Manipur violence को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बड़ी बात , आइये जानते है

Manipur violence

Manipur violence मणिपुर में कानून-व्यवस्था को लेकर आंख नहीं मूंदें राजनीतिक कार्यपालिका

Manipur violence नई दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने मणिपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर बुधवार को कहा कि संवैधानिक अधिकारी संयम से काम लें और भडक़ाऊ बयान न दें। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला की पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि वह यह सुनिश्चित करेगा कि राजनीतिक कार्यपालिका मणिपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर आंख नहीं मूंदें। पीठ ने साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि वह राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश नहीं करेगी।

पीठ ने मुख्यमंत्री के आधिकारिक हैंडल से किए गए कथित भडक़ाऊ ट्वीट्स की एक वकील की शिकायत पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, यह सुनिश्चित करें कि संवैधानिक अधिकारी संयम से काम लें और भडक़ाऊ बयान न दें। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि हिंसा से प्रभावित लोगों की सुरक्षा के साथ-साथ राहत और पुनर्वास के लिए किए गए उपायों पर एक नई स्थिति रिपोर्ट दाखिल करें। पीठ ने अपने आदेश में कहा, हमें बताएं कि मणिपुर में (सुरक्षा और राहत को लेकर) क्या कदम उठाए गए हैं।

पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह मणिपुर उच्च न्यायालय के 27 मार्च के फैसले से उत्पन्न कानूनी मुद्दों से नहीं निपटेगी, जिसमें बहुसंख्यक मेइती को अनुसूचित जनजाति के रूप में आरक्षण दिया गया था। वजह यह कि आदेश को चुनौती देने वाली याचिका उच्च न्यायालय की बड़ी खंडपीठ के समक्ष लंबित है। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को पूरी तरह तथ्यात्मक रूप से गलत बताया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि आदिवासी आरक्षण के मुद्दे से जुड़े मुद्दों को लेकर उच्च न्यायालय की उस खंडपीठ में जा सकते हैं।

सरकार ने कहा, लोगों को राहत/सुरक्षित स्थानों से हवाई अड्डे/मूल स्थानों (पूर्व राज्य) तक मुफ्त यात्रा की व्यवस्था रही है। इस व्यवस्था से लगभग 3,124 लोगों को मदद की गई है। शीर्ष अदालत ने केंद्र की दलीलों पर ध्यान दिया कि पिछले दो दिनों में मणिपुर में कोई हिंसा नहीं हुई है और स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

MENU