New Delhi Breaking : केजरीवाल की ज़मानत को सत्य की जीत करार देते हुए कहा – झुकते हैं तानाशाह, लड़ने वाला चाहिए

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New Delhi Breaking :  आप ने केजरीवाल की ज़मानत को सत्य की जीत करार दिया

New Delhi Breaking :  नयी दिल्ली  !   आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शुक्रवार को मिली जमानत को सत्य की जीत करार देते हुए कहा है कि झुकते हैं तानाशाह, लड़ने वाला चाहिए।

आप के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने कहा, “झूठ और साज़िशों के ख़िलाफ़ लड़ाई में आज पुनः सत्य की जीत हुई है।”

उन्होंने कहा “एक बार पुनः नमन करता हूं बाबा साहेब अंबेडकर जी की सोच और दूरदर्शिता को, जिन्होंने 75 साल पहले ही आम आदमी को किसी भावी तानाशाह के मुक़ाबले मज़बूत कर दिया था।”

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आप के नेता संजय सिंह ने कहा, “लोकतंत्र में तानाशाही नहीं चलेगी-नहीं चलेगी। झुकते हैं तानाशाह लड़ने वाला चाहिए। मोदी की अत्याचारी हुकूमत अरविंद केजरीवाल के हौसलों को नहीं तोड़ पाई।”

उन्होंने कहा “जेल के ताले टूट गये अरविंद केजरीवाल छूट गये। झूठ का पहाड़ गिर रहा है ईडी, सीबीआई और भाजपा के झूठे केस का पर्दाफ़ाश हो चुका है। सत्यमेव जयते!”

New Delhi Breaking :  दिल्ली सरकार के केबिनेट मंत्री गोपाल राय ने कहा “सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं। सर्वोच्च न्यायलय का बहुत बहुत शुक्रिया। सत्यमेव जयते। जेल के ताले टूट गये, अरविंद केजरीवाल छूट गये। इंकलाब जिंदाबाद।

आप के महासचिव संदीप पाठक ने कहा “सत्यमेव जयते! सत्य परेशान हो सकता है, मगर पराजित नहीं। सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद!”

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने कथित शराब घोटाले मामले में श्री केजरीवाल को आज ज़मानत दे दी।

शीर्ष अदालत ने इससे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान भी श्री केजरीवाल को 21 दिन के लिए अंतरिम जमानत दी थी। जेल से निकलने के बाद उन्होंने कई चुनावी सभाओं में भाग लिया था।

सीबीआई ने आबकारी नीति बनाने और उसके कार्यान्वयन में की गई कथित अनियमितताओं के आरोप के आधार पर 17 अगस्त 2022 को एक आपराधिक मुकदमा दर्ज किया था। इसी आधार पर ईडी ने 22 अगस्त 2022 को धनशोधन का मामला दर्ज किया था। शुरू में श्री केजरीवाल का नाम आरोपियों में नहीं था।

सीबीआई मामले में शीर्ष अदालत के समक्ष सुनवाई के दौरान केंद्रीय जांच एजेंसी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने मुख्यमंत्री को जमानत दिए जाने की दलीलों का पुरजोर विरोध करते हुए कहा था कि अधीनस्थ अदालत को दरकिनार करने की अनुमति केवल असाधारण परिस्थितियों में ही दी जा सकती है।

इस पर  केजरीवाल का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्री सिंघवी ने दलील दी थी कि सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत आरोपी को नोटिस जारी करने के संबंध में वर्तमान याचिका में उठाए गए आधारों पर हिरासत के दौरान बहस की गई थी। इसके बाद विशेष अदालत ने उसे खारिज कर दिया था, इसलिए याचिकाकर्ता को फिर से उसी मुद्दे पर वहां बहस करने के लिए वापस भेजना न्यायोचित नहीं होगा।

पीठ के समक्ष गुरुवार पांच सितंबर 2024 को श्री सिंघवी ने कहा, “शायद यह एकमात्र ऐसा मामला है, जिसमें मुझे (केजरीवाल) इस अदालत से सख्त धन शोधन रोकथाम अधिनियम के तहत दो रिहाई आदेश मिले। उच्च न्यायालय से एक और विस्तृत आदेश मिला। फिर सीबीआई द्वारा पहले से तय गिरफ्तारी हुई।”

शीर्ष अदालत को श्री सिंघवी ने यह भी बताया कि श्री केजरीवाल का नाम 2022 में दर्ज मुकदमे में नहीं था और उन्हें वर्ष 2024 जून में गिरफ्तार किया गया था।

उन्होंने कहा, “तीन अदालती आदेश मेरे पक्ष में हैं। यह एक पहले से तय की गई गिरफ्तारी है, ताकि उन्हें (मुख्यमंत्री) जेल में रखा जा सके।”
वरिष्ठ अधिवक्ता ने श्री केजरीवाल का पक्ष रखते हुए आगे कहा, “सबूतों के साथ छेड़छाड़ का कोई सवाल ही नहीं है, क्योंकि लाखों दस्तावेज हैं, जिनमें से कई तो डिजिटल हैं। उनके मुवक्किल न्यायिक हिरासत में रहते हुए गवाहों को कैसे प्रभावित कर सकते हैं और इस मामले में पांच आरोप पत्र भी दाखिल किए गए हैं।”

उन्होंने दिल्ली आबकारी नीति मामले से संबंधित अन्य आरोपियों – दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, सांसद संजय सिंह और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की विधान पार्षद के. कविता के जमानत आदेशों का हवाला दिया। शीर्ष अदालत ने उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया था।
श्री सिंघवी ने आगे कहा कि सीआरपीसी की धारा 41ए को 2010 में गिरफ्तारियों को विनियमित करने के लिए पेश किया गया था और इसका उद्देश्य मनमानी गिरफ्तारियों को रोकना और यह सुनिश्चित करना था कि कानून प्रवर्तन अधिकारी बिना किसी वैध आधार के किसी को गिरफ्तार न कर सकें।

दूसरी ओर श्री राजू ने केजरीवाल की याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने पहले सत्र न्यायालय में गुहार लगाने की बजाय सीधे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

उन्होंने कहा, “यह मेरी प्रारंभिक आपत्ति है। गुण-दोष के आधार पर अधीनस्थ अदालत को पहले इस पर विचार करना चाहिए था। उच्च न्यायालय को गुण-दोष देखने के लिए बनाया गया था और यह केवल असाधारण मामलों में ही हो सकता है। सामान्य मामलों में पहले सत्र न्यायालय का रुख करना पड़ता है। वह (केजरीवाल) यहां आए और फिर उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया और वह फिर से शीर्ष अदालत आए।”
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल राजू ने यह भी दावा किया कि श्री केजरीवाल ने अपनी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार के माध्यम से पंजाब के एक आबकारी लाइसेंस धारक को परेशान करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि आरोपी को कोई भी राहत उच्च न्यायालय पर मनोबल गिराने वाला प्रभाव डालेगी।

पीठ ने हालांकि कहा कि उन्हें (राजू को) यह दलील नहीं देनी चाहिए थी। इस पर श्री राजू ने स्पष्ट किया कि उनके खिलाफ सीबीआई की चार्जशीट उच्च न्यायालय के समक्ष उपलब्ध नहीं थी।

उन्होंने कहा कि किसी विशेष व्यक्ति के लिए जमानत के संबंध में विशेष व्यवहार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कानून में कोई विशेष व्यक्ति नहीं है और सभी ‘आम आदमी’ को सत्र न्यायालय जाना होगा।’

गवाहों के बयान पढ़ते हुए श्री राजू ने दावा किया था कि इससे संकेत मिलता है कि श्री केजरीवाल दिल्ली आबकारी नीति मामले में ‘मुख्य साजिशकर्ता’ हैं।

चुनाव में रिश्वत के पैसे के इस्तेमाल का दावा करते हुए श्री राजू ने कहा था कि गोवा में कई अन्य लोग भी इस मामले में फंसे हुए हैं और अगर श्री केजरीवाल जमानत पर बाहर आते हैं तो वे गवाह मुकर सकते हैं।

New Delhi Breaking :  उच्चतम न्यायालय के समक्ष एक हलफनामे में सीबीआई ने श्री केजरीवाल को गिरफ्तार करने के अपने निर्णय को उचित ठहराते हुए दावा किया कि नई आबकारी नीति तैयार करने में सभी महत्वपूर्ण निर्णय दिल्ली के मुख्यमंत्री के इशारे पर तत्कालीन उपमुख्यमंत्री एवं आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया के साथ मिलीभगत करके लिए गए थे‌। ये फैसले 100 करोड़ रुपये की रिश्वत के लिए किए गए थे।

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