छत्तीसगढ़मेंमहिलाओंकेकौशल-विकासकेकार्यक्रमऔरआगामीसंभावनाएँ

गरिमा द्विवेदी

छत्तीसगढ़ में महिलाओं के समग्र सशक्तिकरण में कौशल विकास एक निर्णायक भूमिका निभा रहा है। राज्य सरकार और केंद्र दोनों की पहलें राष्ट्रीय कौशल योजनाओं से लेकर राज्य-विशेष कार्यक्रमों तक  महिलाओं को रोजगारयोग्य बनाना, स्वरोज़गार को बढ़ावा देना तथा स्वयं-सहायता समूहों के माध्यम से आय के स्थायी स्रोत उपलब्ध कराना चाहती हैं। इस दिशा में कार्यरत प्रमुख संस्थाएँ और योजनाएँ हैं: छत्तीसगढ़ राज्य कौशल विकास प्राधिकरण (CSSDA) द्वारा चलाए जाने वाले व्यावसायिक प्रशिक्षण, केंद्र की दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (DDU-GKY) और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) जैसी योजनाएँ, तथा दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) के माध्यम से स्वयं-सहायता समूहों का सशक्तिकरण।

राज्य की लाखों महिलाओं को सीधे लाभ पहुँचाने वाली DAY-NRLM ने ग्रामीण स्वयं-सहायता समूहों के माध्यम से वित्तीय समावेशन, बैंक-लिंक्ड लोन और छोटे-व्यवसायों के लिए प्रशिक्षण सुनिश्चित किया है; छत्तीसगढ़ में इस योजना के तहत लाखों महिलाओं ने जुड़ाव पाया है और समूह स्तर पर क्रेडिट एवं उद्यमिता सहायता मिली है। यह मॉडल महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा के साथ आर्थिक विकल्प देता है और स्थानीय उद्योगों जैसे हस्तशिल्प, सिलाई, कृषि प्रसंस्करण आदि में कौशल की मांग को पूरा करता है।

कौशल-प्रशिक्षण के औपचारिक मार्गों में DDU-GKY और PMKVY महत्वपूर्ण हैं: DDU-GKY ग्रामीण युवाओं (समेत महिलाओं) को प्लेसमेंट-लिंक्ड प्रशिक्षण देता है जबकि PMKVY के प्रशिक्षण उद्योग मानकों के अनुरूप हैं। राज्य स्तर पर CSSDA ने तकनीकी पाठ्यक्रमों की सूची व मान्यता-प्रणाली तैयार कर, स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप कौशल पाठ्यक्रम उपलब्ध कराए हैं  जैसे सिलाई, गृह-आधारित उद्यम, कृषि-तकनीक, सोलर पंप टेक्निशियन आदि,  जिनमें महिलाएँ पारंपरिक और गैर-पारंपरिक दोनों क्षेत्रों में प्रशिक्षण पा रही हैं।

हाल के वर्षों में छत्तीसगढ़ ने महिला-केंद्रित पहलें तेज की हैं; उदाहरण के लिये ‘महतारी सदन’ जैसी योजनाएँ जहाँ सशक्तिकरण, उद्यमिता और प्रशिक्षण को एकीकृत करने का प्रयास किया जा रहा है कि यह ग्रामीण और आदिवासी महिलाओं के पारंपरिक कौशल को बाज़ारयोग्य बनाने का अवसर है। साथ ही, राज्य की ऑन-लाइन पंजीकरण और मुफ्त प्रशिक्षण पहलें (मुख्यमंत्री कौशल विकास पहल) प्रशिक्षण के पहुँच को सरल बनाती हैं।

संभावनाएँ:

  • स्थानीय बाजार-लिंकिंग: हस्तशिल्प, खाद्य प्रसंस्करण व कृषि-सम्मुख कौशल को स्थानीय व राष्ट्रीय बाजार से जोड़ा जाना चाहिए ताकि डिजिटल मार्केट्प्लेस तक पहुँच बनाई जाए।

(2) समेकित ट्रेन-टू-प्लेस मॉडल: प्रशिक्षण के बाद प्लेसमेंट एवं उद्यम-प्रोत्साहन सुनिश्चित हो ताकि

DDU-GKY व PMKVY मॉडल इससे मार्गदर्शक हो सकते हैं।

(3) लिंग-समावेशी तकनीकी प्रशिक्षण: आईटी, मरम्मत और सोलर/ग्रीन-टेक में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना दीर्घकालिक रोजगार देगा।

(4) SHG लेवल इनोवेशन: NRLM के नेटवर्क का उपयोग कर क्लस्टर-आधारित इकाइयां बनाना                 अच्छा रहेगा।

निष्कर्षतः, छत्तीसगढ़ में मौजूदा संस्थागत ढाँचे और योजनाएँ एक ठोस आधार देती हैं; अब जरुरी है कि प्रशिक्षण को बाज़ार-समन्वय, वित्तीय पहुँच और बराबरी के अवसरों से जोड़ा जाए ताकि राज्य की महिलाएँ न केवल कौशल सीखें, बल्कि स्थायी आर्थिक-सशक्तिकरण भी पा सकें

शिक्षा मे स्वर्ण पदक प्राप्त व सामाजिक कार्यकर्ता, रायपुर, छत्तीसगढ़  

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