Raksha Bandhan : रक्षाबंधन पर सावन की रिमझिम फुहार के बीच बहन पहुंची अपने भाई के द्वार
Raksha Bandhan : चांपा। रेशम डोर रक्षा बंधन के प्रतीक पारंपरिक रिश्तो के ताने-बाने में भाई बहन के स्नेह एवं श्रद्धा के परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए सावन के काली घटा सहित रिमझिम फुहार के बीच बहन अंततः भाई के द्वार रक्षाबंधन के पर्व को निभाने के लिए पहुंच ही गई !
Raksha Bandhan : यहां बताते चलें कि भारतीय परंपरा अनुसार पुरातन काल से सावन के अंतिम दिवस में रक्षाबंधन का पर्व बड़े हर्ष उल्लास के साथ मनाने की बड़ी लंबी इतिहास हम सबके सम्मुख है एक रेशम की डोर में क्या शक्ति होती है इसे रक्षाबंधन के पर्व राखी में सहज ही भावना से समझा जा सकता है जिसे निभाने के लिए बहन चाहे जितनी भी दूर में रहे वह हर बंधन को पीछे छोड़कर भाई के द्वार बहन पहुंच जाती है !
Raksha Bandhan : यही रक्षाबंधन आज पूरे देश में बड़े हर्ष और उल्लास के साथ पर्व को मनाया जा रहा है इस पर्व में भाई बहन के ममता एवं स्नेह का जो झलक देखने को मिलता है वह दुनिया के किसी भी कोने में इसकी मिसाल नहीं देखी और सुनी जाती जो कि यह परंपरा भारतीय इतिहास में एक सुनहरा पन्ना दर्ज है !
Raksha Bandhan : इसी परंपरा के अधीन आज सावन महीने के अंतिम दिवस में भारी झड़ी के उपरांत भी भाई के कलाइ को रेशम की डोर राखी बांधने के लिए बहनों के पहुंचने से भाई का मन आत्म विभोर होकर खुशी के गागर में सागर की तरह गदगद होकर अंततः छलक ही पड़ता है !