Rakshabandhan festival : रक्षाबंधन पर्व, भाइयों की कलाइयों में सजेगी तिरंगा राखी

Rakshabandhan festival :

Rakshabandhan festival : रक्षाबंधन पर्व, भाइयों की कलाइयों में सजेगी तिरंगा राखी

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Rakshabandhan festival : रक्षाबंधन पर्व, भाइयों की कलाइयों में सजेगी तिरंगा राखी

Rakshabandhan festival : कोरबा । चांवल देगा तिरंगे का सफेद रंग, मूंग से हरा और गाजर से केसरिया रंग का उपयोग कर धंवईपुुर की जननी स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने आकर्षक राखी तैयार की है। हर बार नए अंदाज में रक्षाबंधन पर भाइयों की कलाई सजाने के लिए राखी बनाने वाली इस समूह ने इस बार अमृत महोत्सव के माहौल को देखते हुए इस बार ज्यादातर राखियां तिरंगे थीम पर तैयार की है। घर-घर तिरंगे के संदेश को मूर्त रूप देने के लिए अनाज के अलावा नारियल बूच, पैरा आदि की सजावट के साथ मौली और रेशम धागा से भी तिरंगा राखियां बनाई जा रही हैं।

Rakshabandhan festival : राष्ट्र ध्वज का नाम सामने आते ही मन में देश प्रेम की भावना का संचार होने लगता है। ऐसी ही भावना से राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जुड़ी ग्राम धंवईपुर की महिलाएं तिरंगा राखी का निर्माण कर रहीं हैं। दरअसल महिलाएं रक्षा बंधन के पर्व पर हर वर्ष व्यवसायिक पैमाने पर राखियां तैयार करती हैं। शुरूआती दौर में बहनों ने गोबर की राखियो में तरह.तरह के सब्जी बीज से सजी राखी बनाई जो सुर्खियों मे रहा।

Rakshabandhan festival : समूह की महिलाएं पूर्व निर्धारित थीम पर ही काम करती थी। गोबर और बीज से बनी राखी बनाने का उद्देश्य कलाई में बांधने के बाद उसे विसर्जन करना या फेंकना नहीं बल्कि बाड़ी में बीज की बोआई करना था। इस बार बहने राखी में तिरंगे का स्वरूप उकेर रहीं हैं। कारण यह है कि आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर पूरा देश स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहा है। इस अवसर पर शासन ने घर.घर तिरंगा फहराने का निर्णय लिया है।

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Rakshabandhan festival : इसके लिए विभिन्ना सामाजिक संगठनए शिक्षा केंद्रए महिला समति आदि आदि को सहयोग के लिए प्रशासन की ओर से आग्रह किया जा रहा है। जिसमें राष्ट्रीय आजीविका मिशन की महिलाएं भी सहयोग कर रहीं हैं। धंवईपुर संकुल क्लस्टर प्रमुख फूलकुमारी मरकाम का कहना है कि इस संदेश का जनमानस तक पहुंचाने के लिए महिलाएं राखी में तिरंगे का रंग भर रहीं हैं। अनाज से बनी राखियों में केसरिया रंग उकेरने के लिए गाजर का सहारा लिया जा रहा। इसी तरह से सफेदी के लिए चावल और हरा के लिए उड़द दाल का उपयोग किया रहा। इसके अलावा मौलीए रेशम धागे को तीन हर्बल रंग से रंगकर उससे खूबसूरत राखियां बनाई जा रहीं।

Rakshabandhan festival : महिलाएं हर साल राखी तैयार कर उसे बाजार में खपाती हैं। ऐसे में वे राखी के बाजार के व्यवसायिक स्वरूप को भी समझने लगी हैं। जननी समूह की अध्यक्ष पिंकी महंत का कहना है कि बीते वर्ष समूह की महिलाओं ने 25 हजार रुपये आय अर्जित किया था। इस बार समूह ने ढाई हजार से भी अधिक राखियां तैयार की हैं। राखी बनाने का काम अभी भी जारी है। इस साल 50 हजार रुपये आय अर्जन का लक्ष्?य लेकर चल रहीं है। जिस तरह से राखी की मांग हो रही हैए उससे ऐसा लग रहा है कि लक्ष्य पूरा हो जाएगा।

राष्ट्रीय आजीविका मिशन कटघोरा के सहायक विस्तार अधिकारी खगेश कुमार का कहना है कि समूह की महिलाएं त्यौहार के अवसर में उपयोग आने वाले सामानों को तैयार करने व उन्हे विक्रय करने में सक्षम हो रही हैं। राखी की बिक्री के लिए पहले से योजना सुनियोजित कर ली जाती हैं। शिक्षिकाए शासकीय कार्यालयों में कार्यरत महिलाओं को खरीदी के लिए प्रेरित किया जाता है। इसके लिए स्टाल भी लगाए जा रहे हैं। संकुल की महिलाए स्वयं अपने भाइयों की कलाई पर बांधने के लिए समूह से खरीदी करती हैं। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर महिलाएं घर-घर पहुंच ग्रामीणों को ध्वजारोहण के लिए प्रेरित कर रहीं है। समूह की महिलाओं ने बताया कि घर-घर तिरंगे की राखी बेचने दस्तक दे रही हैं।

इस दौरान खुद से तैयार किया गया ध्वज लोगों को भेंट कर रहीं है। समूह की राशि से ध्वज खरीदी कर वे ग्रामीणों को भी बांट रही है ताकि वे अपने घर में ध्वजारोहण कर सकें। शहर व ग्रामीण क्षेत्र के कपड़ा दुकानों में खादी व सूती कपड़ों से बनी राखियों की मांग बढ़ गई है।

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