मास्टर प्लान तैयार…चप्पे-चप्पे पर रहेगी पुलिस की नजर…अपराधियों को पकड़ने में मिलेगी मदद

दरअसल दुर्ग पुलिस ने पूरे शहर में 15 हजार से ज्यादा कैमरे लगाने का प्लान तैयार कर लिया है. पुलिस ने इसके लिए उद्योगपतियों व शैक्षणिक संस्थाओं से संपर्क कर उन्हें आगे आकर कैमरे लगाने में सहयोग की अपील भी की है.

आज के समय में अत्याधिक काम तकनीक के माध्यम से ही किया जा रहा है। शहर में बढ़ते अपराध, बेतरतीब यातायात, तेज रफ्तार बाइकर्स, अनकंट्रोल्ड वाहन पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। अक्सर देखा गया है कि अपराध करने के बाद अपराधी फरार हो जाता है।

एक्सीडेंट कर भारी वाहन भाग जाते हैं। तेज रफ्तार बाइकर्स सड़कों पर हंगामा मचाते हैं। कई बार शहर के कैमरों में इनकी तस्वीरें आ जाती हैं लेकिन ऐसा भी होता है कि कई बार यह बच जाते हैं। इसका कारण है कैमरों की कमी। इसे देखते हुए दुर्ग पुलिस ने पुरे शहर में 15200 सीसी टीवी कैमरे लगाने का निर्णय लिया और इस पर अमल भी शुरू कर दिया है।

जियो ट्रैकिंग व त्रीनयन ऐप से होंगे कनेक्ट

दुर्ग पुलिस की प्लानिंग है कि शहर में लगने वाले 15200 सीसी टीवी कैमरे जियो ट्रैकिंग सिस्टम व त्रीनयन ऐप से कनेक्ट होंगे। कैमरे लगाने के काम में जिले के थानों व डायल 112 की टीमे लगी हुई हैं। कैमरे लगाने के लिए व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों, शैक्षणिक संस्थाओं व औद्योगिक क्षेत्र के लोगों से अपने अपने एरिया में कैमरा लगाने के अपील की जा रही है। जनप्रतिनिधियों से भी पुलिस कैमरे लगाने की अपील कर रही है। जिला पुलिस का प्रयास है कि जिन स्पॉट पर कैमरे नहीं लगे हैं वहां पर लगाए जाएं ताकि पूरा शहर कैमरों की जद में हो।

जानिए कैसे काम करता है जियो ट्रैकिंग

जियो ट्रैकिंग (Geo Tracking) का मतलब है किसी व्यक्ति या वस्तु की भौगोलिक स्थिति का पता लगाना और उसे ट्रैक करना। यह GPS (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) या अन्य तकनीकों का उपयोग करके किया जाता है। जियो ट्रैकिंग का उपयोग बेड़े के वाहनों, व्यक्तिगत कारों, या अन्य वाहनों की निगरानी और ट्रैकिंग के लिए, फील्ड कर्मचारियों, डिलीवरी ड्राइवरों, या अन्य कर्मचारियों की निगरानी के लिए,

महंगे उपकरणों, जैसे कि लैपटॉप या टैबलेट, या अन्य संपत्ति को ट्रैक करने के लिए तथा अपराधियों या संदिग्धों को ट्रैक करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा महत्वपूर्ण स्थानों या परिसंपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने व आपदा क्षेत्रों में फंसे लोगों या संसाधनों को ट्रैक करने के लिए किया जाता है।

जियो ट्रैकिंग में, एक डिवाइस (जैसे कि एक स्मार्टफोन या एक GPS ट्रैकर) वास्तविक समय में अपनी भौगोलिक स्थिति (अक्षांश और देशांतर) को ट्रैक करता है और इसे एक केंद्रीय सर्वर पर भेजता है। यह सर्वर तब उस डिवाइस के स्थान को प्रदर्शित करता है, जिससे आप इसे ट्रैक कर सकते हैं।

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