Man-animal conflict इनसान-जानवर का संघर्ष

Man-animal conflict

Man-animal conflict इनसान-जानवर का संघर्ष

Man-animal conflict एक तरफ वन्य जीव खतरे में हैं, तो दूसरी यह भी सच है कि बीते सालों में इंसानों पर जंगली जानवरों के हमलों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस मसले का हल अब जरूरी है।

Man-animal conflict हाल में नामीबिया से चीते भारत लाए गए, तो उनकी खूब चर्चा रही। उन चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोडऩे खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां गए। इसके लिए प्रधानमंत्री ने अपने जन्म दिन का विशेष अवसर चुना। जाहिर है, उससे वन्य जीवों के प्रति प्रधानमंत्री के लगाव का संदेश सारे देश को दिया गया। इसीलिए प्रधानमंत्री से यह अपेक्षित है कि वे देश के कई इलाकों में इनसान और जानवरों के बीच बढ़ रहे विरोध पर भी ध्यान दें।

Man-animal conflict अब यह जरूरी हो गया है कि ऐसी विरोध स्थितियों को हल करने के प्रभावी कदम यथाशीघ्र उठाए जाएं। हाल में बिहार में वाल्मिकीनगर टाइगर रिजर्व के एक बाघ के नरभक्षी बनने के बाद सरकार के आदेश पर उसे मार दिए जाने की घटना ने ऐसे टकरावों की तरफ साऱे देश का ध्यान खींचा है। इससे वन्य जीव अभयारण्यों के आसपास के इलाकों में बसे लोगों की सुरक्षा का सवाल उठा है और प्रोजेक्ट टाइगर के औचित्य पर भी बहस शुरू हो गई है।

Man-animal conflict एक तरफ वन्य जीव खतरे में हैं, तो दूसरी यह भी सच है कि बीते सालों में इंसानों पर जंगली जानवरों के हमलों की संख्या बढ़ती जा रही है। वाल्मिकीनगर टाइगर रिजर्व बिहार का एकमात्र टाइगर रिजर्व है। इसे देश का पांचवां सर्वश्रेष्ठ टाइगर रिजर्व और वन्य जीव अभयारण्य माना जाता है। यहां रॉयल बंगाल टाइगर प्रजाति के बाघ हैं। यहां से निकले एक बाघ ने सिर्फ सितंबर महीने में ही छह लोगों की जान ले ली। इसके अलावा कई लोग घायल हुए हुए और कई मवेशियों की भी जान गई।

Man-animal conflict इस कारण आसपास के करीब 50 से अधिक गांवों के लोग एक महीने से ज्यादा समय से डर के साये में जी रहे थे। आखिरकार बाघ को नरभक्षी घोषित कर उसे मार दिया गया। बहरहाल, ऐसी समस्या पैदा होने का यह पहला मामला नहीं है। बल्कि कई अन्य अभयारण्यों के पास भी जानवर अक्सर आसपास के रिहायशी इलाकों में घुस जाते हैं। बेशक जंगली जानवरों के हमले की वजह मनुष्यों और जानवरों के बीच के संघर्ष हैं। इसके समाधान पर सोचना अब जरूरी हो गया है।

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