Pt. Shri Pradeep Mishra: शिव भक्ति करने वालों का बाल बांका भी करना कठिन : पं. श्री प्रदीप मिश्रा

शिव भक्ति करने वालों का बाल बांका भी करना कठिन : पं. श्री प्रदीप मिश्रा
  • शिव महापुराण कथा के द्वितीय दिवस हर हर महादेव से गुंज उठा शिवधाम
  • एक लोटा जल सारी समस्या का हल

(दिपेश रोहिला)
जशपुर/पत्थलगांव।
जशपुर जिले के कुनकुरी विकासखंड के मयाली में विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग मधेश्वर पहाड़ के पास शिव महापुराण कथा 21 मार्च से 27 मार्च तक चल रही है। इस कथा आयोजन के द्वितीय दिवस पर विश्व विख्यात पंडित श्री प्रदीप मिश्रा ने अपने मुख से लोगों को कथा का रसपान कराया। इस दौरान शिव भक्त हर हर महादेव के जयकारे लगाते हुए झूमते नजर आए। कथा के द्वितीय दिवस पर रावण कथा का भी वर्णन किया। कथा प्रारंभ होने से पूर्व विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। जिसमें मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय समेत अन्य यजमान मौजूद रहे।

कथा के दौरान पंडित श्री प्रदीप मिश्रा ने कहा कि जशपुर की पावन धरा मधेश्वर पहाड़ में स्वयं भगवान शिव विराजमान हैं। जहां हम सभी शिव की अविरल भक्ति के साथ कथा का लाभ ले रहे हैं। जब हम भगवान शिव की आराधना और भक्ति पूर्ण भाव से करते है उसका फल अवश्य प्राप्त होता है। बचपन,जवानी हो या बुढ़ापा किसी भी अवस्था में भोलेनाथ की भक्ति करने से वह खाली नहीं जाती,बल्कि मनुष्य का इस धरती(मृत्युलोक) में उद्धार हो जाएगा। उन्होंने रावण कथा का वर्णन करते हुए कहा कि लंकाधिपति रावण अपने विमान पर बैठकर भ्रमण के लिए जब निकले तो आकाश पर उड़ते हुए विमान जब कैलाश पर्वत के ऊपर आया तो वह विमान वही स्थिर हो गया वहां से वह विमान जब नहीं उड़ सका तो रावण को क्रोध आने लगा।

तामसिक भोजन से दूर रहने और अपने मन के अहंकार को दूर करने का दिया संदेश–

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शिव महापुराण कहती है कि व्यक्ति को क्रोध 3 कारणों से आते हैं जब व्यक्ति किसी बेकार या जानवरों एवं पशुओं के लिए जो भोजन होता है उनका ग्रहण करता है तब उसे क्रोध आता है और वह क्रोध बढ़ता ही चला जाता है। वहीं दूसरा क्रोध हमारे अभिमान का है। जब व्यक्ति के अंदर अभिमान आता है तो वह पद ,प्रतिष्ठा,सम्मान और उसकी इच्छा पूर्ण नहीं होने पर क्रोध का दूसरा कारण बनता है। वहीं पंडित श्री प्रदीप मिश्रा ने तीसरे क्रोध का कारण बताते हुए कहा कि मन के अनुकूल यदि कोई कार्य ना हो तब व्यक्ति के अंदर क्रोध जागृत होता है, क्रोध आने से पूर्व विचार करना अतिआवश्यक है। उन्होंने आगे कहा कि जैसा खाया अन्न, वैसा होगा मन” एक प्राचीन भारतीय कहावत है, जिसका अर्थ है कि आप जैसा भोजन करते हैं, वैसा ही आपका मन और स्वभाव बनता है। दुनिया की दृष्टि में कैलाश पर्वत जितना विशाल है उससे भी विशाल महादेव है, जो कैलाश आता है उसके हृदय में ही शिव है। भारत भूमि के संतों ने सबसे बड़ा संयम क्रोध को शांत रखना माना है।

लंकाधिपति रावण अपने अभिमान में इतना अधिक चूर हो चुका था कि उसने क्रोध में कैलाश पर्वत को ही उठाना चाहा मगर पर्वत को हिला भी ना सका। वहीं कैलाश पर्वत पर पास बैठे नंदी ने देखा कि रावण पर्वत उठाने की बात दूर पर्वत हिला भी नहीं पा रहा, तब नंदी में रावण को भगवान शिव की आराधना ओर शिव स्तुति करना ही उत्तम मार्ग बतलाया। जिस तरह भगवान श्रीराम ने समुद्र को सुखाना चाहा था मगर उन्हें भी समुद्र देवता से प्रार्थना और विनती करनी पड़ी थी। उसी प्रकार सच्ची भक्ति और कथा का लाभ तभी मिल सकेगा जब मनुष्य अपने अंदर के अहंकार,अभिमान,तृष्णा और अभिमत्ता का त्याग करेगा। उन्होंने कहा दुनिया में धन,संपदा,राज, सत्ता,वैभव मिले या ना मिले लेकिन अच्छी सलाह देने वाला जीवन में जरूरी है, सलाहकार विवादों को दूर करने वाला होना चाहिए। रावण को अच्छी सलाह देने वाला कोई भी नहीं मिला और यदि मिले तो सिर्फ 3 विभीषण, मंदोदरी, और हनुमान जिन्होंने रावण को अहंकार छोड़कर सत्य के मार्ग पर चलने को कहा था।

मनुष्य जीवन में यदि संसार के लोगों से आप कोई आश लगाकर बैठते हैं तो एक दिन वह जरूर टूटती है यदि महादेव से कोई आश लगाया है वह आश कभी नहीं टूटती पर पूर्ण विश्वास की आश होती है। इस मनुष्य जीवन में हर कोई एक दूसरे से आश लगाकर बैठा है। शिव महापुराण कहती है कि यदि पुत्र–पुत्री बड़े से बड़े पद और प्रतिष्ठा पर बैठे हो तो मां-बाप को कतई नहीं सोचना चाहिए कि वह मुझे पूछेगा या संभालेगा। भगवान शिव से विनय विनती करनी चाहिए कि बच्चों को पद प्रतिष्ठा दे लेकिन हमारे बुढ़ापे को ऐसा ना बनाएं कि उनके अधीन हो जाए ऐसा बनाएं कि शिव चरणों के अधीन हो जाए।

इस दौरान पंडित श्री प्रदीप मिश्रा ने एक कैंसर पीड़ित महिला द्वारा लिखे गए पत्र को पढ़ते हुए बताया कि 3 महीने हो चुके वे अब स्वस्थ है उन्होंने महादेव पर चढ़े जल का आचमन कर कुंदकेश्वर महादेव का नाम लेकर दवाइयां का सेवन किया। इसी तरह छत्तीसगढ़ के (शक्ति जिले से ग्राम जोंगरा) की रहने वाली मिथिला जायसवाल जो की 2021 से घुटने से अत्यंत परेशान थी, उनका चलना फिरना भी बंद हो चुका था, डॉक्टरो ने कहा घुटने बेकार हो चुके हैं, तब उन्होंने शिव पर चढ़े जल का आचमन करके दवाइयों का सेवन किया करतीं थीं जिसके बाद अब उनके घुटने बदलने की आवश्यकता नहीं। वहीं पत्थलगांव से मनीषा मित्तल जिनकी माता किडनी की परेशानी से जूझ रही थी परिवार वालों ने नागपुर जाकर डॉक्टरों से दिखाया तो मालूम पड़ा किडनी में परेशानी है और उसे बदलनी पड़ेगी मगर प्रतिदिन शिव मंदिर जाकर जल चढ़ाने से उनके माता की स्थिति अब सामान्य हो चुकी।

वहीं कल प्रथम दिवस जशपुर जिले के कई क्षेत्रों में हुई तेज बारिश और तूफान का जिक्र करते हुए पंडित श्री प्रदीप मिश्रा ने कहा कि धन्य है शिव महापुराण की इस कथा को श्रवण करने वाले शिव भक्त जो कई प्रदेशों और आसपास के क्षेत्रों से आए हुए है जिन्होंने कल रात तेज बारिश में भी पांडाल पर शिव का नाम लेकर निश्चिंत होकर सो गए। उन्होंने कहा जशपुर जिलेवासियों के लिए अत्यंत ही गौरव की बात है की एक छोटे से गांव मयाली में शिव महापुराण की कथा को अन्य प्रदेशों से आए लाखों शिव भक्त श्रवण कर रहे हैं। जिसके पश्चात मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय एवं अन्य यजमानों ने द्वितीय दिवस की आरती की।

आपको बता दें कि जशपुर जिला प्रशासन ने श्रदालुओं की सुविधा के लिए पूरे इंतजाम किए हैं। कार्यक्रम स्थल में मंच, बैठक व्यवस्था, बैरिकेडिंग,पंडाल खोया पाया केंद्र और अस्थाई अस्पताल की भी सुविधा उपलब्ध कराया गया है। इसके साथ ही श्रद्धालुओं की टावर की समस्या को देखते हुए जिला प्रशासन ने कथा स्थल पर जिओ का टावर भी लगवाया है।

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