छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बार फिर सोशल मीडिया पर बयानबाज़ी और कटाक्षों की जंग छिड़ गई है। मौका था पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल का जन्मदिन, लेकिन इस मौके पर भी राजनीतिक शिष्टाचार गायब नजर आया। बीजेपी की सोशल मीडिया टीम ने एक विवादास्पद कार्टून पोस्टर जारी कर बघेल पर तंज कसा, जिसके बाद कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी।

बीजेपी का पोस्ट और उसमें क्या था?
बीजेपी छत्तीसगढ़ के आधिकारिक सोशल मीडिया पेज पर सुबह 11:35 बजे एक कार्टून पोस्टर साझा किया गया, जिसमें भूपेश बघेल को व्यंग्यात्मक रूप से ‘ठगेश जी’ कहकर संबोधित किया गया। पोस्टर में एक कार्टून कैरेक्टर के हाथ में स्कैनर दिखाया गया है, जिस पर लिखा है — “भू-पे स्कैनर: कमीशन ऑनली”। साथ ही कैप्शन में तंज कसते हुए लिखा गया —
“छत्तीसगढ़ को ATM बनाकर घोटालों से लूटने वाले ठगेश जी को Happy Birthday…”
इस पोस्ट में यह भी जोड़ा गया कि “सारे घोटालेबाज मित्र कमीशन इसी पर भेजें, यहां ED न आ जाए इसलिए मैं दिल्ली में जन्मदिन मना रहा हूं।” इस पोस्ट पर सोशल मीडिया पर टिप्पणियों की बाढ़ आ गई, और कांग्रेस नेताओं ने कड़ा विरोध दर्ज कराया।

कांग्रेस का पलटवार: ‘RSS की सोच’
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता धनंजय ठाकुर ने कहा —
“विरोध करने का एक लोकतांत्रिक तरीका होता है, लेकिन बीजेपी जिस भाषा और कार्टून संस्कृति का इस्तेमाल कर रही है, वह बेहद ओछी और शर्मनाक है।”
उन्होंने आगे कहा कि भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ ने किसानों, युवाओं और गरीबों के लिए ऐतिहासिक योजनाएं चलाईं। बीजेपी खुद को विफल मान चुकी है और अब व्यक्तिगत हमले ही उसकी राजनीति का साधन बन गए हैं। ठाकुर ने बीजेपी के इस व्यवहार को “आरएसएस की मानसिकता” बताया और कहा कि विपक्षी नेताओं को निजी तौर पर निशाना बनाना अब उनकी रणनीति बन चुकी है।

हर उत्सव बना प्रचार का हथियार
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनावी साल में अब हर पर्व, हर आयोजन — राजनीतिक हथियार बनता जा रहा है। भूपेश बघेल के जन्मदिन पर बीजेपी की यह रणनीति सीधे तौर पर कांग्रेस की छवि को कमजोर करने की कोशिश मानी जा रही है। वहीं कांग्रेस इस तरह के पोस्ट्स के जरिए बीजेपी को संवेदनहीन और षड्यंत्रकारी दिखाने की कोशिश कर रही है।
पहले भी हो चुके हैं ऐसे विवाद
यह पहली बार नहीं है जब सोशल मीडिया पर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने आए हों। पूर्व में भी कार्टून पोस्टर्स और जानवरों से तुलना जैसे विवाद सामने आ चुके हैं, जिनकी कड़ी आलोचना प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं और नागरिक संगठनों द्वारा की गई थी।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सोशल मीडिया की यह कार्टून राजनीति आने वाले चुनावी महीनों में कितनी तीखी और व्यक्तिगत होती जाती है।



