गरियाबंद। शिक्षक की कमी दूर करने सरकार ने युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया अपनाई थी। छुटपुट विवादों के बीच काउंसिलिंग भी संपन्न हो गई, लेकिन आदेश जारी होने के ढाई माह बाद भी जिले के 60 से ज्यादा शिक्षकों ने स्कूलों में ज्वाइनिंग नहीं दी है। लंबी अनुपस्थिति से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। ऐसे में शिक्षा विभाग अब इन शिक्षकों पर कार्रवाई की तैयारी में जुट गया है।

प्रदेश भर में सबसे ज्यादा अभ्यावेदन गरियाबंद जिले से लगाए गए। यहां 300 से ज्यादा शिक्षकों ने युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। न्यायालय ने संभाग स्तर पर सुनवाई के निर्देश दिए थे और 22-23 अगस्त को सुनवाई भी हुई, लेकिन अब तक फैसला नहीं आया है। कई शिक्षकों ने फैसले का इंतजार किए बिना ज्वाइन कर लिया, मगर 60 शिक्षक अब भी डटे हुए हैं। जानकार मानते हैं कि इनके पक्ष में निर्णय की संभावना बेहद कम है, क्योंकि प्रक्रिया में प्रशासन ने गलती की गुंजाइश नहीं छोड़ी है।
इधर, शिक्षक की कमी पर जनप्रतिनिधियों ने नाराजगी जताई है। जिला पंचायत सदस्य लोकेश्वरी नेताम ने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय पहुंचकर मूढ़गेलमाल स्कूल का मुद्दा उठाया। उन्होंने बताया कि यहां पदस्थ एक शिक्षक ने अभ्यावेदन दिया है, जबकि दूसरी शिक्षिका ने प्रक्रिया में अफसरों की लापरवाही का फायदा उठाकर अपनी मनचाही पदस्थापना करा ली है। नेताम ने इसकी जांच की मांग की और चेतावनी दी कि यदि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई तो आंदोलन किया जाएगा।
जिला शिक्षा अधिकारी जगजीत सिंह धीर ने कहा कि शिक्षकों के ज्वाइनिंग नहीं देने से बच्चों का अध्यापन प्रभावित हो रहा है। संबंधित ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे शिक्षकों की सूची तैयार कर भेजें, ताकि अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सके।
जिन स्कूलों में शिक्षकों ने ज्वाइन नहीं दी है, उनमें देवभोग ब्लॉक के पीएस निष्ठीगुड़ा, केंदूबंद, ठीरलीगुडा, बिछलपारा, दरलीपारा, दाबरीभाठा, सीनापाली और भोईपारा सहित कई गांव शामिल हैं। मैनपुर ब्लॉक में भी डोंगरीपारा, मुंशीपारा, घटियाभरी, पोहेलपारा और अन्य स्कूल प्रभावित हैं। वहीं, गरियाबंद और छुरा ब्लॉक के कई स्कूल भी शिक्षक विहीन हैं।
स्थिति गंभीर होने पर अब विभाग सख्त रुख अपनाने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि ज्वाइनिंग से बच रहे शिक्षकों के खिलाफ जल्द ही कार्रवाई की जाएगी, ताकि बच्चों की पढ़ाई में कोई बाधा न आए और युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया प्रभावी साबित हो सके।