महानदी जल विवाद: सौहार्द्रपूर्ण समाधान की दिशा में सकारात्मक कदम

महानदी जो छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच जीवनरेखा का काम करती है, लंबे समय से जल बंटवारे के विवाद की शिकार रही है। यह विवाद 2016 से ट्रिब्यूनल के समक्ष है, जहां ओडिशा ने छत्तीसगढ़ पर आरोप लगाया है कि ऊपरी हिस्से में बांधों का निर्माण ओडिशा की कृषि, बाढ़ नियंत्रण और पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है। लाखों किसानों की आजीविका और दोनों राज्यों के विकास पर इसका गहरा असर पड़ता है। हाल ही में एक सकारात्मक मोड़ आया है, जब महानदी जल विवाद ट्रिब्यूनल ने सुनवाई को 6 सितंबर तक स्थगित कर दिया, क्योंकि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों—ओडिशा के मोहन चरण माझी और छत्तीसगढ़ के विष्णु देव साई—ने सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए बातचीत शुरू करने की इच्छा जताई है।

यह कदम स्वागतयोग्य है, क्योंकि अंतरराज्यीय जल विवाद अक्सर अदालती लड़ाइयों में उलझकर वर्षों तक लंबित रहते हैं, जिससे दोनों पक्षों को नुकसान होता है। ओडिशा ने संयुक्त पैनल गठित करने का प्रस्ताव दिया है, जो जल प्रबंधन, डेटा साझाकरण और पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। इससे संघीय भावना मजबूत होगी और केंद्र सरकार की मध्यस्थता की आवश्यकता कम होगी। पर्यावरण की दृष्टि से, महानदी का जल प्रवाह संतुलित रखना आवश्यक है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन के दौर में सूखा और बाढ़ की घटनाएं बढ़ रही हैं। कृषि पर निर्भर ओडिशा के लिए पानी की कमी फसल उत्पादन को प्रभावित कर सकती है, जबकि छत्तीसगढ़ के औद्योगिक विकास को भी संतुलित जल उपयोग की जरूरत है।

हालांकि, इस बातचीत को केवल औपचारिकता तक सीमित नहीं रखना चाहिए। पूर्व अनुभव बताते हैं कि ऐसे समझौते अक्सर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी से विफल हो जाते हैं। ट्रिब्यूनल ने समय दिया है, लेकिन यह समयबद्ध होना चाहिए—शायद एक महीने में ठोस समझौता। केंद्र सरकार को पर्यवेक्षक की भूमिका निभानी चाहिए, ताकि राष्ट्रीय जल नीति के अनुरूप समाधान हो। यदि बातचीत विफल होती है, तो ट्रिब्यूनल को सख्ती से फैसला करना चाहिए।

अंतत:, महानदी विवाद का समाधान दोनों राज्यों के सहयोग से ही संभव है। यह न केवल जल संसाधनों के न्यायपूर्ण बंटवारे को सुनिश्चित करेगा, बल्कि संघीय ढांचे में विश्वास भी बढ़ाएगा। सौहार्दपूर्ण दृष्टिकोण अपनाकर, ओडिशा और छत्तीसगढ़ एक उदाहरण पेश कर सकते हैं कि विवादों को बातचीत से सुलझाया जा सकता है, जो अन्य अंतरराज्यीय मुद्दों के लिए प्रेरणा बनेगा। विकास और पर्यावरण का संतुलन बनाए रखना हमारी साझा जिम्मेदारी है।

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