Sahitya Akademi Delhi- साहित्य अकादमी दिल्ली में जनजातीय साहित्य में सृजन मिथकों पर वक्तव्य देंगी शकुंतला तरार

रायपुर। साहित्य अकादमी दिल्ली में 7 से 12 मार्च तक वार्षिक अधिवेशन किया जा रहा है। इसमें बस्तर के जनजातीय मिथक साहित्य पर शकुंतला तरार 7 मार्च को अपना वक्तव्य देंगी।
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ के कोंडागांव में जन्मी और आदिवासी जनजीवन के परिवेश में पली-बढ़ी और वर्तमान में रायपुर में निवासरत हिंदी, छत्तीसगढ़ी और हल्बी की एकमात्र रचनाकार शकुंतला तरार ग्यारह वर्षों से साहित्य अकादमी दिल्ली के तत्वावधान में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में प्रतिभागी के रूप में अपनी सहभागिता देती आ रही हैं। आप साहित्य अकादमी के उन्मेष कार्यक्रम के तहत शिमला और भोपाल में अपनी प्रस्तुति दे चुकी हैं। आपने विगत वर्ष अकादमी के पचास वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में 157 लोक भाषा-बोली पर आधारित वर्ल्ड रिकार्ड में हल्बी भाषा में अपनी रचना का पाठ करके महत्वपूर्ण सहभागिता प्रस्तुत की है। वर्तमान में आप बस्तर के लोक साहित्य पर अपना लेखन कार्य कर रही हैं इनकी सद्य प्रकाशित रचना है शकुंतला चो लेजा गीद।

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