remembered Laxman Masturia: जनकवि लक्ष्मण मस्तुरिया ल करे गिस सुरता…पुरखा के सुरता म सामिल होइस पदमश्री अनुज शर्मा

:देवेंद्र पंसारी:

 

गिरे परे मनखे मन के तैं, दुख ला अपन बनाए गा
लक्ष्मण मस्तुरिया भइया तँय, उँकर पीर ला गाए गा-अनुज

लक्ष्मण मस्तूरिया जी के जयंती के बेरा मा राइपुर प्रेस क्लब म पुरखा के सुरता कार्यक्रम आयोजित होइस ,जेमा स्वर्गीय लक्ष्मण मस्तूरिया जी के जीवन, काम और विचार उपर प्रेरक चर्चा होइस
कार्यक्रम म पदमश्री ले सम्मानित विधायक धरसीवां अनुज शर्मा  शामिल होईन|
ए बेरा म पदमश्री अनुज शर्मा जी ह लक्ष्मण मस्तूरिया जी ल याद करत भावुक होके कहिन


छत्तीसगढ़ के संस्कृति ला, देख अमावस खावत हे
लछमन मस्तुरिया के सुरता, मन मा रहि-रहि आवत हे। हमर बर मस्तूरिया जी बरगद रुख बरोबर हरे जेखर डारा मा झूलना झूल के हमन छत्तीसगढ़ के संस्कृति संगीत ला जीयत हन, ऊंखर लेखनी मां छत्तीसगढ़ दमकत हे, ऊंखर आवाज आजो हमला कहत हे मोर संग चलव रे, मोर संग चलव गा,मस्तूरिया जी केवल कवि नो रहिन, वो हमर माटी के आवाज रहिन
उनकर हर गीत म एक संवेदना, हर पंक्ति म एक चेतना, अउ हर स्वर म एक आंदोलन के लहर रहिस।
आज उहाँ ला नमन करत, हमर मन ये बात ला अउ गहिरई ले समझिस — कि भाषा, बोली, गीत संग एक जनकवि कइसे इतिहास गढ़ सकथे।
लक्ष्मण मस्तूरिया जी, आप हमेशा हमर माटी म जीवित रहिहव, आप मन के मया, आप मन के स्वर, हमर प्रेरणा रहिहव।