Narayanpur : बांस से बने सूपा , सुपली , टुकनी का अबूझमाड़ के ग्रामीणों को नही मिलता सही दाम

Narayanpur : बांस से बने सूपा , सुपली , टुकनी का अबूझमाड़ के ग्रामीणों को नही मिलता सही दाम

Narayanpur : बांस से बने सूपा , सुपली , टुकनी का अबूझमाड़ के ग्रामीणों को नही मिलता सही दाम

कड़ी मेहनत और इनकी कला का पारखी कब मिलगा ये है बड़ा सवाल

हस्त शिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष इनके विधायक होने के बाद भी कला का अब तक नही हुआ सम्मान

नारायणपुर – नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ के ग्रामीण जंगल पहाड़ियों में मिलने वाले बांस(बम्बू) से दैनिक उपयोग की सामग्रियों को रखने के लिए सूपा , टुकनी , ढोलगी , बांस झाड़ू आदि सामानों का निर्माण कर मिलो पैदल चलकर जिला मुख्यालय के साफ़्तहिक बाजार में बेचने के लिए आते है

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लेकिन उन्हें उनकी कड़ी मेहनत और कला का बाजिब दाम नही मिलने से कौड़ियों के दाम में बेचकर जाना पड़ता है । बांस से बनाये गए सामानों में उनकी कला साफ झलकती है कि कितनी मेहनत करके सामानों को ग्रामीण बनाते है । वही दीपावली के समय इन सामानों की मांग ज्यादा रहती है बाउजूद इसके उन्हें कम दाम ही बाजार में मिलते है ।

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वही भाजयुमो के जिलाध्यक्ष जैकी कश्यप स्थानीय विधायक व हस्त शिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष पर अबूझमाड़ के ग्रामीणों की कला और मेहनत को लेकर अब कोई कारगर कदम नही उठाये जाने को उनकी नाकामी बताया और अबूझमाड़ के ग्रामीणों के सामानों की शासकीय खरीदी कर सी मार्ट में बेचने की मांग की ताकि उन्हें राहत मिलने ।


अबूझमाड़ के ग्रामीणों को उनकी बांस कला को लेकर शासन और प्रशासन कारगर कदम उठाकर उनकी कड़ी मेहनत का वाजिब दाम दिलाये जाने से उनके जीवन स्तर में सुधार लाने में अहम भूमिका निभाया जा सकता है ।

नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ के ग्रामीणों की आय का प्रमुख साधन जंगल से मिलने वाले वनोपज और बांस (बम्बू) है ।

बांस को जंगल पहाड़ियों से लाने जाने के लिए ग्रामीणों को अपने घर से लगभग 10 किलोमीटर का सफर तय कर बांस की कटाई कर उसकी सफाई कर लाते है उसके बाद बांस को छीलकर उसे सुखाकर उसे सूपा , टुकनी , ढोलगी आदि समान का निर्माण करते है ।

जिसके बाद जिला मुख्यालय नारायणपुर कंधे पर समान को लादकर 50 से 70 किलोमीटर का सफर तय करके पहुचते है । इतनी कड़ी मेहनत के बाद इन्हें दिन भर बाजार में बैठकर अपने सामानों को 20 रुपये से लेकर 50 रुपये के दाम पर कोचियों को बेच देते है

क्योंकि उतना समान कंधे पर लादकर वापस नही ले जा सकते । जबकि इन सामानों का दाम अन्य शहरों में कोचिये अच्छे दामो पर बेचकर लाभ कमाते है ।

अबूझमाड़ के ग्रामीण दीपावली के समय बांस से बने समान ज्यादा मात्रा में लेकर आते है क्योंकि दीपावली के समय इन सामानों की ज्यादा मांग रहती है ।

गौवर्धन पूजा में गाय को खिचड़ी खिलाने के लिए सूपा , टुकनी और धान कटाई के बाद उसे रखने के लिए ढोलगी का उपयोग करते है ।

स्थानीय खरीदारों का भी मानना है कि इन्हें इनकी मेहनत का बाजिब दाम नही मिलता । इस पूरे मामले को लेकर भाजयुमो के जिलाध्यक्ष जैकी कश्यप का कहना है कि नारायणपुर के स्थानीय विधायक चंदन कश्यप हस्त शिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष है

बाउजूद इसके बांस से अबूझमाड़ के ग्रामीणों द्वारा बनाये गए सामानों की कला और मेहनत को लेकर अब तक कोई कदम नही उठाया जाना उनकी लापरवाही को बयां करता है ।

हम उनसे मांग करते है कि उनके सी मार्ट और बांस शिल्प केंद्र में इन सामानों की खरीदी करके ग्रामीणों को वाजिब दाम दिलाये ताकि उनकी कला और कड़ी मेहनत के साथ न्याय हो सके ।

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