Raipur Breaking : प्राइवेट स्कूलों का बेहतर विकल्प है आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल

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Raipur Breaking छत्तीसगढ़ के शासकीय स्कूलों में सुधार लाने की है आवश्यकता

प्राइवेट में शिक्षक ग्रहण करने के बाद सरकारी नौकरी क्यों ?

जनमंच सड्डू पर संतुलन का समीकरण कार्यक्रम का आयोजन

 

Raipur Breaking रायपुर। मानव जीवन में शिक्षा का विशेष महत्त्व है। शिक्षा ही वह आभूषण है जो मनुष्य को सभ्य एवं ज्ञानवान बनाता है, इसके बिना सभ्य मनुष्य और समाज का कामना करना असंभव है….वर्तमान में शिक्षा व्यवस्था में काफी अंतर महसूस किया जा रहा है.. हमारी शिक्षा व्यवस्था में असंतुलन जैसी स्थिति है…सरकारी स्कूलों और कॉन्वेंट स्कूलों में शिक्षा में भारी अंतर है इसका विकल्प के तौर पर छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संचालित स्वामी आत्मानंद विद्यालय को देखा जा रहा है….इसी प्रकार के तमाम मुद्दों पर विचार विमर्श करने के लिए शनिवार को जनमंच सड्डू पर एशियन न्यूज़ का खास कार्यक्रम “संतुलन का समीकरण” का आयोजन किया गया… इस विषय पर विचार रखने के लिए शासकीय स्कूल और प्राइवेट स्कूल के साथ सत्ता पक्ष के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। जिन्होंने अपनी अहम विचार रखा।

इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि भारत की जो वर्तमान शिक्षा प्रणाली है, वह प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली से मेल नहीं खाती है। भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली का ढाँचा औपनिवेशिक है, जब कि प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली गुरुकुल आधारित थी। वर्तमान शिक्षा प्रणाली एक संशोधित एवं अद्यतन शिक्षा प्रणाली तो है ही यह ज्ञान-विज्ञान के नए-नए विषयों को भी समाहित करती है। कंप्यूटर शिक्षा इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है जिसने मानव जीवन को सहज, सुंदर एवं सुविधाजनक बनाया है।

अगर छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां लगभग 49000 स्कूल हैं जिसमें ज्यातर शासकीय स्कूल हैं वहीं वर्तमान में शासन द्वारा चलाए गए आत्मानंद स्कूल आगे चलकर प्राइवेट स्कूल को कंपलीट करेगा। वर्तमान में यह स्कूल उन छात्रों और पेरेंट्स को की उम्मीदों पर खरा उतर रहा है जो इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ना तो चाहते थे लेकिन उनके पास पैसे के अभाव के कारण अपना सपना सपनों पूरा नहीं कर पाते थे…. लेकिन अब आत्मानंद स्कूल में दाखिला लेकर छात्र अपनी उम्मीद को पंख दे रहे हैं।

इस अवसर पर जनधारा मीडिया ग्रुप के प्रधान संपादक सुभाष मिश्रा ने कहा कि संतुलन का समीकरण कार्यक्रम इसलिए है क्योंकि इस समाज में कई प्रकार के लोग रहते हैं यहां सशकीय और प्राइवेट स्कूलों के बड़ी खाई है हमारा समाज अमीरी और गरीबी में बटा हुआ है इस खाई को हम लोग शिक्षा के माध्यम से पाटने की कोशिश करते हैं लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है…इन्ही सब तथ्यों को समझने के लिए ऐसे कार्यक्रम आला गया गई….उन्होंने कहा कि संतुलन का समीकरण में इस बात को समझना होगा की जो अमीरी और गरीबी की खाई को पाटना जरूरी है….वर्तमान में जिस प्रकार से शिक्षा दी जा रही है वहां से जो बच्चे पढ़कर निकल रहे हैं वह आगे किस तरह से समाज को दे पा रहे हैं इसपर विचार विमर्श करना जरूरी इस अवसर पर प्राइवेट स्कूल संचालक नागेंद्र दुबे ने कहां की नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद शिक्षा के जगत में बहुत बदलाव आया है और आगे भी एक 2 साल के अंदर बदलाव आएगा वही गरीब बच्चों के लिए राइट टू एजुकेशन के मध्यम से गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ने का सपना साकार हो रहा है !

शिक्षा के बिना है मनुष्य अधूरा

 

छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा कि शिक्षा सभी के लिए आवश्यक है शिक्षा किसी व्यक्ति के विकास के लिए जरूरी है किसी के व्यक्तित्व विकास के लिए शिक्षा अहम रोल निभाता है.. इस दौर में शिक्षा जगत में जो बदलाव हो रहे हैं उस पर बात करने या बात रखने के लिए जो एशियन यूज़ के द्वारा पहल किया गया है वह नेक पहल है उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जिस प्रकार केरल और तमिलनाडु के सरकारी स्कूल जिस प्रकार से शिक्षा है वह काबिले तारीफ है वहीं अगर हम यूपी बिहार झारखंड छत्तीसगढ़ के शासकीय स्कूल की बात करें तो यहां बेहतर शिक्षा के प्रावधान नहीं है इसमें शासन को आगे आने की आवश्यकता है और सभी सरकारी स्कूलों को बेहतर करने की आवश्यकता है। उन्होंने आरटीई कानून पर अपनी बात रखते हुए कहा कि इसमें सरकार की मंशा को समझना आवश्यक है शासन में बेहतर शिक्षा के लिए प्राइवेट स्कूलों पर धकेल दिया जाता है जिस प्राइवेट स्कूल में शिक्षा अधिकार के तहत बच्चों का दाखिला दिया जाता है उसका ऑडिट नहीं हो पाता है उन्होंने कहा कि जो बच्चे आरटीआई के तहत दाखिला लेते हैं उन्हें स्कूल प्रबंधन, शिक्षक और छात्रों द्वारा हीन दृष्टि से देखा जाता है सरकार सिर्फ अपना पीछा छुड़ाना चाहती हैं आरटीई सरकार अपनी पीछा छुड़वा रही है केवल पैसा देकर अपना पीछा छुड़ाना चाहते हैं आरटीई शिक्षा नीति के तहत जो उद्देश्य शिक्षा देने की है वह शायद फुलफिल नहीं हो पा रहा है
वहीं एक स्टूडेंट ने अपनी बात रखते हुए कहा की वर्तमान में एप्लीकेशन बेस्ड शिक्षा होनी चाहिए उन्होंने कहा कि स्कूल अभी भी वही ढर्रे पर चल रहा है….कई सालो बाद भी आज भी बच्चों को उसी पद्धति से पढ़ाया जा रहा है जैसे चौथी या पांचवी कच्छा में कई साल से एक ही जैसी पढ़ाई हो रही…जैसे हमलोग को पहले भी गाय पर ऐसे लिखने को मिलाता था वो आज भी चल रहा है…ऐसे चीजों को बदलना पड़ेगा

बच्चो के लिए बेहतर ऑप्शन है आत्मानंद स्कूल

आरडी तिवारी स्कूल की शिक्षिका कृति शाह ने बताया कि कि आत्मानंद स्कूल बनने के बाद बच्चों को बहुत सारी सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही है इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर पढ़ाई और टेक्नोलॉजी में भी इजाफा हुआ है। स्कूलों में डिजिटल क्लास और कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराया जा रहा है उन्होंने कहा कि यहां पढ़ाई करने वाले छात्रों के साथ उनके पेरेंट्स भी कहीं ना कहीं संतुष्ट हैं उन्होंने कहा कि आत्मानंद स्कूल के माध्यम से बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल रही है और बच्चों को एक तरह से जो इंग्लिश मीडियम में पढ़ने का सपना था वह पूरा हो रहा है

 सीएम भूपेश बघेल का सपना था प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था सुधरे

कांग्रेस प्रतिनिधि सत्यप्रकाश ने बताया कि आत्मानंद स्कूल केवल शहरों में ही सक्सेस है वही दूरस्थ इलाकों में यह ज्यादातर सफल नहीं हो पा रहे हैं इस सवाल पर जवाब देते हुए सत्यप्रकाश ने कहा कि हमारी सरकार जब से आई है तब से शिक्षा को लेकर बेहतर काम कर रही है हमारी सरकार लगातार शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार पर काम कर रही है शिक्षा के जगत में एक नई क्रांति आई है और छत्तीसगढ़ में बड़ा बदलाव हुआ है आगे भी होगा.. उन्होंने कहा कि जब भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने तो पहली बार एक अधिकारी को फटकार लगाई और उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में एक भी अच्छा स्कूल अभी तक नहीं बन पाई है आप प्लान करें और तुरंत उसे लागू करें। इस तरह से आत्मानंद स्कूल बना आगे भी हमारी सरकार शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ेगी और नवाचार करने का प्रयास करेगी…
उन्होंने राइट टू एजुकेशन के बारे में बोला की वैसे बच्चे जिनका सपना होता है कि वह अच्छे स्कूल में पढ़ ले इस नीति के माध्यम से उनके सपने साकार हो रहे हैं और यह बेहतर व्यवस्था है

0छात्रों के प्रति ज्यादा जिम्मेदार होती है प्राइवेट स्कूल

प्राइवेट स्कूल संचालक सौम्या तिवारी ने कहा कि आत्मानंद स्कूल और प्राइवेट स्कूल की तुलना नहीं किया जा सकता है उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूल बच्चों को ज्यादातर जिम्मेदारी वाहन करती है प्राइवेट स्कूल में बच्चों के प्रति शिक्षक और प्रबंधन ज्यादा जिम्मेदार होती है उन्होंने कहा कि एक और जहां सरकार कई बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं वहीं प्राइवेट स्कूल बहुत कम लोगों को शिक्षा दे रहे हैं इसमें वही लोग शामिल हैं जो बच्चे मोटी रकम देकर स्कूल में दाखिला लेते हैं और हम पूरी जिम्मेदारी के साथ उनको शिक्षा देते हैं प्राइवेट शिक्षक होने के नाते हम ज्यादा जिम्मेदार होते हैं और बच्चों के हर परफॉर्मेंस पर ध्यान देते हैं इसमें छात्रों के एक्टिविटीज पढ़ाई और उसके व्यक्तित्व निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जाता है !

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