राजकुमार मल
Mahakala मर्जी थी बाबा की…
Mahakala : भाटापारा- ‘बाबा’ की मर्जी थी। यह कहने वाले अमन और सावन के बीच अब चोली-दामन जैसा साथ बन गया है। उसकी कुशल उंगलियों का ही कमाल है कि महाकाल नित नए स्वरूप में दर्शन दे रहे हैं।
हुनर बहुतेरों के पास होगा लेकिन अमन के पास जो हुनर है, वह बाकी सभी से अलग इसलिए है क्योंकि सुबह और शाम महाकाल का स्वरूप बदलना होता है। खीझ नहीं, शांति मिलती है यह करने से। जैसे शब्दों के साथ कुछ पल विराम के बाद अमन की ऊंगलियां फिर से आकृति देने में लग जातीं हैं। आइए जानें अमन की जुबानी-
मर्जी महाकाल की
महामारी का दौर था। मां अचानक बीमार हो गई। जांच में कोरोना से संक्रमित होने की जानकारी मिली। स्थिति गंभीर थी। जिला अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। इलाज के दौरान एक दिन यू-ट्यूब पर श्री महाकालेश्वर को देखा। मन्नत मांगी कि मां के स्वस्थ होने पर दर्शन के लिए दरबार जरूर आऊंगा। बाबा ने सुनी। दर्शन के लिए गया। लगा जैसे आदेश दे रहे हैं। बस उसी क्षण ठान लिया कि सेवा ही करनी है।
ऐसे सीखा स्वरूप देना
मां की सकुशल घर वापसी के बाद यू-ट्यूब पर महाकालेश्वर का श्रृंगार किया जाना नियमित रूप से देखता था। पूर्व की तैयारियां, आज जो मैं करता हूं, वह भी ऐसे ही सीखा। प्रयास के बाद जानकारी हुई कि रेखांकन और ध्यान अहम है। इसलिए एकाग्रता के साथ रेखांकन करना होता है। थोड़ी सी चूक हुई तो वह स्वरूप नहीं दिया जा सकता जैसा होना चाहिए।
नित नया स्वरूप
सोमवार भगवान भोलेनाथ। मंगलवार हनुमान। आगे के दिन, जिस देव के लिए नियत हैं वैसा ही स्वरूप दे पाना कठिन होता होगा ? पूछने पर अमन कहता है कि विशेष कठिनाई नहीं होती। पहले दिन रेखांकन की तैयारी और आकार के लिए मनन। यह बेहद मददगार है, इसलिए पहले यही करता हूं।
सेवा ही करूंगा…
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मां श्रीमती प्रीति ध्रुव। भाई मनीष और बहन रश्मि के बाद सबसे छोटे अमन ध्रुव की उम्र महज 21 वर्ष है। दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद आगे की पढ़ाई की तैयारी कर रहे अमन से जब पूछा गया कि “भविष्य के लिए क्या योजना है ? जवाब बेहद संक्षिप्त था “बस बाबा की सेवा करना है”…