Shrimad Bhagwat Mahapuran : श्रीमद्भागवत महापुराण भगवान के दर्शन का फल है आत्म स्वरूप – शंकराचार्य

Shrimad Bhagwat Mahapuran :

Shrimad Bhagwat Mahapuran देवरबीजा में एक पुराण का करेंगे वाचन

Shrimad Bhagwat Mahapuran सलधा/ बेमेतरा/ छत्तीसगढ़ !  परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय जगद्गुरु शंकराचार्य भगवान अविमुक्तेश्वरानंद ने आज श्री शिव महापुराण कथा के समापन दिवस पर प्रारंभ में शंकराचार्य महाराज ने कहा कि बंधुओं हम लोग द्वादश ज्योतिर्लिंग की चर्चा कर रहे थे। यहां तक हम लोगों ने सुना आगे आता है। हिमालय में भगवान शिव का बाघ पिस्ट है। केदारनाथ के रूप में वहां पर भगवान विराजमान है।

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Shrimad Bhagwat Mahapuran जैसे वहां आ गए तो कथा आती है कि भगवान वहां नरनारायण के रूप में तपस्या कर रहे थे यह तपस्या के बल से ही सब कुछ होता है भगवान जो कुछ हमको दे रहे हैं वह उनको कहां से मिला? अगर आपके मन में यह प्रश्न आए हम जब तपस्या करते हैं। तब हमको चीज मिलती है।

तपस्या करेंगे जब उग्र हो जाएगी और बहुत बढ़ जाएगी तपस्या तो भगवान हमारे सामने प्रकट होंगे और हम भगवान से मांग लेंगे तो हमारे पास वस्तु हो जाएगी।

Shrimad Bhagwat Mahapuran सोचिए कि भगवान के पास वह चीज कहां से आती है। वह जो तपस्या करने वाले को देते हैं। उनके पास भी तो कहीं से आता होगा। उनके पास भी कहीं से नहीं आता है उनको भी तपस्या ही करनी पड़ती है। यह तपस्या ही है जो आप की कामनाओं की पूर्ति कर सकती है।

Shrimad Bhagwat Mahapuran भगवान इसलिए तपस्या करते हैं कि लोक का कल्याण हो। इसीलिए भगवान के जो 24 अवतार हैं इसमें से एक युगल अवतार है, जिसका नाम है नर नारायण दो ऋषि हैं दोनों युगल हैं दोनों साथ ही रहते हैं एक का नाम है नर और दूसरे का नाम है नारायण यह जो नर नारायण नाम के ऋषि हैं। यह बद्रिका आश्रम में तपस्या आज भी कर रहे हैं व उन्हीं की तपस्या का परिणाम है कि तपस्या करने वालों को जो चाहते हैं वह प्रदान कर देते हैं।

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भगवान केदारेश्वर के रूप में नर व नारायण ऋषि के सामने आए। कहां हम आपकी तपस्या से प्रसन्न हो गए हैं। मांगिए क्या मांगना है आपको तो भगवान नर नारायण ने कहा कि महाराज हमें कुछ नहीं चाहिए।

हमारी तपस्या है, वह हमारे लिए नहीं है हमारो के लिए हैं यानी हमारे जो लोग हैं उनको वरदान देने के लिए आप तपस्या करने के बाद आते हैं यही थोड़ा अटपटा लगता है।

Shrimad Bhagwat Mahapuran हमारी यही आपसे कामना है कि आप विराजमान हो जाइए सदा सदा के लिए यही पर और केवल जो बस यहां तक पहुंच जाए उसकी मनोकामना पूरी कर दीजिए। सदा सदा के लिए तो अब आपको भगवान को प्रकट करके उनसे वरदान मांगने की जरूरत नहीं पड़ती यह भगवान नरनारायण का हमारे ऊपर उपकार है।

वही उन्होंने भगवान शिव को केदारेश्वर के रूप में हिमालय में विराजमान कर दिया केवल वहां तक पहुंच करके उनका दर्शन कर मांग लेना है। क्या मांगते हो? भगवान यदि हमारे ऊपर आप प्रसन्न है तो हमको यही वरदान दीजिए कि हम और हमारे लोग जब आपकी पूजा करने के लिए आए तब आपकी प्रत्यक्ष सानिध्य यहां पर प्राप्त होना चाहिए।

Shrimad Bhagwat Mahapuran तब से उन्हीं नर-नारायण ऋषि के तप द्वारा मांगे जाने पर भगवान शिव प्रत्यक्ष होकर केदारेश्वर में विराजमान रहते हैं। भगवान भक्तों को दर्शन देने के लिए बैठे हैं और भक्तों हम प्रत्यक्ष हैं करो दर्शन हमारा दर्शन ऐसा होता है, जो हमको देख लेता है बिना कुछ फायदा नहीं सकता जैसे आप मंदिर में जाते हैं तो मंदिर का पुजारी बिना प्रसाद जी आपको वापस नहीं भेजता अगर सही पुजारी है, तो भले तुलसीदल दे भले बेल पत्ती दे, भले भगवान के चरण अमृत दे। लेकिन बिना दिए वापस नहीं करता उसी तरह से जब भगवान आपको प्रत्यक्ष दिख जाते हैं तो बिना आपको कुछ दिए वापस करते ही नहीं है।

मेरे दर्शन का फल क्या है ? यही फल है जीव अपने सहज रूप को प्राप्त कर लेता है और अगर उसको सहज स्वरूप नहीं चाहिए तो जो चाहिए। सबसे बड़ा जो कह दिया छोटा आ ही जाता है उसने जब कह दिया एक अरब रुपया मिल सकता है, तो उसमें से 500, 800, 2000 मिल ही जाएगा। उसने उसकी गिनती ही नहीं किया भगवान दर्शन का क्या फल है ?

Shrimad Bhagwat Mahapuran भगवान के दर्शन का फल है आत्म स्वरूप का दर्शन। आत्म स्वरूप दर्शन का फल हो जाने पर क्या फल है कहा सारे फल उसमें समा सकते हैं। यही उसका फल है। इस से छोटा कोई फल नहीं है यही भगवान केदार हैं जब पांडव वहां से स्वर्गारोहण करने लगे तो भगवान महीस के रूप में वहां पर पांडवों को दिखते हैं।

अंतिम दिवस के कथा श्रवण करने अवधेश चंदेल पूर्व विधायक, शीतल साहू जिलाध्यक्ष साहू कबीरधाम, सीताराम साहू, योगेश तिवारी, सुरेंद्र छाबड़ा, बिन्नू छाबड़ा, डॉ प्रभास श्रीवास्तव, ब्रह्मचारी ज्योतिर्मयानंद, ब्रह्मचारी केशवानंद, ब्रह्मचारी सर्वभूतात्मानन्द, मेघानन्द शास्त्री, धर्मेंद्र शास्त्री, कृष्णा परासर, सनोज, दीपक , राम दीक्षित सहित हज़ारो की संख्या में श्रद्धालु गण उपस्थित रहे।

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