Reserve Bank of India : रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण ही है भविष्य की राह: आरबीआई
Reserve Bank of India : नयी दिल्ली ! अमेरिकी डॉलर के कम होते वर्चस्व और मल्टीपोलर करेंसी के इस दौर का उल्लेख करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यकारी निदेशक राधा श्याम राठो ने कहा, “मैक्रोइकोनॉमिक पैरामीटर और विकास के अन्य मानक दिखा रहे हैं कि सुस्त पड़ते वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के बीच भारत की स्थिति मजबूत है। ऐसे में भारतीय रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण भविष्य की सहज राह है।”
Reserve Bank of India : राठो ने भारतीय उद्योग परिसंघ के उत्तरी क्षेत्र द्वारा आयोजित 10 वें सीआईआई बैंकिंग एंड फाइनेंस समिट में कहा कि भारतीय आयातकों और निर्यातकों को एक्सचेंज रेट के संकट से मुक्त करने के साथ-साथ यह कदम फाइनेंशियल मार्केट पर भी गहरा प्रभाव डालेगा और घरेलू कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी करेंसी में लेनदेन में सक्षम बनाएगा। कम लागत में ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट तक पहुंच, ज्यादा मजबूत फाइनेंशियल सेक्टर और विदेशी मुद्रा भंडार पर निर्भरता कम होने से पूंजी निर्माण बढ़ेगा, विकास को गति मिलेगी और बाहरी कारकों के कारण आने वाला संकट भी कम होगा।
Reserve Bank of India इस दौरान मोबिक्विक के सह-संस्थापक एवं सीईओ बिपिन प्रीत सिंह ने कहा, “टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट और फिनटेक के प्रसार के साथ पिछले 20-30 साल में भारत के बीएफएसआई सेक्टर ने उल्लेखनीय विकास किया है और फाइनेंशियल इकोसिस्टम में अहम भूमिका निभा रहा है। इस विकास को रेगुलेटरी फ्रेमवर्क से भी मदद मिली है, जिससे विकास की राह पर बढ़ते रहना संभव हुआ है। एक बड़ी उपलब्धि भारत का अनूठा डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर भी है, जहां इनोवेशन का नेतृत्व किसी बड़ी सार्वजनिक कंपनी के हाथ में नहीं है। इसे लोगों के हित में विकसित किया जा रहा है और इससे बैंकों एवं फिनटेक कंपनियों के बीच गठजोड़ को गति मिल रही है। इनोवेशन के हब के रूप में इस गठजोड़ वाले फ्रेमवर्क से फाइनेंशियल इन्क्लूजन का एजेंडा भी आगे बढ़ रहा है, जो भारतीय बीएफएसआई सेक्टर की सफलता एवं प्रगति के लिए अहम है।”
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बीएफएसआई को विकास एवं इनोवेशन के नए मानक के रूप में स्थापित करने की थीम पर आयोजित कॉन्फ्रेंस में इस उद्योग में हो रहे बदलाव और भविष्य की रूपरेखा पर विमर्श हुआ। सम्मेलन ने आर्थिक उदारीकरण, टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट, रेगुलेटरी रिफॉर्म्स और उपभोक्ताओं के व्यवहार में बदलाव समेत बीएफएसआई सेक्टर के सफर पर विमर्श का मंच प्रदान किया। सम्मेलन में बीएफएसआई सेक्टर के सामने आने वाली चुनौतियों को भी सामने रखा गया। साथ ही, रियल-टाइम एडॉप्शन, हाइपर कस्टमाजेशन और बिजनेस प्रोसेस में एआई एवं एनालिटिक्स के सरलीकरण की जरूरत पर भी जोर दिया गया। उपस्थित विशेषज्ञों ने 5जी को भारतीय बीएफएसआई सेक्टर के लिए कैटेलिस्ट के रूप में स्वीकार किया, इससे क्लाउड टेक्नोलॉजी को अपनाने में तेजी आएगी, जिससे ज्यादा इफिशिएंट ऑर्गनाइजेशन तैयार करने, लागत कम करने और एंड-यूजर सपोर्ट को बढ़ाने में मदद मिलेगी।