, सम्मान को जन-जन

तक पहुँचाने के लिए हमें अपने आचरण में शुचिता पैदा करने की आवश्यकता है जिससे हमारे जन पुन: किसी भटकाव में न बहते हुए शांति के इस टापू को पुन: अपनी मनोरम संस्कृति अपने परिवेश को आनंद से आच्छादित कर सके। नोबेल पुरस्कार विजेता विख्यात साहित्यकार अल्बर्ट केम ने कहा था कि, अस्तित्व के लिए प्रेम और प्रेम के लिए अस्तित्व जीवन की प्रमुख सच्चाई है। जिसे आज सम्पूर्ण बस्तर वनांचल में रोपित करने की जरूरत है।


कंकालीनपारा, कांकेर

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