एक अभिनेता की तैयारी बाह्य तामझाम की बजाय अंतस में ज्यादा होती है: अखिलेन्द्र मिश्रा

अभिनेता, लेखक, रंगमंच कलाकार अखिलेन्द्र मिश्रा से रंगमंच और सिनेमा से जुड़े लोगों की बेबाक बातचीत

रायपुर। भरतमुनि के नाट्यशास्त्र का नये सिरे से अध्ययन करने की जरुरत है। इस नाट्य शास्त्र के जरिए जो बातें भरतमुनि ने कही है, वह अभिनय के साथ-साथ हमें अध्यात्म की ओर ले जाती है। एक अभिनेता को अभिनय के दौरान अपने शरीर में परकाया प्रवेश कराना होता है। जब हम किसी भी रोल को कर रहे होते हैं तो हमें उस रोल से जुड़े किरदार के बारे में सब कुछ जानना चाहिए। एक अभिनेता की तैयारी बाह्य तामझाम की बजाय अंतस में ज्यादा होती है। जो अभिनेता मंच पर जितना ज्यादा झूठ बोलकर अपना रोल प्ले करके अपने दर्शकों को अपनी शख्सियत भुलाकर जिस रोल को वह प्ले कर रहा है, यह बताने में सफल होता है, वही सच्चा अभिनेता है।


गोल्डन फेम एकेडमी ऑफ फिल्म आर्ट के समता कालोनी स्थित परिसर में चल रही 90 दिवसीय रंगमंच कार्यशाला में प्रतिभागियों को प्रशिक्षण देने पहुंचे अखिलेन्द्र मिश्रा से आज प्रशिक्षणार्थियों सहित रंगमंच, सिनेमा, कला साहित्य से जुड़े लोगों ने चर्चा की। इस चर्चा में आर्ट डायरेक्टर जयंत देशमुख, पूर्व डीजीपी राजीव श्रीवास्तव, सुभाष मिश्र, योग मिश्र, डॉ. योगेन्द्र चौबे, आचार्य रजक मोउक सहित बहुत से लोग उपस्थित थे। कार्यशाला की संचालिका पल्लवी शिल्पी विक्रांत, कौशल विश्वकर्मा ने भी चर्चा में हिस्सा लिया। अखिलेन्द्र मिश्रा ने चर्चा के दौरान कोरोना काल में लिखी गई अपनी किताब अभिनय, अभिनेता और अध्यात्म के बारे में चर्चा की। द लीजेंड ऑफ भगत सिंह में चंद्रशेखर तथा गंगाजल में सिपाही की भूमिका निभाने वाले अखिलेन्द्र मिश्रा ने अपनी आगामी फिल्मों, टीवी सीरियल और पुस्तकों के बारे में जानकारी दी।

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