So what is that truth तो वो सच क्या है?

So what is that truth

So what is that truth तो वो सच क्या है?

So what is that truth सवाल तो यह उठा है कि अगर सरकार अपने रुख को लेकर इतना आश्वस्त है, तो उसने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई गई समिति की जांच में सहयोग क्यों नहीं किया? वैसे भी मामले पर पूरा फैसला अभी हुआ नहीं है।

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केंद्र सरकार और सत्ताधारी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट की दिप्पणियों का हवाला देते हुए दावा किया है कि पेगासस विवाद बेबुनियाद था। बल्कि पार्टी नेता रविशंकर प्रसाद ने तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी से यह मांग कर दी कि इस मामले में देश को गुमराह करने के लिए वे माफी मांगे। जबकि सुप्रीम कोर्ट यह भी कहा था कि पेगासस जांच में केंद्र ने सहयोग नहीं किया।

वैसे भी जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपी है। उस रिपोर्ट में क्या है, यह कोर्ट के अलावा किसी को नहीं मालूम। तो फिर यह कहने का क्या आधार हो सकता है कि इस मामले में सरकार का रुख सही पाया गया है। बल्कि असल सवाल तो यह उठा है कि अगर सरकार अपने रुख को लेकर इतना आश्वस्त है, तो उसने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई गई समिति की जांच में सहयोग क्यों नहीं किया? वैसे भी मामले पर पूरा फैसला अभी हुआ नहीं है।

बीते 25 अगस्त को अदालत में इस मामले की जांच कर रही तकनीकी समिति ने अपनी रिपोर्ट बंद लिफाफे में अदालत को दी। अदालत ने रिपोर्ट को खोला, उसमें से कुछ अंश पढ़े और उसे दोबारा सील कर दिया। फिर उसे सुप्रीम कोर्ट के महासचिव के पास सुरक्षित रख दिया गया और जो जब अदालत ने जरूरत महसूस की, रिपोर्ट उसे उपलब्ध कराएंगे।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अदालत ने जो अंश पढ़े उनमें लिखा था कि तकनीकी समिति ने 29 मोबाइल फोनों की जांच की थी और उनमें से पांच में गड़बड़ी करने वाला सॉफ्टवेयर पाया तो गया। इस सॉफ्टवेयर के पेगासस होने का कोई सबूत नहीं मिला।

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रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के विषय पर अदालत ने कहा कि जिन लोगों के फोनों की जांच की गई है, उनमें से कईयों ने अपील की है कि रिपोर्ट को सार्वजनिक ना किया जाए, क्योंकि उसमें उनके फोन से प्राप्त उनका निजी डेटा भी है। लेकिन कुछ याचिकर्ताओं की यह गुजारिश जायज है कि रिपोर्ट को एडिट कर कम से कम उनके साथ तो उसे साझा कर दिया जाए। ऐसा नहीं हुआ, तो रहस्य बना रहेगा। जाहिर है, संदेह भी कायम रहेंगे।

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