गोदावरी माइंस का विरोध… ग्रामीणों ने किया चक्काजाम…मुख्य मार्ग में लगी वाहनो की लंबी कतार

चक्काजाम में जनपद अध्यक्ष सुनाराम तेता, आम आदमी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष एवं आदिवासी समाज के नेता कोमल हुपेंडी, शिवसेना के प्रदेश महासचिव चन्द्र मौली मिश्रा, आम आदमी के नेता हरेश चक्रधारी, ब्लाक सरपंच संघ के अध्यक्ष प्रदीप कोरेटी, पिछड़ा वर्ग के नेता शेखर यदु सहित कई पंचायत के सरपंचो ने शामिल थे ।

चक्काजाम प्रातः 11 बजे से प्रारंभ है। जिसके चलते भानुप्रतापपुर से दुर्ग व राजनांदगांव मुख्य मार्ग बाधित हो गया है। सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लगी हुई है। कोई अप्रिय घटना न हो इसके लिए जिला प्रशासन के अधिकारी व भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।

प्रभावित लोगों ने कहा कि स्थानीय व जिला प्रशासन के अधिकारी माइंस प्रबंधन को लाभ पहुचाने के लिए दलाल का काम कर रहे है। नाराज लोगो ने प्रशासन को यहा तक कह दिया कि क्षेत्र के लोगों को बिना हथियार के नक्सली बनने पर मजबूर कर रही है।

इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे आदिवासी नेता कोमल हुपेंडी ने गोदावरी माइंस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। हुपेंडी ने कहा कि गोदावरी माइंस प्रबंधन लगातार आदिवासी भाइयों का शोषण कर रहा है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि कंपनी की मनमानी पर रोक लगाई जाए।

विकास कार्यों में मनमानी और रोजगार की मांग

प्रदर्शन में बैठे ग्रामीणों ने मुख्य रूप से बेरोजगारों को रोजगार देने की मांग की है। उनका कहना है कि माइंस द्वारा उत्पन्न किए गए बेरोजगारी के संकट को दूर करना प्रबंधन की जिम्मेदारी है।

ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनी द्वारा CSR और DMF की राशि का उपयोग प्रभावित क्षेत्रों के विकास में नहीं किया गया है। उनका कहना है कि CSR और DMF राशि से कोई विकास कार्य नहीं हुआ है, जबकि इन निधियों का उद्देश्य स्थानीय विकास और कल्याण होता है।

पुलिस की तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था

प्रदर्शन और चक्का जाम के चलते किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पुलिस प्रशासन द्वारा तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है। अधिकारियों द्वारा ग्रामीणों से बातचीत कर जाम खुलवाने और उनकी मांगों पर विचार करने का प्रयास किया जा रहा है।

सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों के इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होने से यह स्पष्ट है कि खनन प्रभावित क्षेत्रों में कंपनी के कामकाज और जनसुनवाई के स्थान को लेकर गहरा असंतोष है।

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