
रायपुर। रायपुर के जनमंच सभागार में रविवार की संध्या को दर्शकों ने उस क्षण का साक्षात्कार किया। जब व्यंग्य के अप्रतिम शिल्पी हरिशंकर परसाई की कलम से निकला नाटक प्रेमियों की वापसी रंगमंच पर जीवंत हुआ। बिलासपुर की रंगसंस्था अग्रज नाट्य दल ने इस व्यंग्य नाटक का ऐसा मंचन प्रस्तुत किया कि दर्शक पूरे समय व्यंग्य की चिकोटी के साथ हँसते-सोचते और समाज की उन विडंबनाओं को पहचानते रहे जिन्हें परसाई बड़ी सहजता से शब्द देते हैं।
परसाई का यह व्यंग्य उनकी राजनीति और सामाजिक विसंगतियों पर प्रचलित रचनाओं से कुछ अलग है। यह कथा उन प्रेमियों की है जो आत्महत्या के पश्चात दूसरे लोक में पहुँचते हैं। यहां से नाटक की रेखा उस व्यंग्यात्मक शैली में आगे बढ़ती है जहाँ प्रेम के सामाजिक बंधनों और छुपे हुए प्रेम की मुक्त अभिव्यक्तियों पर हँसी के सहारे गहरी चोट की जाती है। दर्शकों ने इसे खुले मन से स्वीकारा और बार-बार तालियों से अभिनेताओं का उत्साहवर्धन किया।

मूल रचना का प्रारंभ प्रेमियों की आत्महत्या से होता है, किन्तु निर्देशक सुनील चिपड़े ने इस प्रस्तुति को और प्रभावी बनाने हेतु इसका पूर्व रंग भी मंच पर रचा। उन्होंने आत्महत्या के निर्णय तक पहुँचने की परिस्थितियों को दृश्यात्मक रूप में प्रस्तुत किया, जिससे नाटक की पृष्ठभूमि और भी स्पष्ट हुई। कथा का केंद्र दो युवा है जो प्रेम विवाह की मनाही से क्षुब्ध होकर जीवन समाप्त करने का निश्चय करते हैं यह सोचकर कि दूसरे लोक में वे निर्बाध विवाह कर लेंगे लेकिन वहाँ पहुँचकर उन्हें ज्ञात होता है कि प्रेम की असली कसौटी इस कठिन परिस्थिति में ही सामने आती है और उनका संबंध उतना दृढ़ नहीं जितना उन्होंने सोचा था।

नाटक की रोचकता में गीत-संगीत का समावेश हुआ। सुमेधा अग्रेश्री द्वारा लिखे गीतों को कुणाल भांगे और आकांक्षा बाजपेई ने संगीतबद्ध किया, जिनकी मधुरता ने मंचन को जीवंत बना दिया।
मंच पर किरदारों को जीवंत करने वाले कलाकारों में प्रेमेंद्र-विक्रम सिंह राजपूत
रंजना-आकांक्षा बाजपेई, चाचा-अरुण भांगे, मेमसाब- प्रियंका हर्षल, हेडमास्टर सक्सेना -मनीष सोनवानी, हेडमिस्ट्रेस- मिसेस शर्मा, पुलिस -हर्षल नागदेवते,
प्रेमविवाह संचालिका-ऐश्वर्यलक्ष्मी बाजपेई, विधाता- स्वप्निल तावड़कर, सचिव – क्षितिज महोबिया है। मंचपरे सहयोगी कलाकार व रचनाकारों में निर्देशन -सुनील चिपड़े, गीत- सुमेधा अग्रश्री, संगीत- कुणाल भांगे, आकांक्षा बाजपेई, सहयोग -अर्पिता बेडेकर का रहा।
यह नाटक छत्तीसगढ़ फिल्म एंड आर्ट सोसायटी के तीन दिवसीय आयोजन रंग परसाई का हिस्सा था। इस विशेष आयोजन में परसाई की लेखनी पर विमर्श आयोजित हुआ और लगातार तीन दिन तीन नाटकों की प्रस्तुति दी गई। अंतिम दिवस पर अग्रज नाट्य दल, बिलासपुर ने अपनी प्रस्तुति से समापन को अविस्मरणीय बना दिया। अग्रज नाट्य दल के कलाकारों ने रंग संयोजन, अभिनय, संगीत और व्यंग्य की लय को इस प्रकार गूंथा कि दर्शकों ने सचमुच अनुभव किया—परसाई केवल पढ़े नहीं जाते, वे मंच पर भी उतनी ही जीवंतता से महसूस किए जाते हैं।
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1 सितम्बर को रंग हबीब का आयोजन
जनमंच की ओर से छत्तीसगढ़ फिल्म एंड विजुअल आर्ट सोसायटी के अध्यक्ष सुभाष ंिमश्र ने बताया कि आगामी 1 सितम्बर को सुप्रसिद्घ नाट्य निदेशक, कलाकार, शायर पद्मविभूषण से सम्मानित हबीब तनवीर की जयंती के अवसर पर रंग हबीब का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर उनका नाटक गांव के नाव, ससुरार मोर नाव दमाद की प्रस्तुति श्रीमती रचना मिश्रा के निर्देशन में किया जाएगा। योग मिश्रा द्वारा व्याख्यान दिया जाएगा। साथ ही हबीब तनवीर के नाटकों के रंग संगीत की प्रस्तुति की जाएगी। हबीब तनवीर का रंगकर्म और उनकी रंगभाषा पर नया थियेटर के कलाकार अमर सिंह को सम्मानित किया जाएगा।