Monet Mines Management मोनेट माइंस प्रबंधन की लापरवाही लापरवाही के चलते ग्रामीण की मौत

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Monet Mines Management मोनेट माइंस प्रबंधन की लापरवाही लापरवाही के चलते ग्रामीण की मौत

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Monet Mines Management भानुप्रतापपुर। दुर्गुकोंदल क्षेत्रान्तर्गत ग्राम हाहालद्दी दोड़दे स्थित जेएसडब्ल्यू इस्पात स्पेशल लिमिटेड मोनेट माइंस प्रबंधन के लापरवाही के चलते एक आदिवासी ग्रामीण की खदान क्षेत्र में सिर में पत्थर लगने से मौत हो गई। लौह अयस्क उत्खनन के पूर्व ही कोई भी माइंस प्रबंधन के द्वारा पूर्ण नियम शर्तो का पालन नही किया जाता है जिसका खामियाजा समय समय भोले भाले ग्रामीणों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है।

विदित हो कि दुर्गकोन्दल विकासखंड स्थित मोनेट माइंस में कल गुरुवार को काम कर रहे कर्रामाढ़ निवासी सूर्यभान चिराम पिता सेवा राम चिराम के सिर में बड़े पत्थर लगने से मौत हो गई है।

घटना दोपहर बाद कि बताई जा रही है प्रतिदिन की भांति मृतक सूर्यभान चिराम ठेकेदार के अंदर मोनेट माइंस में कार्यरत था,कल गुरुवार को माइंस प्रबंधन व ठेकेदार के आदेश पर वह माइंस क्षेत्र में कार्य कर रहा था, कार्य के दौरान पहाड़ी क्षेत्र से पत्थर का बड़ा टुकड़ा आकर उसके सिर में पड़ा जिसके चलते व घटना स्थल पर गंभीर रूप से घायल हो गया।

Monet Mines Management  स्थिति को देखते हुए माइंस प्रबंधन व ठेकेदार के द्वारा मृतक को तत्काल प्राथमिक उपचार के लिए दुर्गुकोंदल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया लेकिन स्थिति गंभीर होने से उन्हें हायर सेंट्रल रिफर कर दिया गया, सिर में अत्यधिक गहरी चोट लगने से वह रास्ते मे ही दम तोड़ दिया।

बता दे कि कंपनी की गलती का हर्जाना अब आम ग्रामीणों को उठाना पड़ रहा है कंपनी के द्वारा सुरक्षा के कोई भी इंतजाम नहीं किए गए हैं बिना इंतजाम के ग्रामीणों को मौत के मुंह में धकेला जा रहा है।

माइंस प्रबंधन नियम कायदे को दरकिनार करते हुए सिर्फ और सिर्फ अपने फायदे के लिए काम करती है। जान जोखिम में ग्राम एवं क्षेत्र की जनता को उठाने पड़ रहे है। भानुप्रतापपुर एवं दुर्गुकोंदल में आधा दर्जन से अधिक माइंस खदान संचालित हो रही है।

Monet Mines Management नियम शर्त को पूरा कराने की जवाबदेही राजस्व विभाग, खनिज विभाग एवं वन विभाग का दायित्व है लेकिन कोई भी विभाग माइंस प्रबंधन पर कार्यवाही करने से कतराते नज़र आते है। जिसकी खामियाजा भोले भाले ग्रामीणों को चुकाना पड़ता है।

माइंस प्रबंधन की ऊपरी पहुच व तगड़ी सेटिंग के चलते अधिकारी माइंस क्षेत्र में हाथ डालने से कतराते है। जिसका उदाहरण मोनेट माइंस है। जहा पर नियम शर्तो को पूरा नही किये जाने को लेकर एक वर्ष पूर्व शिकायत की गई थी। लेकिन एक वर्ष बाद भी निरीक्षण व जांच के लिए अधिकारी कतराते रहे। शायद कार्यवाही के लिए भी अधिकारी कोई बड़ी दुर्घटना के इंतजार कर रहे है।

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