0 तीन दिवसीय आयोजन में कई नाटकों का होगा मंचन
रायपुर। नाट्य शास्त्र को सभी कलाओं का आधार ग्रंथ कहा गया है जिसके रचियता भरतमुनि थे। इनके अनुसार ऐसा कोई ज्ञान, शिल्प, विद्या, कला, योग अथवा कर्म नहीं है जो नाट्य में प्रदर्शित न हो। इसी भावनाओं को आगे बढ़ाते हुए रंग संस्कार महोत्सव के द्वितीय सत्र का आयोजन राजधानी रायपुर के रंगमंदिर में आज 16 मई से आयोजित किया जा रहा है। तीन दिवसीय रंग संस्कार महोत्सव को स्वर्गीय रंगसाधक अशोक चंद्राकर की स्मृति में आयोजित किया गया है। रंग महोत्सव के प्रथम दिन नाटक- शहीद वीरनारायण सिंह लोगगाथा का मंचन किया गया। जिसकी पटकथा- संवाद-गीत राकेश तिवारी, निर्देशक संत फरिकार थे। इस लोक नाट्य शैली में छत्तीसढ़ के वीरनारायण सिंह के जीवन पर आधारित था। यह कथा वर्ष 1856 के दौरान पड़े भीषण आकाल की पृष्ठभूमि में रचि गई है। जब छत्तीसगढ़ की जनता भूख से तड़प रही थी और अंग्रेस शासन द्वारा कोई सहायता नहीं दी जा रही थी। इस अमानवीय स्थिति से व्यथित होकर वीरनारायण सिंह अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन करते हैं और भूखी जनता को अनाज लूटकर बांटा। उनके सहासिक कार्य को विद्रोह मानते हुए अंग्रेज सरकार ने उन्हें फांसी की सजा दी।
रंग महोत्सव रायपुर का यह दूसरा वर्ष है। गत वर्ष की तरह रायपुर के चार अलग-अलग स्थानों पर रंगसंस्कार कार्य शाला का आयोजन किया गया। ये कार्यशालाएं 21 दिनों तक रही। जिसमें चार नाटक तैयार किए गए। इसके पूर्व 18-19-20 अप्रैल 2025 को तीन दिवसीय प्रदेश स्तरीय नाट्य कार्यशाला युवा निर्देशकों के प्रशिक्षण से आयोजित की गई। जिसमें सभी निर्देशक अपने नाटकों को पेशेवर तरीके से निर्देशित करने में सक्षम हो सके।
रंग महोत्सव 2 के उद्घाटन समारोह में प्रमुख रूप से संरक्षक पद्मश्री अनुज शर्मा, स्वातोत्सव शशांक शर्मा(अध्यक्ष संस्कार भारतीय रायपुर), महामंत्री कबीर चंद्राकर (संस्कार भारतीय रायपुर), संयोजक डॉ. आनंद कुमार पांडेय (रंग संस्कार महोत्सव), प्रोफेसर अनिल कालोले वरिष्ठ रंगकर्मि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। रंग महोत्सव में देवी अहिल्याबाई होल्कर की चित्र प्रदर्शनी भी लगाई गई।