दानवीर कर्ण की अडिग निष्ठा और गौरवपूर्ण संघर्ष की गाथा ‘रश्मिरथी’ ले गया दर्शकों को भावनाओं के नए आयाम पर

कविता पाठ में हारमोनियम पर डॉ सुयोग पाठक और तबला में गजानन नायक ने थाप दिया. वहीं ऋतु सेलट, सीमा सोनी, ऋषिका दत्ता, उमेश उपाध्याय ने भी सुर से सुर मिलाया.

कविता प्रस्तुति के बाद हिंदी के अनमोल रत्न रामधारी सिंह दिनकर की कालजयी कृति रश्मिरथी का मंचन हुआ जिसका निर्देशन और परिकल्पना हरीश हरीऔध ने की है.
रश्मिरथी केवल यह एकल नाट्य मंचन नहीं, बल्कि महाकवि रामधारी सिंह दिनकर जी की कालजयी रचना का सजीव चित्रण है।


कर्ण की अपराजेय जिजीविषा, उसकी अडिग निष्ठा और गौरवपूर्ण संघर्ष की गाथा है। यह एक ऐसा अनुभव था जो दर्शकों को भावनाओं के नए आयाम तक ले गया.

हरीश हरिऔध जी की परिकल्पना में हुए इस सजीव नाट्य मंचन की प्रस्तुति सुरभि बेगूसराय की मुंबई यूनिट ने की. मंच पर हरिऔध जी के मंचन ने रश्मिरथी के गौरव गाथा के माध्यम से ऊर्जा का प्रवाह कि.

इसकी प्रस्तावना योगेश चौबे ने की, स्टेज म्यूजिक विष्णु देव दास, बैक ग्राउंड म्यूजिक और लाइट ऑपरेटिंग आशीष कुलकर्णी, संगीत विष्णु देव दास, लाइट डिजाइन संजय कुमार ने इस नाट्य प्रस्तुति को और भी जीवंत बना दिया. इसके संरक्षक दिनेश कुमार है.


नाट्य समारोह के दौरान जाने-माने चित्रकार श्री अवधेश वाजपई की प्रदर्शित कलाकृतियाँ

और राजधानी रायपुर की सात महिला चित्रकारों क्रमशः जया भागवानी, सुनीता द्विवेदी, डॉ. मोनिका अग्रवाल, डॉ. इन्दु अग्रवाल, डॉ. किरण अग्रवाल, इन्दु चटर्जी, सुजाता देशमुख, एवं अनुष्का चक्रवर्ती के चित्रों की प्रदर्शनी ने समारोह मे साहित्य का समा बांधे रखा।

नाटक के दर्शकों के साथ साथ बुक स्टॉल पर भी पाठकों का अच्छा जमावड़ा दिखा और समारोह मे नए एवं युवा कलाकारों के लिए ओपेन माइक के आयोजन ने समारोह मे चार चांद लगाते हुए दर्शको को अपनी कला के प्रदर्शन का भरपूर मौका दिया गया |

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