भारत ने अलास्का में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई वार्ता का स्वागत किया.
भारत ने इसे वैश्विक शांति की दिशा में एक अहम कदम बताया.

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस वार्ता का स्वागत करते हुए कहा कि यह पहल वैश्विक शांति की दिशा में एक अहम कदम है। उन्होंने दोहराया कि भारत हमेशा से मानता है कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है और केवल बातचीत व कूटनीति से ही आगे का रास्ता निकलेगा।
उम्मीदें और नतीजे अधूरे
ट्रंप ने वार्ता को ‘बहुत सकारात्मक’ बताया लेकिन साफ किया कि किसी बड़े समझौते पर अभी मुहर नहीं लगी है। उन्होंने कहा कि कई मुद्दों पर मतभेद कायम हैं और उन्हें सुलझाने के लिए आगे और बातचीत करनी होगी। वहीं पुतिन ने ट्रंप की मित्रतापूर्ण भाषा और रूस के राष्ट्रीय हितों की समझ की सराहना की।
हालांकि, बैठक से कोई ठोस घोषणा या लिखित समझौता नहीं हो पाया। दोनों नेताओं की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस भी महज 15 मिनट तक चली, जिसमें केवल सामान्य कूटनीतिक बयान दिए गए।
वार्ता की 5 बड़ी बातें:
- किसी बड़े समझौते पर सहमति नहीं बनी, मतभेद बरकरार।
- ट्रंप ने कहा – “प्रगति हुई है, लेकिन अभी काफी दूरी तय करनी है।”
- चीन पर रूसी तेल खरीदने को लेकर टैरिफ फिलहाल टाल दिए गए।
- भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ (जिसमें 25% रूसी तेल आयात पर पेनल्टी शामिल) पर ट्रंप ने कोई टिप्पणी नहीं की।
- पुतिन ने ट्रंप की प्रशंसा की लेकिन यूक्रेन में नागरिकों की मौत पर ट्रंप की चुप्पी सवालों में।
आगे की राह
ट्रंप ने संकेत दिया कि जल्द ही पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच मुलाकात हो सकती है, जिसमें वे खुद भी शामिल हो सकते हैं। हालांकि, बैठक की तारीख और स्थान को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है।
दुनिया की निगाहें अब इस पर टिकी हैं कि क्या यह पहल यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में ठोस नतीजे ला पाएगी या फिर यह भी अधूरी कोशिश साबित होगी।