Sarai Boda: प्रकृति का उपहार…सरई बोड़ा… पहली बारिश और उमस में होता है तैयार

:राजकुमार मल:

भाटापारा- पहली बारिश और उमस। मौसम का यह दौर ही सरई बोड़ा के लिए जमीन तैयार करता है। मशरूम परिवार का यह सदस्य पहली बार साल के जंगल से निकलकर हर मांग क्षेत्र में पहुंच रहा है। गुणों की खान, सरई बोड़ा कीमत में भी सबसे आगे चल रहा है।

सब्जी बाजार में अब सरई बोड़ा शीर्ष पर पहुंच चुका है। भाव नीचे उतरने की संभावना इसलिए भी नहीं है क्योंकि मांग और आपूर्ति के बीच गहरी खाई है। जिसे भर पाना फिलहाल तो मुश्किल है क्योंकि इसकी खेती नहीं की जा सकती। प्राकृतिक तौर पर ही तैयार होता है।

 

मशरुम परिवार का यह सदस्य इसलिए बेहद अनोखा है क्योंकि सरई बोड़ा एकमात्र ऐसा मशरूम है, जो जमीन की सतह पर तैयार होता है। साल की सूखी पत्तियों के नीचे आकार लेने वाला सरई बोड़ा आदिवासी क्षेत्र की प्रमुख सब्जियों में से, ना केवल एक है बल्कि आजीविका का साधन भी है।

 

मानसून की पहली बारिश के बाद भारी उमस का दौर। इस मौसम में साल के वृक्ष एक द्रव्य छोड़ते हैं। धरती पर गिरने के बाद सूखी पत्तियों के नीचे इस द्रव्य से फंगस तैयार होता है। आगे के दिनों में जैसी आकृति यह लेता है, वही सरई बोड़ा के रूप में नजर आता है।

 

फंगस का ही एक प्रकार है सरई बोड़ा, इसलिए खेती किया जाना संभव नहीं है। जून और जुलाई के महीने में महज 35 दिन ही इसकी उपलब्धता का होना प्रमाणित हुआ है। चूंकि फंगस है और जमीन के ऊपर आकार लेता है, इसलिए वजन में काफी हल्का होता है।

 

अनुसंधान में सरई बोड़ा में भरपूर प्रोटीन, विटामिन और खनिज तत्वों की मौजूदगी का होना प्रमाणित हुआ है। इसके अलावा कार्बोहाइड्रेट भी प्रचुर मात्रा में होते हैं। जिनकी मदद से कुपोषण और पेट की बीमारियां दूर की जा सकती हैं। साथ ही हृदय रोग भी सरई बोड़ा खत्म करता है।

सरई बोड़ा एक प्रकार का फफूंद है जो सिर्फ साल वृक्ष के नीचे पाया जाता है। फफूंद की यह एकमात्र ऐसी प्रजाति है, जो जमीन के ऊपर नहीं बल्कि अंदर तैयार होती है। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और खनिज तत्व पाए जाते हैं। सरई बोड़ा कुपोषण, दिल और पेट के रोगों के लिए फायदेमंद माना जाता है।

अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज आफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर