Archeology and Culture : छत्तीसगढ़ प्राचीन “नगरों की सुरक्षा में गढ़ की भूमिका”

Archeology and Culture : छत्तीसगढ़ प्राचीन "नगरों की सुरक्षा में गढ़ की भूमिका"

Archeology and Culture : छत्तीसगढ़ प्राचीन “नगरों की सुरक्षा में गढ़ की भूमिका”

Archeology and Culture : छत्तीसगढ़ का इतिहास अत्यंत प्राचीन है समय के साथ राज्यों का उदय एवं अवसान होता रहा है, दक्षिण कौशल मल्हार से कुछ आगे वर्तमान पामगढ़ में ग्राम से 8 से 10 किलोमीटर दूर उत्तर पूर्व में कोसला ग्राम है

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Archeology and Culture : छत्तीसगढ़ प्राचीन "नगरों की सुरक्षा में गढ़ की भूमिका"
Archeology and Culture : छत्तीसगढ़ प्राचीन “नगरों की सुरक्षा में गढ़ की भूमिका”

Archeology and Culture :आज भी यहां परीखा एवं प्राचीर विद्यमान है l कौशल नगर जनपद की सुरक्षा के लिए बनाए गए थेl शरभ ;पांडू ,तत्पश्चात कलचूरियों का छत्तीसगढ़ में आगमन हुआ था

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1000 ईस्वी से 1500 ईसवी का समय छत्तीसगढ़ के नामकरण का समय था ,जब वैदिक युग के किले गढ़ कहलाने लगे ऊपर राज शिवनाथ नदी के ऊपर उत्तर में तूमान ,रतनपुर, मारो, विजयपुर ,नवागढ़, कोटगढ़ ओखर , कोशगई, सोथी

सिमरिया , लाफा, मल्हारगढ़, निर्माण के अवशेष भग्न अवस्था में हैं, जहां दीवारें एवं परीखा मौजूद हैl शिवनाथ नदी के दक्षिण जिले खाले राज कहा जाता है ,रायपुर, पाटन, अमोरा , दुर्ग ,सिरपुर खल्लारी, फिंगेश्वर मैं गढ़ के अवशेष दिखाई

देते हैं lनए छत्तीसगढ़ राज्य वर्तमान में और भी गढ़ सम्मिलित हैं जैसे रायगढ़, सारंगढ़, धर्मजयगढ़ l बलोदा बाजार जिला में डमरु में मातृका गढ़ (मिट्टी के गढ़ )प्राप्त हुए हैंl राजा जहां भी अपना नया राजधानी स्थापित करता था ,उसी स्थान के साथ

गढ़ का प्रयोग होने लगता था आज भी प्रमुख स्थलों में भूतपूर्व राजाओं के खूबसूरत गढ़ देखे जा सकते हैं सुदृढ़ महल और खाई युक्त गढ़ देखे जा सकते हैं एक गढ़ के चारों और विस्तृत भू-भाग राज कहलाता था आज भी यहां खैरागढ़ राज पाटन

रायगढ़ राज रायपुर राज शब्दों का प्रयोग करते हैं इस प्रकार छत्तीसगढ़ “गढ़’ का समूह होने के कारण क्षेत्र का नाम छत्तीसगढ़ हो गया l नगर की रक्षा के लिए प्राचीन राजाओं ने तथा कलचुरी राजाओं ने किलेबंदी की थी युद्ध एवं प्रतिरक्षा

प्रबंध किए थे हाथी घोड़े पैदल चतुरंगी नी सेना का संगठन अलग-अलग अधिकारी के हाथ में होता था महावत का बहुत महत्व था सर्वोच्च सेनापति राजा होता था फिर सेनापति साधनी या महासेनापति का कहलाता था गढ़ में रहता था शत्रुओं से

रक्षा हेतु राज्य गढ़नगर का निर्माण किया गया था जैसे तूमान रतनपुर मलालपतन में सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से गढ़ का निर्माण किया गया था रतनपुर के राजा बाहर साइ कोसगई में खजाना रखने के लिए गढ़ का निर्माण कराया नगर रक्षा के लिए चारों

तरफ दीवारों का निर्माण किया जाता था जो पत्थर के होते थे चार से सात दरवाजे देवताओं के नाम पर रखे गए थे मुख्य दरवाजा बहुत बड़ा मजबूत होता था जो हाथी की टक्कर से भी सुरक्षित रह सकता था गढ़ के अंदर राजा का, निवास रानी

निवास, देवालय, पोखर ,तालाब सेना, सैनिक अधिकारी, खाद्य पदार्थों की आवश्यक वस्तुएं रखी जाती थी;
और पहाड़ के बीच खाई के घेरे नगर को घेरे रहते थे इस तरह नगर की रक्षा के लिए शत्रुओं से रक्षा का अभेद गढ़ बनाए

जाते गढ़ पत्थर एवं मिट्टी दोनों के पाए गए हैं जैसे कोटगढ़ ओखर डमरु आरंग के पास रीवा नामक गांव में मिट्टी के गढ़ बने हैं खल्लारी जिसे खलवाटिका कहते हैं घाटियों में बसा है सागर विश्वविद्यालय के शोधार्थियों के शोध अध्ययन प्रोफेसर के

शोध के अनुसार मिट्टी गढ़ से जो मृदभांड और तांबे के सिक्के प्राप्त किए गए हैं उनके परीक्षण उपरांत उन्होंने पाया है कि यह मौर्य काल के बने हैं गढ़ की बनावट अष्टकोण षटकोण अंडाकार चतुर्भुजी है लगभग छत्तीसगढ़ मैं गढ़ एक समान

बनाए गए हैं बस्तियों का निर्माण समान किया गया है यहां सुरक्षा व्यवस्था महत्वपूर्ण थी और यहां प्राप्त मिट्टी के बर्तनों के आधार पर इनका से शिल्प सातवीं शताब्दी का माना जा सकता है ऐसा सागर विश्वविद्यालय के शोध कार्यों से मालूम पड़ता

है पाषाण गढ़ मिट्टी के गढ़ वन पर्वत निर्जन प्रदेश गिरी जहां बनाएं गए सभी में खाद्य भंडारण जल भरण निकास की व्यवस्था पोखर तालाब कमल के खेत अवश्य निर्माण किए गए थे गढ़ के बाहर देवी शक्ति उपासना स्थल का निर्माण किया

जाता था जहां देवी की उपासना की जाती थी गढ़ की रक्षा के लिए किले बंदी की जाती थी और किलेबंदी के पूर्व समस्त प्रकार की सैन्य सामग्रियां और भोजन सामग्री आवश्यक वस्तुएं किले में एकत्रित कर लिए जाते थे समरांगण – सूत्राधार के

अनुसार चारों ओर खाइयों का निर्माण और खाइयों से निकली मिट्टी से गढ़ बंदी की जाती थी युद्ध आक्रमण की स्थिति का सामना करने के लिए मजबूत दरवाजे, परकोटे, बाहरी दीवार, सुरंग, सीढ़ियां ,हथियारों के प्रयोग के अनुकूल गढ़ बनाए

जाते थे lइस तरह नगर की रक्षा में गढ़ सारी व्यवस्थाएं की जाती थी की शत्रुओं को महीनों 6 महीनों साल भर तक गढ़ के बाहर प्रतीक्षा करनी पड़ती थी इतने मजबूत गढ़ किले होते थे युद्ध भूमि अथवा आक्रमण शत्रु जहां कर सकता था वहां

शत्रुओं से रक्षा के लिए गढ़ को बनाया गया था छत्तीसगढ़ में गढ़ का निर्माण मुख्यता राजस्व केंद्रों में था जहां अपनी प्रशासनिक व्यवस्था 84 गांव का एक गढ़ तीन 84 का एक राज जैसी व्यवस्था थी यहां दीवान होते थे और राजस्व वसूली

किए जाते थे इस तरह से निर्माण छत्तीसगढ़ में राजस्व खजाने की सुरक्षा के लिए किया गया था जिसमें सभी उच्च पदाधिकारी निवास करते थे वर्तमान मैं धन की रक्षा अथवा तिजोरी लॉकर की रक्षा के लिए व्यवस्था की जाती है उसी तरह

प्राचीन काल में छत्तीसगढ़ के गढ़ खजाने को सुरक्षित रखने के लिए और अपने राज्य की सुरक्षा के लिए बनाए गए थे जहां से राजनीति और प्रशासन का संचालन संपूर्ण राज्य में होता था

आज भी गणों के वास्तु कला को देखकर आश्चर्यचकित होना पड़ता है शानदार सुंदर राजमहल अद्भुत वास्तुकला लिए हुए हैं
चंद्रशेखर तिवारी अतिथि प्राध्यापक इतिहास दर्शन शास्त्र

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