:राजकुमार मल:
भाटापारा- जलाईए नहीं, बनाईये पराली से पौष्टिक पशु आहार।
मिलेगी निजात जलाने के बाद होने वाले वायु प्रदूषण से।
होगा लाभ ऐसे पशुपालकों को जो महंगे पशु आहार खरीदने के लिए विवश है।

धान की कटाई के बाद फसल अवशेष को खेतों में ही जलाना सबसे आसान तरीका मानते हैं किसान लेकिन यह तरीका न केवल पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है बल्कि सेहत से भी खिलवाड़ कर रहा है। इसे देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने एक शानदार तकनीक विकसित की है, जिसकी मदद से जानदार पौष्टिक पशु आहार बनाया जा सकता है।
शानदार तकनीक
100 किलो सूखी पराली, 4 किलो यूरिया और लगभग 40 से 50 लीटर पानी। सबसे पहले यूरिया को पानी में डालकर अच्छी तरह घोलेंं। अब पराली को फर्श या प्लास्टिक शीट पर फैला दें। इसके बाद स्प्रेयर की मदद से फैले हुए पराली पर छिड़काव करें। अच्छी तरह मिलाएं ताकि यह घोल हर हिस्से तक पहुंचे। अब इस भीगे हुए पराली को ढेर की शक्ल दें और प्लास्टिक की चादर या तिरपाल से अच्छी तरह ढंक दें। 3 सप्ताह तक इसे ऐसे ही रहने दें। चौथे सप्ताह यूरिया उपचारित यह पराली पौष्टिक आहार के रूप में तैयार मिलेगी लेकिन पशुओं को खिलाने के पहले इसे कुछ देर के लिए खुले में रखना होगा।

जानदार पौष्टिक पशु आहार
पुआल, या पराली हमारे देश में पशु चारा का सबसे बड़ा स्रोत है लेकिन इसमें पोषक तत्वों की भारी कमी रहती है। इसकी वजह से सेवन करने वाले पशु कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। विकसित नई विधि से तैयार पराली के पशु आहार में प्रोटीन की मात्रा दो से तीन गुना ज्यादा होती है। यह बढ़ी हुई मात्रा न केवल पराली को नरम बनाती है बल्कि सुपाच्य भी बनाती है। इससे पशु आसानी से सेवन कर सकते हैं। यह बढ़ा हुआ सेवन कुपोषण को सहजता से दूर करता है क्योंकि ऊर्जा की मात्रा भरपूर होती है उपचारित पराली में। राहत पशुपालकों को तब मिलती है जब महंगे पशु आहार की खरीदी में होने वाले खर्च में 25% की कमी सामने नजर आती है।
सतत कृषि की दिशा में प्रभावी कदम
पराली से पौष्टिक पशु आहार बनाना पर्यावरण और किसानों दोनों के लिए लाभकारी है।
यह तकनीक वायु प्रदूषण रोकने के साथ पशुओं को अधिक प्रोटीनयुक्त,
सुपाच्य चारा उपलब्ध कराती है। सामूहिक रूप से अपनाने पर यह फसल अवशेष प्रबंधन
और सतत कृषि की दिशा में प्रभावी कदम साबित हो सकती है।
:डॉ. प्रमेंद्र कुमार केसरी, सीनियर साइंटिस्ट (सॉइल साइंस),
बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर:
