:विशाल ठाकुर:
धमतरी। महापौर रामू रोहरा ने आपातकाल की विभीषिका के बारे
संघर्ष गाथा की विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि
युवा आपातकाल के बारे में जरूर जाने। अखिल भारतीय विद्यार्धी परिषद
समाज सेवा के काम के साथ छात्रों में शैक्षिक सुधार, राष्ट्रीय पुनर्निर्माण
और समग्र विकास को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है ।
पीजी कॉलेज में अखिल भारतीय विद्यार्धी परिषद द्वारा आयोजित व्याख्यान में बोलते हुए इमरजेंसी को भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय बताया। उन्होंने इमरजेंसी के नाम पर संविधान की हत्या का आरोप लगाया और कहा कि यह भारत के इतिहास का एक दर्दनाक अध्याय था।

महापौर ने कहा कि आज से पचास साल पहले भारतीय लोकतंत्र का आपातकाल के माध्यम से गला घोंटने का कुत्सित प्रयास किया गया था। आपातकाल को लोग आज भी भारतीय लोकतंत्र के सबसे काले अध्याय के रूप में याद रखते हैं।
संविधान को दरकिनार करते हुए जिस तरीके से देश पर आपातकाल थोपा गया वह सत्ता के दुरुपयोग और तानाशाही का बहुत बड़ा उदाहरण है। तमाम विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया। ऐसी कोई संवैधानिक संस्था नहीं बची थी जिसका ग़लत इस्तेमाल न किया गया हो।
मगर इस देश में जो लोकतांत्रिक परम्पराएं रही हैं उनको चाह कर भी तत्कालीन सरकार मिटा नहीं पायी।
उन्होंने आगे कहा कि आज भारत में लोकतंत्र जीवित है, इसके लिए आपातकाल में जिन्होंने भी संघर्ष किया, जेल काटी और यातनाएँ सहीं, उन सभी का बहुत बड़ा योगदान है। भारत की आने वाली पीढ़ियाँ उनका योगदान कभी भुला नहीं सकतीं।‘आपातकाल’ कांग्रेस की सत्ता की भूख का ‘अन्यायकाल’ था। 25 जून 1975 को लगे आपातकाल में देशवासियों ने जो पीड़ा और यातना सही, उसे नई पीढ़ी जाने