National epilepsy day भारत में मिर्गी से जूझ रही 15 लाख महिलाएं बांझपन से ग्रस्त : विशेषज्ञ

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National epilepsy day देश में मिर्गी पीड़ितों में से ज्यादातर महिलाएं बांझपन से ग्रस्त हैंः विशेषज्ञ

 

भारत में मिर्गी से जूझ रही प्रजनन आयु की लगभग 15 लाख महिलाओं की चौंका देने वाली संख्या निरंतर देखभाल और सहायता की गंभीर आवश्यकता को रेखांकित करती है।

 

National epilepsy day कोच्चि !  राष्ट्रीय मिर्गी दिवस पर, केरल में मिर्गी विशेषज्ञों ने मंगलवार को कहा कि दुनिया भर में करीब पांच करोड़ मिर्गी से पीड़ित लोगों में से देश में ज्यादातर महिलाएं बांझपन की समस्या से ग्रस्त हैं।


National epilepsy day कोच्चि के अमृता अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट ने बताया कि मिर्गी से पीड़ित व्यक्तियों के लिये बाजार में दवाएं उपलब्ध होने के बावजूद भी इस बीमारी से निजात पाने में असफल हैं। जनसांख्यिकीय को महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।


National epilepsy day कोच्चि के अमृता अस्पताल में मिर्गी रोग विशेषज्ञ और न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. सिबी गोपीनाथ ने कहा,“मिर्गी, एक तंत्रिका संबंधी विकार है जिसमें बार-बार दौरे पड़ते हैं, जो दुनिया भर में लगभग पांच करोड़ लोगों को प्रभावित करता है, जिनमें से एक महत्वपूर्ण हिस्सा भारत में रहता है, जहां इस बीमारी से करीब एक-दो करोड़ लोग प्रभावित हैं।”


देश में मिर्गी से पीड़ित करीब 15 लाख महिलाओं की प्रजनन क्षमता क्षीण होती जा रही है। एंटीपीलेप्टिक जैसी तमाम दवाएं खाने की वजह से वे बच्चा पैदा करने में असमर्थ हैं और समस्याग्रस्त महिलाओं की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
मिर्गी से पीड़ित बच्चों को प्रशिक्षित बाल चिकित्सा न्यूरोलॉजिस्ट द्वारा मूल्यांकन की आवश्यकता होती है। इससे सटीक निदान पाने के लिये व्यापक न्यूरोलॉजिकल और इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (ईईजी) तथा मस्तिष्क स्कैन जैसे उन्नत न्यूरोइमेजिंग अध्ययनों पर निर्भर करता है।


National epilepsy day मिर्गी से पीड़ित व्यक्तियों को समय से पहले मौत का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि संक्रमण, गिरने व मस्तिष्क पर जरूरत से ज्यादा जोर देना या आत्महत्या मौत के प्रमुख कारण हैं।


विशेषज्ञों ने कहा,“महिलाओं में मिर्गी का जल्द पता लगाकर समय पर उचित इलाज करवाना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, स्वास्थ्य देखभाल प्रथाओं को लागू करना, सावधानीपूर्वक प्रसव के लिये प्रबंधन और आवश्यक टीकाकरण प्रोटोकॉल मिर्गी से निजात पाने में कारगर हैं। ये उपाय मिर्गी से प्रभावित महिलाओं और बच्चों के समग्र कल्याण में वृद्धि करने में सहायक हैं।”


उन्होंने बताया कि शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में मिर्गी से पीड़ित व्यक्तियों के उपचार में काफी अंतर मौजूद है, जिससे वहां के औसतन लोगों की अपनी उम्र से करीब 10-12 साल पहले ही मृत्यु हो जाती है।

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इसीलिये, विशेषज्ञ मिर्गी के उपचार के साथ-साथ जागरुकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते हैं। उन्होंने सांस्कृतिक मान्यताओं, सामाजिक कलंक और अपर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढांचे से प्रभावित होकर मिर्गी से पीड़ित महिलाओं पर अपर्याप्त ध्यान दिए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की।

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