:दिलीप गुप्ता:
सरायपाली :- विश्व मे जितने भी देश , राज्य , शहर व गांव होते हैं सभी की पहचान किसी न किसी
विशेष कारणो से होती है । उसी पहचान से देश , राज्य , शहर , नगर व गांव को जाना जाता है ।
इसी तरह सरायपाली ( सराईपाली ) की भी अपनी पहचान है । पुराने वासिंदे व प्रचलित कथाओं के
अनुसार सरायपाली का नामकरण दो कारणों से पड़ा ।
सरायपाली को दो नामो से जाना जाता है एक सरायपाली व दूसरा सराईपाली ।

सरायपाली में व उसके आसपास के क्षेत्रों में बहुमूल्य व इमारती लकड़ी सरई के झाड़ बहुतायत में थे । सरई झाड़ो से पूरा आसपास के जंगल व इलाका भरा पड़ा था इस वजह से सराईपाली नाम पड़ा ।
तो वही कुछ लोगों का कहना था कि सरायपाली में जो भी बाहर से आया उसका घर व आश्रय सरायपाली ही बना रहा । वह यहां से कभी वापस नही गया वह यहीं का होकर रह गया । सरायपाली ने सभी को सराय व आश्रय दिया इसलिए कुछ लोग नगर को इसी के नाम से सरायपाली भी कहते हैं ।
अभी तक सरायपाली की यह पुराना व प्रचलित नाम व पहचान थी और अब सरायपाली की पहचान पुराने व प्रचलित कथाओं से नही बल्कि विद्युत खम्बो से की जायेगी । यह आश्चर्यजनक किंतु सत्य है ।
देश मे शायद ही किसी नगर , शहर व गांव को विद्युत खम्बो से जाना जाता होगा । पर यह सत्य प्रतीत होने लगा है इस नाम से सरायपाली को पहचान दिलाने में नगरपालिका की अहम व प्रमुख भूमिका होगी । जिसका श्रेय भी नगरपालिका को जायेगा ।

ज्ञातव्य हो की वर्षो तक मुख्यमार्ग में यातायात का अत्यधिक दबाव व असुरक्षित हो रहे यातायात को देखते हुवे गौरवपथ निर्माण किये जाने की मांग नगरवासी करते रहें है किंतु किसी राजनैतिक दलों द्वारा इस ओर ध्यान नही दिया गया ।
पिछले वर्ष कांग्रेस की नगर सरकार द्वारा गौरवपथ की स्वीकृति दिलाई गई व कार्य भी प्रारम्भ हुआ । आज गौरवपथ लगभग तैयार है । नगर को सौंदर्यीकरण के उद्देश्य से पुराने सभी बिजली खम्बो को हटाकर नए खम्बे लगाए गए ।
वर्षो पुराने बिजली तारो व ट्रांसफार्मरों को हटाया गया व नए लगाए गए । इस चक्कर मे नगर के घंटेश्वरी मंदिर से जामबहलीन मंदिर तक 518 नये विद्युत खम्बे नये लगाये गए हैं जिनमे सपोर्टिंग पोल , ट्रान्सफर पोल व विद्युत पोल शामिल है ।
तो वही डिवाइडरों में स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए नगरपालिका द्वारा 210 पोल लगाए जा रहे हैं । इस तरह कुल 728 पोल लग रहे हैं । सभी पोलो में सिल्वर कलर लगा होने के कारण दूर से सभी खम्बे चमकते हैं ।

जामबहलीन से घंटेश्वरी मंदिर तक यदि कोई आ- जा रहा है तो सबसे पहले लगे हुवे खम्बे लोगो को आकर्षित करते हैं । नगर के अंदर जैसे जैसे प्रवेश करेंगे वैसे वैसे सिर्फ खम्बे ही खम्बे दिखाई देंगे । पूरे 6.5 किलोमीटर तक खम्बो का जाल बिछा दिखाई देगा ।
ऐसा अहसास होगा जैसे हम खंभों की नगरी में आ गये हैं । कुछ बाहरी लोगो को यह भी एहसास हो सकता है कि कंही वह भूलवश विद्युत उत्पादन केंद्र के किसी नगर में तो नही आ गये हैं ।
