मानसूनी बारिश ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है जिससे दाम बढ़े हैं।
नई दिल्ली। जून में फुटकर महंगाई 4.81 प्रतिशत पर पहुंच गई है। मई में यह 25 महीने के निचले स्तर 4.25 प्रतिशत पर आ गई थी। जून में सब्जियों की ऊंची कीमतों के कारण महंगाई बढ़ी है। मानसूनी बारिश ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है जिससे दाम बढ़े हैं।
कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स जून में बढ़कर 4.49 प्रतिशत पर पहुंच गया। मई में ये 2.96 प्रतिशत था। वहीं अप्रैल में यह 3.84 प्रतिशत रहा था। ये इंडेक्स खाने-पीने के सामान के दामों में बढ़ोतरी और उनमें कमी को दिखाता है।
जून में महंगाई भले ही बढ़ी है, लेकिन ये रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई के 6 प्रतिशत की टॉलरेंस लिमिट से नीचे है। महंगाई के पूरे वित्त वर्ष में आरबीआई के अपर टॉलरेंस लिमिट 6 प्रतिशत से नीचे ही रहने की संभावना है। आरबीआई की महंगाई की निचली टॉलरेंस लिमिट 2 प्रतिशत है।
मिलवुड केन इंटरनेशनल के फाउंडर और सीईओ निश भट्ट ने कहा, रिटेल इन्फ्लेशन दो साल के निचले स्तर पर पहुंचने के बाद फिर से बढ़ी है। रिटेल इन्फ्लेशन में ग्रोथ का मुख्य कारण बेमौसम मानसून की बारिश, सब्जियों – मुख्य रूप से टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी है। सब्जियों के साथ मांस, मछली, दालों की कीमतें बढऩे से भी फूड इन्फ्लेशन में बढ़ोतरी हुई है। जुलाई इन्फ्लेशन भी ऊंची कीमतों को रिफ्लेक्ट करेगी, क्योंकि मौजूदा स्थिति को ठीक होने में कुछ समय लग सकता है।
फुटकर महंगाई दर मई में घटकर 4.25 प्रतिशत पर आ गई थी। यह 25 महीनों का सबसे निचला स्तर था। अप्रैल 2021 में महंगाई 4.23 प्रतिशत रही थी। खाने-पीने की चीजों के दाम में गिरावट के कारण महंगाई में यह कमी आई थी। इससे पहले अप्रैल 2023 में महंगाई 4.70 प्रतिशत रही थी।
जून में हुई मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा था कि महंगाई को लेकर चिंता और अनिश्चितता अभी भी बरकरार है। वहीं नेत्रा रिपोर्ट के जुलाई वर्जन में कहा गया है कि खाने-पीने के सामानों की महंगाई का बढऩा एक मौसमी घटना है और ये मैनेजेबल है।